1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

'सत्ता को चुनौती दें चीनी छात्र'

४ दिसम्बर २०१३

पूर्वी चीन सागर में एक दूसरे को धमकाने के बाद अमेरिकी उप राष्ट्रपति बीजिंग पहुंचे हैं. चीनी छात्रों को संदेश देते हुए जो बाइडेन ने कहा कि वो अपनी सरकार से सवाल क्यों नहीं करते, फफूंद को उखाड़ क्यों नहीं फेंकते.

https://p.dw.com/p/1ASfw
तस्वीर: NG HAN GUAN/AFP/Getty Images

अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन बीजिंग पहुंचते ही सबसे पहले अमेरिकी दूतावास गए. वहां अमेरिका का वीजा लेने के इच्छुक चीनियों की लाइन लगी थी. बाइडेन को देखकर वो चौंक गए. उनका अभिवादन करते हुए बाइडेन ने कहा, "मौलिकता तभी सामने आ सकती है जब आप खुलकर सांस ले सकें."

चीन सरकार के नियंत्रणवादी रुख पर निशाना साधते हुए बाइडेन ने कहा, "अमेरिका में मौजूदा हालात पर सवाल करने के लिए बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है, दंड नहीं दिया जाता. पूरी तरह कुछ नया बनाने का सिर्फ एक ही रास्ता है, पुरानी फफूंद को उखाड़ दो." बाइडेन ने यह भी कहा कि खुली हवा और नागरिक आजादी का अंदाजा आपको अमेरिका पहुंचते ही हो जाएगा.

Japan Kriegsschiff Marine
विवादित इलाके में जापान की नौसेनातस्वीर: picture alliance/dpa

चीन में राष्ट्रवाद भी काफी है. तल्ख तंज करने के बाद बाइडेन ने चीन के शिक्षा तंत्र की हल्की तारीफ की, पर साथ ही इस तंत्र को भी नियंत्रणवादी नीति से जोड़ दिया.

क्यों अहम है दौरा

बाइडेन के चीन दौरे पर इस वक्त दुनिया भर की नजरें हैं. पूर्वी चीन सागर में पिछले महीने ही चीन का अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान का तीखा झगड़ा हुआ. नवंबर में चीन ने पूर्वी सागर के एक बड़े हिस्से को अपना एयर डिफेंस जोन बना दिया. इसके तहत वहां आकाश में होने वाली हर तरह की गतिविधि की जानकारी चीन को देनी होगी और इलाके में बीजिंग के नियम भी मानने होंगे. जापान, अमेरिका, ताइवान और दक्षिण कोरिया इस पर भड़के हुए हैं.

चीन के दावे को खारिज करने के लिए अमेरिका वहां अपने बमवर्षक विमान उड़ा चुका है. दक्षिण कोरिया और जापान ने भी लड़ाकू विमानों से चीन के दावे को खारिज करने की कोशिश की. लेकिन बढ़ते विवाद के बीच जब चीन ने अपना विमानवाही युद्धपोत वहां तैनात किया तो हालात शांत होने लगे. अमेरिका ने अपनी एयरलाइन कंपनियों से कह दिया कि वो विवादित इलाके में उड़ान भरते समय चीन के एयर डिफेंस जोन को मानें.

माना जा रहा है कि बीजिंग के कड़े रुख ने विरोधियों को पैर पीछे खींचने पर मजबूर किया है. लेकिन अमेरिकी कूटनीति इसका कैसे जवाब देगी इसका अंदाजा लगना अभी बाकी है.

अमेरिकी उप राष्ट्रपति दो दिन के दौरे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री ली केकियांग से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस बातचीत के बाद दोनों पक्षों का रुख ज्यादा साफ ढंग से सामने आएगा. दोनों पक्ष किस सीमा तक एक दूसरे की बात मानेंगे यह आने वाले दिनों में पता चल जाएगा.

ओएसजे/एजेए (एपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी