1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

शाल्के मतलब कामगारों का फुटबॉल

१७ अगस्त २०१०

कुछ एक फ़ुटबॉल क्लब सिर्फ़ जीतते या हारते नहीं हैं, वे मिथक तैयार करते हैं, उनमें किसी शहर या किसी इलाके के दिल की धड़कन छिपी होती है. जर्मनी में ऐसा ही एक क्लब है पूर्व खान मज़दूरों के शहर गेलज़ेनकिर्शेन का शाल्के 04.

https://p.dw.com/p/Omy2
मागाथ और राउल की जोड़ीतस्वीर: AP

स्पेन के मशहूर फुटबॉलर राउल के आने की ख़बर के साथ शाल्के क्लब इस सत्र में सुर्खियों में रहा है. उम्र भले ही 33 हो, गोल दागने में राउल अब भी माहिर हैं. लेकिन शाल्के की किस्मत खराब कही जाए या अच्छी? जर्मनी में फ़ुटबॉल का सुपर कप 1996 के बाद इस साल पहली बार आयोजित किया गया. इसमें पिछले सत्र के बुंडेसलीगा चैंपियन और जर्मन फ़ुटबॉल संघ के कप के विजेता आपस में भिड़ते हैं. चूंकि पिछले साल बायर्न म्यूनिख को दोनों में जीत मिली थी, इस बार सुपर कप में बुंडेसलीगा के नंबर दो क्लब के तौर पर शाल्के को उससे भिड़ने का मौका मिला. क्लब के कोच फ़ेलिक्स मागाथ काफ़ी उत्साहित थे. उनका कहना था कि क्लब के सिर्फ़ चार खिलाड़ी राष्ट्रीय टीम में थे, बाक़ी को साथ साथ ट्रेनिंग का मौक़ा मिला. जीत का अच्छा मौक़ा है. नतीजा? बायर्न म्यूनिख ने शाल्के को 2-0 से हराया.

रूअर नदी की घाटी में छोटा सा शहर गेलज़ेनकिर्शेन, जिसे जर्मनी में उसके फ़ुटबॉल क्लब एफसी शाल्के 04 के लिए जाना जाता है. कभी यहां हर कहीं हवा में कोयले के महीन कण तैरते थे, अब खान बंद हैं, हवा साफ़ है. रह गया है खान मज़दूरों का अंदाज़, जहां फ़ुटबॉल सिर्फ़ बारीकी और तकनीक नहीं है, ज़िंदगी की मस्ती का हिस्सा है. किसी भी दूसरे फ़ुटबॉल क्लब के फ़ैन्स में खेल या क्लब के लिए ऐसा जुनून नहीं देखा जाता है. कम से कम जर्मनी में तो कतई नहीं, हो सकता है कि स्कॉटलैंड में हो.

स्कॉटलैंड का ज़िक्र ज़रूरी है, क्योंकि फ्लैट पास के ज़रिये शाल्के का परंपरागत खेल वहीं से आया है. 1934 में यह क्लब पहली बार जर्मनी में लीग चैंपियन बना. उस ज़माने में यह क्लब छह बार चैंपियन बना था, लेकिन विश्वयुद्ध के बाद उस स्तर को फिर कभी वापस नहीं लाया जा सका. सिर्फ़ 1958 में शाल्के चैंपियन बन सका. कोच मागाथ के निर्देशन में उन्हीं पुराने दिनों को वापस लाने की सोची जा रही है. शाल्के के पास जर्मनी का सबसे बड़ा स्टेडियम है, सबसे अधिक फ़ैन्स हैं. अब एक बेहतरीन कोच हैं, बस जीत बाकी रह गई है.

4 मई, 1904 को 14-15 साल के कुछ लड़कों ने एक क्लब बनाया, जिसका नाम उन्होंने वेस्टफ़ालिया शाल्के रखा. वे फ़ुटबॉल खेलते थे, लेकिन मान्यता न मिलने की वजह से क्लब प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले पाते. इसलिए आठ साल बाद वे मान्यताप्राप्त जिम्नास्टिक्स क्लब टुर्नफ़ैराइन 1877 शाल्के में शामिल हो गए. लेकिन मामला चला नहीं. 1924 में फ़ुटबॉल के प्रेमी क्लब से बाहर आ गए, और उन्होंने फ़ुटबॉल क्लब के रूप में शाल्के 04 की स्थापना की. यानी फ़ैन्स की राय में क्लब 100 साल से भी पुराना है, जबकि तकनीकी हिसाब से सिर्फ़ 86 साल पुराना.

बुंडेसलीगा के प्रतिष्ठाता क्लबों में से एक होने के बावजूद 1980 के दशक में तीन बार शाल्के को दूसरी लीग में उतरना पड़ा, 1981, 1983 और 1988 में. तीसरी बार वह तीन साल तक दूसरी लीग में रहा. 1993-94 में फिर एक बार दूसरी लीग में, लेकिन 1996 में यूएफा कप में पहली बार खेलने का मौका, और पहले ही मौके में कप विजेता. अब तक यह यूरोप के स्तर पर शाल्के की अकेली कामयाबी है.

पिछले सत्र में हैम्बर्ग के ख़िलाफ़ 94वें मिनट में एक गोल के साथ बायर्न म्यूनिख का खेल ड्रॉ हो जाने से शाल्के बुंडेसलीगा चैंपियन नहीं हो पाया. क्या कोच मागाथ इस बार चैंपियनशिप दिला पाएंगे? पिछला सत्र उम्मीद दिलाता है, लेकिन हर सत्र एक नया सत्र होता है.

लेख: उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादनः ए जमाल