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शरणार्थियों पर फौरन कुछ करे यूरोप

शबनम सुरिता
१२ जून २०१५

उत्तर अफ्रीका से आने वाले शरणार्थियों की लहर यूरोपीय संघ के सदस्य देशों पर भारी दबाव डाल रही है. शरणार्थियों के लिए उपलब्ध सुविधाएं पर्याप्त नहीं है. डॉयचे वेले के ग्रैहम लूकस का कहना है कि फौरन कुछ करने की जरूरत है.

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Gegendemonstration zu PEGIDA in Dresden
तस्वीर: Reuters/H. Hanschke

ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब भूमध्य सागर से किसी दुर्घटना की खबर ना आती हो. यूरोप पहुंचने की कोशिश में इस साल ही अब तक हजारों लोग जान गंवा चुके हैं. बहुत से लोगों को यूरोपीय संघ के नौसैनिकों ने बचा लिया है. एक बार यूरोपीय भूमि पर पहुंचने के बाद वे शरण के लिए अर्जी दे सकते हैं. यूरोप उन्हें वापस नहीं भेज रहा या उनके जहाजों को वापस नहीं कर रहा, जैसा कि इस समय दक्षिण पूर्व एशिया में रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ हो रहा है. इस समस्या पर यूरोप का रवैया काफी मानवीय और तारीफ के योग्य है. लेकिन यह बात भी सच है कि इस समय यह यूरोप के अपने हित में है.

बहुत से यूरोपीय देश जन्मदर में कमी की समस्या का सामना कर रहे हैं. आबादी या तो ठहरी हुई है या गिर रही है. यूरोप की समृद्धि आर्थिक बेहतरी पर निर्भर है और आर्थिक बेहतरी के लिए काम करने की उम्र के पर्याप्त कुशल लोगों का होना जरूरी है. यूरोप को आप्रवासन की जरूरत है. यूरोपीय राजनीतिज्ञ इस हकीकत को समझने लगे हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने तो यहां तक कहा है कि जर्मनी आप्रवासन का देश है. कुछ साल पहले जर्मन नेताओं का ऐसा बयान असंभव होता. मैर्केल को पता है कि पार्टी में विरोध की आवाजों के बावजूद उन्हें इस मुद्दे पर बहुमत का समर्थन है, हालांकि थोड़े लोग आप्रवासन के खिलाफ भी हैं. सस्ती मजदूरी वाले पेशों में उन्हें प्रतिद्वंद्वी समझा जाता है.

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ग्रैहम लूकस, डॉयचे वेले

दूसरे यूरोपीय देशों में भी यही पैटर्न है जहां उग्र दक्षिणपंथी पार्टियों को भूमध्य सागर से आ रहे लोगों की बड़ी संख्या पर उठ रहे विरोध का फायदा मिल रहा है. फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और ब्रिटेन जैसे देशों में राजनीतिक चरमपंथ और उग्र दक्षिणपंथी पार्टियों के प्रसार के खतरे को देखते हुए यूरोप को पूरे यूरोपीय संघ में संगठित आप्रवासन के नियम बनाने की जरूरत है. फिलहाल उसके पास कोई आप्रवासन नीति नहीं है. इसकी वजह से दक्षिणी यूरोप में आने वाले शरणार्थी उन देशों में शरण का आवेदन देते हैं जहां उन्हें लगता है कि उन्हें आसानी से काम मिल जाएगा और वे घुल मिल सकेंगे. अक्सर वे ऐसी जगहों पर पहुंचते हैं जहां वे जाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें जगह नहीं मिलती. कैले में ब्रिटेन जाने की कोशिश करते अफ्रीकी शरणार्थी या पेरिस में पुलिस से झगड़ते बेघर शरणार्थी यूरोप के लिए इस बात की चेतावनी हैं कि वह आप्रवासन की समस्या से सही ढंग से नहीं निबट रहा है. यूरोप में आप्रवासन पर लोकतांत्रिक बहुमत के लिए दिल और दिमाग की लड़ाई अभी तय नहीं हुई है.

ग्रैहम लूकस/एमजे