1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

शादी की सही उम्र पर बहस

२० अक्टूबर २०१४

18 साल से कम उम्र में शादी पर रोक लगाने वाले तीस साल पुराने कानून के बावजूद भी बांग्लादेश बाल विवाह दर के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है. बांग्लादेश अब शादी की न्यूनतम उम्र घटाने की तैयारी कर रहा है.

https://p.dw.com/p/1DX3z
तस्वीर: DW/P.M.Tewari

संयुक्त राष्ट्र बाल संस्था यूनिसेफ के मुताबिक बांग्लादेश में 66 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो जाती है और पांच फीसदी लड़कों की. लैंगिक भेदभाव पर रोक लगाने वाला अंतरराष्ट्रीय कानून यह जरूरी बनाता है कि पुरुषों और महिलाओं की शादी की उम्र एक हो और अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष निर्धारित की गई है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बाल विवाह में कमी लाने का वचन दिया है. हालांकि ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि कैबिनेट बाल विवाह निरोधक अधिनियम में संशोधन करने के बारे में सोच रहा है. इसके तहत लड़कियां की शादी 16 वर्ष और लड़कों की शादी 18 वर्ष की आयु में कानूनी तौर पर हो सकेगी. बांग्लादेश की महिला एवं बाल मामलों की मंत्री मेहर अफरोज चुमकी के मुताबिक अब तक कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया है. चुमकी का कहना है, "प्रस्ताव पर विस्तार से विमर्श करेंगे और जो समाज के लिए उपयुक्त होगा उसको आम सहमति के साथ अपनाएंगे."

18 से कम या 25

पड़ोसी मुल्क भारत की बात की जाए तो बाल विवाह कानूनी अपराध है लेकिन सांस्कृतिक और धार्मिक रिति रिवाजों के चक्कर में पड़ कर लोग ऐसे काम को अंजाम दे देते हैं. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने विवाह की उम्र 25 वर्ष करने की वकालत की है. उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य और बाल कुपोषण दूर करने के लिए लड़कियों के विवाह की उम्र 25 वर्ष होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू दर्शन के मुताबिक आश्रम प्रणाली में विवाह की उम्र 25 वर्ष थी जिससे बेहतर स्वास्थ्य और कुपोषण की समस्या से छुटकारा मिलता था. फिलहाल लड़कों के विवाह की उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की 18 वर्ष है. मांझी ने 'जनता की अदालत में मुख्यमंत्री' कार्यक्रम के बाद चर्चा के दौरान कहा, "मुझे लगता है कि सदियों पुरानी आश्रम प्रणाली परंपरा के मुताबिक लड़कों और लड़कियों दोनों की शादी की उम्र 25 वर्ष कर देनी चाहिए."

आश्रम प्रणाली जीवन के स्तर को आयु के हिसाब से चार चरणों में बांटती है. पहला चरण ब्रह्मचर्य है जो 24 वर्ष तक होता है, उसके बाद 24-48 वर्ष तक गृहस्थ चरण, तीसरा वानप्रस्थ चरण है जो 48-72 वर्ष आयु तक होता है, आखिरी चरण संन्यास का होता है.

मांझी का कहना है कि इस व्यवस्था का पालन करने से बीमारियों और कुपोषण की समस्या से तो मुक्ति मिलेगी, जनसंख्या विस्फोट से भी बचाव होगा. 70 वर्षीय मुख्यमंत्री ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने 25 वर्ष की आयु के बाद शादी की और यही कारण है कि इस उम्र में भी वह किसी तरह की कोई दवा का सेवन नहीं करते हैं. उन्होंने कहा, "विवाह की उम्र को बढ़ाकर 25 कर देने से आज के समाज में महिलाओं और शिशुओं के बीच प्रचलित खराब स्वास्थ्य और कुपोषण जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा."

एए/एएम(रॉयटर्स, पीटीआई)