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इराक में यजीदियों की सुरक्षा की चुनौती

११ अगस्त २०१४

आइसिस के हमलों और बढ़ते प्रभाव के बीच इराकी प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी ने राष्ट्रपति फवाद मासूम पर संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया है. मालिकी ने अहम जगहों पर खास सैनिक तैनात कर दिए हैं.

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तस्वीर: Reuters

उधर अमेरिका कोशिश कर रहा है कि उत्तरी इराक की सिंजर पहाड़ियों में फंसे लोगों को कैसे निकाला जाए. इन्हें इस्लामी कट्टरपंथियों ने वहां भागने पर मजबूर किया है. चार रातों से अमेरिकी विमान इन पहाड़ियों पर राहत सामग्री गिरा रहे हैं. भरी गर्मी में सिंजर पहाड़ियां खतरे से खाली नहीं. गर्मी के कारण यहां भागे यजीदियों में से कई मारे गए हैं.

अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बेन रोह्ड्स ने रॉयटर्स समाचार एजेंसी को बताया, "हम लोगों को पहाड़ों से हटाने के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. कुर्द सेना हमारी मदद कर रही है और हम दूसरे अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से भी बात कर रहे हैं कि उन्हें सुरक्षित जगह पर कैसे लाया जाए." इराक में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने कहा है कि वह यजीदियों के निकलने के लिए एक मानवीय कॉरिडोर बनाने की कोशिश कर रहा है.

कौन हैं यजीदी

ये समुदाय पुराने जोराष्ट्रियन धर्म को मानता है. आइसिस ने धमकी दी है कि या तो वह इस्लाम धर्म स्वीकार कर लें या फिर उन्हें मार दिया जाएगा.

सिंजर इलाके के करीब 30,000 यजीदी उत्तरी इराक के कुर्द इलाके में पहुंच गए हैं. पहाड़ी इलाकों में बचे हुए यजीदियों को बचाना भी एक चुनौती है. रविवार रात तक अमेरिका के कार्गो विमानों ने इन लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई. उन्होंने करीब 74,000 खाने के पैकेट और 15,000 गैलन पानी वहां पहुंचाया.

जून में सीरिया के पास से शुरू हुए आइसिस के अभियान के बाद अब ये कट्टरपंथी गुट उत्तरी इराक के कई हिस्सों को कब्जा जमा चुके हैं.

उधर इराक के प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी ने सोमवार को एक टीवी संबोधन में घोषणा की कि वह देश के नए राष्ट्रपति फवाद मासूम के खिलाफ कानूनी शिकायत करने जा रहे हैं. मासूम कुर्द हैं. इस संबोधन के ठीक पहले राजधानी बगदाद के आस पास अहम हिस्सों में खास सेना तैनात कर दी गई.

मालिकी ने संदेश में कहा कि मासूम ने दो संवैधानिक उल्लंघन किए हैं एक तो चुनावों में जीती सबसे बड़ी पार्टी से उन्होंने तय सीमा के अंदर प्रधानमंत्री के उम्मीदवार बनाने के लिए नहीं पूछा और नई राष्ट्रीय एकता की सरकार के लिए भी नहीं.

अप्रैल के संसदीय चुनावों में मालिकी की पार्टी सबसे बड़ी बन कर तो उभरी लेकिन उसे बहुत बड़ी जीत हासिल नहीं हुई. देश के सुन्नी और कुर्द धड़े मालिकी के फिर से प्रधानमंत्री बनने का विरोध कर रहे हैं.

एएम/एजेए (रॉयटर्स, एएफपी)