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श्मशान घाट पर लोकसंगीत की महफिल

२३ दिसम्बर २०१०

इस श्मशान पर सन्नाटा नहीं बल्कि कलकल करती सरयू की लहरों के बीच जीवन राग की लय सुनाई पड़ती है. यहां सिद्धि के लिए तांत्रिक नहीं जुटते बल्कि जिंदगी के सारे संस्कार किसी मंदिर की तरह ही संपन्न होते हैं.

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मुक्ति पथ की रौनकतस्वीर: DW

यहां दाह संस्कार के अलावा शादी, मुंडन, गोद भराई और उपनयन भी होते हैं. बात हो रही है पूर्वांचल के गोरखपुर जिले के मुक्ति पथ की. शहर के दक्षिण में करीब 65 किलोमीटर दूर बड़हल में बने मुक्ति पथ में शनिवार से सरयू महोत्सव शुरू हो रहा है. तीन दिवसीय इस महोत्सव में हरिद्वार और काशी की गंगा आरती की तर्ज पर 21 हजार दीपों की जगमगाती सरयू महा आरती भी होगी.

लोकसंगीत की महफिलें भी सजेंगी जिसमें लोक गायिका मालिनी अवस्थी और भोजपुरी के मशहूर कलाकार रवि किशन अपनी कला का जादू बिखेरेंगे . इसके अलावा उस्ताद सआदत हुसैन खां की कव्वालियों की धूम मचेगी. कृषि एवं हस्तशिल्प मेला लगेगा और राज्य स्तरीय नौका प्रतियोगिता का आयोजन भी किया जाएगा. मुक्ति पथ सेवा संस्थान, यूपी पर्यटन विभाग और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 101 नदियों से संकलित जल का सरयू में अभिसंचन, दिव्य शंख ध्वनि, लुप्त हो रही क्षेत्रीय लोक कलाओं पर आधारित गीत संगीत 'डांस आन व्हील' भी प्रस्तुत किया जाएगा .

श्मशान घाट का कायापलट

इस श्मशान घाट के पर्यटन स्थल के रूप में उभरने का ही नतीजा है कि प्रदेश के पर्यटन विभाग ने इसके आस पास सरयू के घाटों को सुंदर और आधुनिक बनाने के लिए 5.5 करोड़ का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है. करीब दस साल पहले तक यह श्मशान घाट भी देश के दूसरे श्मशान घाटों की तरह ही था. यहां भी चील कौवे मंडराया करते थे. बदबू और गंदगी का साम्राज्य था लेकिन एक जुनूनी राजेश त्रिपाठी की पहल पर इसका कायाकल्प हो गया.

Malini Awasthi performt bei einem Festival
मालिनी अवस्थी के सुर भी सजेंगेतस्वीर: DW

अब तक इस पर करीब छह करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. यह सारा धन लोगों ने चंदे के रूप में दिया है. पिछले दो वर्षो में ही 2.5 करोड़ इकट्ठा हुए. प्रख्यात चिंतक नानजी देशमुख ने 13 दिसंबर 2001 को मुक्ति पथ की आधार शिला रखी थी. यहां 1,198 गांवों के भ्रमण के बाद दिव्य आत्माओं की शांति के लिए अखंड ज्योति भी जल रही है.

मुक्ति पथ की लोकप्रियता का ही नतीजा था कि राजेश त्रिपाठी पिछले विधानसभा चुनाव में चिल्लूपार विधानसभा छेत्र से चुनाव जीते और मायावती ने उन्हें राज्य मंत्री भी बना दिया.

विवादों में घिरा मुक्ति पथ

राजेश त्रिपाठी के बीएसपी सरकार में होमियोपैथी चिकित्सा और धर्मार्थ कार्य मंत्री बनने के बाद से ही मुक्ति पथ विवादों में आ गया. प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति केएन मेहरोत्रा से शिकायत की गई कि यहां अपने परिजनों के शवों को लेकर आने वाले लोगों से अवैध वसूली की जा रही है. जिस भूमि पर यह बना है वह केंद्र सरकार के नार्कोटिक्स विभाग की है. दुकानें खोल ली गई हैं.

लोकायुक्त ने श्मशान घाट का दौरा कर जांच की और मंत्री को नोटिस भेजा तो मुक्ति पथ सेवा संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में राजेश त्रिपाठी ने लोकायुक्त के सामने पेश होकर माफी मांग ली. खुद को फंसता देख मंत्री ने आनन फानन में एक दूसरा जय महाकाल चैरिटेबल ट्रस्ट बना लिया. इसकी भी शिकायत लोकायुक्त से हो गई है. फिलहाल उनके खिलाफ सरयू महोत्सव तक सारी कार्रवाई रोक दी गई है. लेकिन जिस मुक्ति पथ ने विधानसभा पहुंचाया अगले महीने उसी के कारण राजेश त्रिपाठी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ सकता है.

रिपोर्टः सुहेल वहीद, लखनऊ

संपादनः ए कुमार

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