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एसिड हमले से हुई और भी मजबूत

ऋतिका राय२३ सितम्बर २०१५

एसिड हमले रोकने का संदेश फैलाने के मकसद से 2014 में आगरा में शुरु हुआ शिरोज हैंगआउट कैफे. इसे चला रही हैं खुद एसिड हमले की शिकार हुई बहादुर लड़कियां.

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तस्वीर: DW/A. Ansari

ऋतु, रूपा, नीतू या गीता - इन सभी में जो चीज एक जैसी है वह है एसिड हमला. एसिड की जलन के दर्दनाक और झुलसाने वाले अनुभव को झेलने वाली यह महिलाएं समाज के सामने अपनी बहादुरी से एक मिसाल पेश कर रही हैं. ताजमहल के लिए विश्व प्रसिद्ध आगरा में उसके सामने वाले रोड पर ही बना है 'शिरोज हैंगआउट कैफे'. यहां कुक, वेटर, सफाईकर्मी और हिसाब किताब का काम भी यही महिलाएं करती हैं.

कैफे की दावीरों पर बनी चित्रकारी या ग्रैफिटी में भी इन महिलाओं ने अपने हाथों से अपने जीवन के उतार चढ़ाव को उतारा है. कैफे में एक किताबों का कोना और एक इनके हाथों की बनाई ड्रेसेज के लिए एक बुटीक भी है.

Indien Sheroes Säureopfer
ये हैं असली हीरो - शी-हीरोतस्वीर: DW/A. Ansari

छांव फाउंडेशन नाम का एक एनजीओ और स्टॉप एसिड नेटवर्क साथ आया और उन्होंने एसिड हमले की शिकार हुई महिलाओं के लिए 2014 में इस कैफे की शुरुआत की. यहां काम करने वाली ये पांच बहादुर महिलाएं या 'शी-हीरोज' साहस की मिसाल हैं. इनकी पूरी कहानी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: http://dw.com/p/1GRE7