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संसद में नाबालिग बिल पास

२२ दिसम्बर २०१५

प्रदर्शनों और सार्वजनिक आक्रोश के दबाव में आज संसद में किशोर न्याय बिधेयक पास कर दिया गया. बेटी के बर्बर गैंगरेप और मौत के तीन साल बाद निर्भया के माता पिता गैंगरेप के नाबालिग अपराधियों पर सख्ती की मांग कर रहे थे.

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Indien Protest Mutter des Opfers Nirbhaya
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna

मंगलवार को राज्यसभा के सांसदों ने वह विधेयक पास कर दिया जिसमें 16 से 18 साल के नाबालिग अपराधियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है. 2012 के पारमेडिक छात्रा के चलती बस में गैंगरेप के मामले में एक नाबालिग अभियुक्त के तीन साल बाद छोड़े जाने पर काफी आक्रोश था और पिछले कुछ दिनों से कानून में संशोधन के लिए प्रदर्शन किए जा रहे थे. महिला कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यह विधेयक बच्चों के अधिकार और नाबालिगों द्वारा जघन्य अपराध को रोकने की जरूरत के बीच संतुलन का प्रयास है.

महिला और बाल कल्याण मंत्री ने सुबह में राज्य सभा में बिल के लिए समर्थन की अपील करते हुए कहा कि अपराध करने वाले नाबालिगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. बिल में संगीन अपराधों के लिए 16 साल से नाबालिगों को वयस्क की तरह मानने का प्रावधान है. मेनका गांधी ने कहा कि 16 साल के बच्चों को पता होता है कि तीन साल के रिमांड से ज्यादा उनका कुछ नहीं होगा.

वेंकैया नायडू ने साफ किया कि संशोधित बिल का असर निर्भया कांड के नाबालिग अभियुक्त पर नहीं होगा क्योंकि नया कानून पुरानी अवधि से लागू नहीं होगा. विपक्षी कांग्रेस के सदन में नेता गुलाम नबी आजाद ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि निर्भया की मां सिर्फ अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए नहीं लड़ रही हैं, वे इसलिए लड़ रही हैं कि देश में दूसरी निर्भया पैदा न हों. उन्होंने लड़कियों को सुरक्षा की भावना देने के लिए शहरों की गलियों में लाइट लगाने और पुलिस गश्ती बढ़ाने की भी मांग की. बहस देखने के लिए राज्य सभा में निर्भया के माता पिता भी मौजूद है. इससे पहले उन्होंने बीजेपी और कांग्रेस के सांसदों से भी मुलाकात की.

तीन साल पहले दिल्ली में हुए कुख्यात गैंगरेप कांड में शामिल एक नाबालिग अपराधी को पिछले सप्ताहांत व्यापक विरोध के बावजूद रिहा कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की चिंता से सहमति जताई लेकिन सोमवार को एक याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि नाबालिग अपराधी को और हिरासत में रखने का कोई कानूनी आधार नहीं है. अपराध के समय उम्र के आधार पर नाबालिग अपराधियों को अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है और वह भी रिमांड होम में.

उधर एक अन्य मामले में अदालत ने एक नेपाली महिला के गैंगरेप और हत्या के सात आरोपियों को मौत की सजा सुनाई है. मानसिक रोग से पीड़ित 28 वर्षीय महिला फरवरी में एक अस्पताल से लापता हो गई थी, जहां उसका इलाज चल रहा था. कुछ दिन बाद उसका क्षतविक्षत शरीर पास के एक खेत से मिला. ऑटोप्सी में महिला के बर्बर बलात्कार के सबूत मिले. पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिसमें से एक ने मुकदमे के दौरान आत्महत्या कर ली, जबकि एक अन्य नाबालिग है.

जज सीमा सिंघल ने गैंगरेप के अभियुक्तों के खिलाफ मौत की सजा का फैसला सुनाते हुए कहा, "महिलाएं अभी भी हमारे समाज में पुरुषों की ओर से अपराध और भेदभव का सामना कर रही हैं, और हम अभी भी व्यवस्था में लैंगिक भेदभाव देख रहे हैं, लेकिन यह फैसला लोगों को कड़ा संदेश देगा और ये समय की मांग है." अभियुक्त इस फैसले के खिलाफ ऊंची अदालत में अपील करेंगे.

एमजे/एसएफ (पीटीआई)