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विस्थापन की बाढ़ से घिरा यूरोप

२४ अगस्त २०१५

विस्थापन के चलते यूरोप अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है. अफ्रीका, अरब जगत और पूर्वी यूरोप से लाखों लोग यूरोप के समृद्ध देशों की तरफ बढ़ रहे हैं. मुसीबत में घिरे लोगों का यह रेला यूरोपीय संघ को चिंता में डाल रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Burgi

जर्मनी, फ्रांस, ग्रीस और इटली 50 साल बाद पहली बार इतने बड़े विस्थापन संकट से घिरे हैं. जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं. ऐसी चर्चाएं यूरोप के नेताओं के बीच आगे भी होती रहेंगी. सीरिया, इराक, उत्तरी अफ्रीका, यूक्रेन और अल्बानिया जैसे देशों से बड़ी संख्या में लोग उत्तर, मध्य, दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप की तरफ बढ़ रहे हैं.

सिर्फ बीते महीने ही 1,07,000 लोग यूरोपीय संघ के देशों में आए. शनिवार को मेसिडोनिया ने ग्रीस से लगे दक्षिणी फ्रंटियर को खोल दिया, जिसके बाद हजारों की संख्या में सीरियाई, इराकी और अफगान नागरिक रेल की पटरियों पर चलते हुए ग्रीस से मेसेडोनिया में घुसे. मेसिडोनिया का कहना है कि वह इतनी बड़ी संख्या में जमा आप्रवासियों का अकेले बंदोबस्त नहीं कर सकता. बारिश, ठंड और तमाम मुश्किलों के बावजूद हजारों आप्रवासी सर्बिया की तरफ बढ़ रहे हैं. वे किसी भी तरह यूरोपीय संघ के शेंगेन जोन तक पहुंचना चाहते हैं. शेंगेन जोन में बिना पासपोर्ट आवाजाही मुमकिन है. यूक्रेन, इराक, सीरिया, अफगानिस्तान और अफ्रीका के लोग हिंसा के चलते यूरोप आ रहे हैं तो बाल्कन इलाके के लोग गरीबी से परेशान होकर.

लाखों लोग पहले ही नावों के जरिए यूरोप पहुंच चुके हैं. जान पर खेल कर किसी तरह यूरोप पहुंचने वाले आप्रवासियों में से ज्यादातर जर्मनी, स्वीडन और नीदरलैंड्स में बसना चाहते हैं. लेकिन उनकी लगातार बढ़ती संख्या अब स्थानीय सरकारों को चितिंत करने लगी है. आप्रवासियों की संख्या के चलते उभरी परिस्थितियों को इटली के विदेश मंत्री पाउलो जेनतिलोनी ने "यूरोप की आत्मा" पर खतरा बताया है. जेनतिलोनी ने कहा, "आप्रवासन के मुद्दे पर सदस्य देशों के बीच तनातनी, असमंजस भरे फैसले और स्वार्थ के चलते यूरोप खुद को नुकसान पहुंचा सकता है."

जर्मनी के उप चासंलर जिगमार गाब्रिएल के मुताबिक उनके देश में इस साल शरण की मांग करने वालों की संख्या चौगुना बढ़ी है. अनुमान के मुताबिक इस साल करीब 8,00,000 लोग शरण पाने का आवेदन करेंगे. गाब्रिएल इसे 1990 के एकीकरण के बाद से जर्मनी की सबसे बड़ी चुनौती बता रहे हैं.

जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और गाब्रिएल ने यूरोपीय संघ के लिए एक शरणार्थी नीति बनाने की मांग की है. जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल भी ऐसी ही मांग कर चुकी हैं. जर्मन नेताओं ने एक 10 सूत्री योजना सुझाई है, जिसके तहत अप्रावासियों का यूरोप में सही तरीके से विभाजन हो.

जर्मनी के कुछ इलाकों में इस बीच आप्रवासियों के खिलाफ हिंसा में तेजी आई है. हाइडेनाऊ शहर में उग्र दक्षिणपंथी आप्रवासियों के लिए बनाए गए शिविरों पर हमला कर रहे हैं. पुलिस का आरोप है कि प्रशासन विस्थापन की विकराल होती समस्या से निपटने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठा रहा है. हाइडेनाऊ में शरण पाने के इच्छुक लोगों के शिविर को रविवार को लगातार दूसरे दिन उग्र दक्षिणपंथियों ने निशाना बनाया. सरकार और कई प्रमुख हस्तियों ने इन हमलों की निंदा की है.

ओएसजे/एमजे (एएफपी, डीपीए)