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शरणार्थियों को स्किजोफ्रीनिया का खतरा

१८ मार्च २०१६

जंग के मौदान से जान बचाकर भागना और जिंदगी के लिए नए ठिकाने की तलाश कर वहां भी संघर्ष करते रहना. हैरानी की बात नहीं कि ऐसी जिंदगी बिताने वाले स्किजोफ्रीनिया के तीन गुना ज्यादा खतरे में हैं.

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तस्वीर: Colourbox

स्वीडेन में हुई शोध के मुताबिक यूरोपीय मूल के नागरिकों के मुकाबले कठिनाइयों से दो चार हुए शरणार्थियों को मानसिक समस्याओं खासकर स्किजोफ्रीनिया का ज्यादा बड़ा खतरा है. वे ज्यादा बड़ी संख्या में पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और अवसाद की चपेट में आ सकते हैं. बीएमजे मेडिकल पत्रिका के मुताबिक उन्हें पागलपन और स्किजोफ्रीनिया का भी ज्यादा बड़ा खतरा है.

स्वीडेन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के रिसर्चरों की इस रिपोर्ट के लिए स्वीडेन के राष्ट्रीय रजिस्टर से 13 लाख शरणार्थी किशोरों के आंकड़े लिए गए और उनके 13 साल के सफर का अध्ययन किया गया. सर्वे में शरणार्थियों और आप्रवासियों को शामिल किया गया जो मध्य पूर्व, उत्तर अफ्रीका, उपसहारा अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप या रूस से स्वीडेन आए थे.

रिसर्चरों ने पाया कि स्वीडेन में पैदा हुए 10,000 लोगों में से हर साल स्किजोफ्रीनिया या अन्य मनोरोगों से पीड़ित लोगों की औसत संख्या चार थी. लेकिन ऐसे आप्रवासियों की संख्या 8 और शरणार्थियों की संख्या 12 थी. यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही पाई गई, लेकिन पुरुषों में ज्यादा. स्टडी की मुख्य लेखक कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की ऐना क्लारा होलैंडर के मुताबिक, "शरणार्थियों में नाटकीय रूप से ज्यादा खतरा यह दिखाता है कि स्किजोफ्रीनिया के लिए जीवन की घटनाएं मुख्य कारण हैं." उत्पीड़न, संघर्ष, प्राकृतिक आपदा जैसी घटनाएं इस तरह के रोगों के खतरे को बढ़ाती हैं.

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जेम्स कर्कब्राइड ने कहा, "हम जानते हैं कि शरणार्थी खतरों से निपटने के लिए अति संवेदनशील होते हैं. वे अपने जीवन में कई सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरते हैं." उन्होंने कहा कि यह रिसर्च विशेष मदद की जरूरत को उजागर करती है. इस खतरे से जूझ रहे लोगों के लिए मानक चिकित्सकीय जांच के साथ मानसिक स्वास्थ्य की जांच की व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए.

स्किजोफ्रीनिया मानसिक बीमारी है. इसके सामान्य लक्षणों के अंतर्गत मरीज को उन चीजों के होने का आभास होता है जो वास्तव में हैं नहीं. उन्हें भ्रम और डर लगने की शिकायत रहती है. यह बीमारी जेनेटिक या सामाजिक परिस्थितियों के कारण हो सकती है.

एसएफ/एमजे (एएफपी)