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शरणार्थी संकट में उलझा जर्मनी

१ फ़रवरी २०१६

जर्मनी में शरणार्थियों के मुद्दे पर अफरा तफरी का माहौल है. एक तरफ उग्र दक्षिणपंथी शरणार्थियों को सीमा पर ही गोली मारने की बात कर रहे हैं, तो दूसरी ओर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के मामले फर्जी निकल रहे हैं.

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Europol 10 000 verschwundene Flüchtlingskinder
तस्वीर: picture alliance/dpa/Y. Valat

आठ करोड़ की आबादी वाले जर्मनी में पिछले साल 11 लाख शरणार्थी पहुंचे हैं. इतनी बड़ी संख्या में विदेशियों के देश में आने से उग्र दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के लिए समर्थन बढ़ा है. अंग्रेजी में अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी के नाम से जानी जाने वाली यह पार्टी मुख्य रूप से विदेशी विरोधी है. पार्टी की अध्यक्ष फ्राउके पेट्री ने हाल ही में एक स्थानीय अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि सीमा पर तैनात पुलिस के पास यह हक होना चाहिए कि वह देश में घुसने की कोशिश कर रहे शरणार्थियों को गोली मार सके.

अपनी बात को उचित बताते हुए फ्राउके पेट्री ने कहा, "कोई भी पुलिसकर्मी शरणार्थियों पर गोली नहीं चलाना चाहता, मैं भी नहीं चाहती. लेकिन आखिरी रास्ता हथियार इस्तेमाल करने का ही है." पेट्री के इस बयान की देश में कड़ी आलोचना हो रही है. उप चांसलर जिगमार गाब्रिएल ने इसे लोकतांत्रिक नीति के खिलाफ बताया है, तो जर्मन की पुलिस यूनियन जीडीपी के उपाध्यक्ष यॉर्ग राडेक ने भी इस बयान को गलत बताते हुए कहा, "जो भी कोई ऐसी अतिवादी सोच रखता है, वह दरअसल कानून और व्यवस्था को खराब करना चाहता है और पुलिस का फायदा उठाना चाहता हैं."

Afd Bundesparteitag in Hannover Frauke Petry
एएफडी पार्टी की अध्यक्ष फ्राउके पेट्रीतस्वीर: picture-alliance/dpa/S. Pförtner

कार्निवाल को ले कर चिंता

वहीं कोलोन में कार्निवाल को ध्यान में रखते हुए हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. शहर में 2,500 पुलिसकर्मी तैनात किए जा रहे हैं. पिछले साल की तुलना में यह तीन गुना है. सुरक्षा के बजट को बढ़ा कर 3,60,000 यूरो कर दिया गया है. दरअसल 4 से 10 फरवरी के बीच एक हफ्ते तक कोलोन और आसपास के शहरों में पार्टी का माहौल रहेगा. इस बीच सड़कों पर झांकियां निकलती हैं, पब और रेस्तरां में नाच गाना होता है, लोग रंग बिरंगी पोशाक पहने कार्निवाल का लुत्फ उठाते हैं.

लेकिन नए साल की शाम जिस स्तर पर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ के मामले सामने आए, उसके बाद लोगों में डर का माहौल है. कार्निवाल के समय पर ऐसा ना हो इसे सुनिश्चित करने के लिए जगह जगह महिलाओं के "सिक्यूरिटी प्वॉइंट" बनाए जा रहे हैं, जहां वे छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज कर सकती हैं. पुलिस के अलावा यहां मनोचिकित्सक भी मौजूद होंगे.

Deutschland, Festnahme an Silvester in Köln
नए साल की शाम लड़कियों के साथ हुई छेड़छाड़तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Böhm

ना मतलब ना

साथ ही ऐसे इश्तिहार भी बांटे जा रहे हैं, जिनमें कार्निवाल से जुड़ी बातें समझाई गयी हैं. क्योंकि नए साल की शाम हुई छेड़छाड़ के अधिकतर मामलों में उत्तरी अफ्रीका से आए मुस्लिम पुरुषों को जिम्मेदार पाया गया, इसलिए ये इश्तिहार अंग्रेजी और अरबी भाषा में छापे गए हैं, ताकि उन्हें उन्हीं की भाषा में संस्कृतियों के अंतर के बारे में बताया जा सके. एक इश्तिहार में लिखा है, "हालांकि कार्निवाल के दौरान कोलोन में स्थानीय लोग बीयर या अन्य तरह की शराब पीते हैं, लेकिन ऐसा करना जरूरी नहीं है. आप बिना शराब के भी मस्ती मजा कर सकते हैं, नाच गा सकते हैं." वहीं पड़ोसी शहर बॉन में बांटे जा रहे इश्तिहारों में गाल पर चूमने की परंपरा के बारे में बताते हुए लिखा गया है, "बुत्सन यानि गाल पर चूमना, यह हमारी कार्निवाल की परंपरा का हिस्सा है. लेकिन जोर जबरदस्ती करना बिलकुल मना है. बुत्सन के लिए महिला और पुरुष, दोनों की सहमति जरूरी है. ना का मतलब है ना."

वहीं इस बीच एक 13 साल की लड़की के बलात्कार के आरोप की खबर के फर्जी होने पर भी खूब चर्चा है. रूसी मूल की इस लड़की ने शिकायत की थी कि तीन उत्तरी अफ्रीकी पुरुषों ने बर्लिन के स्टेशन से उसका अपहरण किया और एक अपार्टमेंट में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया. इस मामले में जर्मनी पर रूस से भी दबाव बना. लेकिन पुलिस ने अपनी जांच के बाद कहा है कि लड़की उस रात अपने एक दोस्त के घर पर ठहरी थी और उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं हुई.

आईबी/एमजे (डीपीए, एएफपी)

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