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सबको मिलेगा मां का दूध

९ अगस्त २०१३

मां के दूध का कोई विकल्प नहीं होता लेकिन अलग अलग वजहों से कई बच्चों को यह नसीब नहीं हो पाता. पश्चिम बंगाल सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए देश का पहला ब्रेस्ट मिल्क बैंक खोला है.

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तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

ब्रेस्ट मिल्क बैंक राजधानी कोलकाता के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसएसकेएम में बनाया गया है. इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया. इस दौरान ममता बनर्जी ने कहा, "देश में ऐसे एकाध बैंक काम कर रहे हैं. लेकिन यह बैंक उन सबसे काफी बेहतर है. यह सरकारी क्षेत्र में खुलने वाला ऐसा पहला बैंक है. इस बैंक में तैनात कर्मचारियों को दो महीने तक प्रशिक्षण दिया गया है." अस्पताल में बच्चों को जन्म देने वाली सैकड़ों मांओं ने अतिरिक्त दूध का दान देकर इस बैंक को बनाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई है. मिल्क बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी प्रदीप मित्र ने बताया कि इस बैंक में पाश्चुराइजेशन की व्यवस्था है. इसकी वजह से शिशुओं को यहां से हमेशा शुद्ध दूध मिलेगा.

Indien Krankenhaus Milchbank Mamata Banerjee
तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

खासियत

कोलकाता के इस बैंक की खासियत यह है कि शिशु तक मां का दूध पहुंचाने की इस व्यवस्था की निगरानी पहले दौर से ही की जाएगी. यानी किसी मां के दूध दान करने के लिए आने के साथ ही. बैंक के प्रशासक अभिषेक बसु कहते हैं, किसी भी महिला की एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसे संक्रामक रोगों की जांच के बाद ही उसका दूध संग्रह किया जाएगा. उसके बाद उस दूध का वायरस टेस्ट किया जाएगा. वह बताते हैं कि वायरस टेस्ट और फिर पाश्चुराइजेशन करने के बाद दोबारा जीवाणुओं की जांच कर शुद्धता की पुष्टि के बाद ही वह दूध नवजात शिशु को दिया जाएगा. (बोतलों में बिकेगा मां का दूध)

कहां से आएगा दूध

अस्पताल में जिन महिलाओं को प्रसव होगा उनको काउंसिलिंग के जरिए अतिरिक्त दूध बैंक में दान करने की सलाह दी जाएगी. दूध लेने से पहले संक्रामक बीमारियों का पता लगाने के लिए उनकी जांच की जाएगी. हर महिला से अत्याधुनिक ब्रेस्ट पंप के जरिए सौ मिलीलीटर दूध लिया जाएगा. बसु बताते हैं कि बैंक में अत्याधुनिक फ्रीजर के जरिए माइनस 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर छह महीने तक इस दूध को सुरक्षित रखा जा सकता है. स्त्री व बाल रोग विभाग के एक डाक्टर दिलीप चटर्जी बताते हैं, समय से पहले संतान को जन्म देने वाली कई मांएं कमजोरी की वजह से अपने बच्चे को दूध नहीं पिला पातीं. इसके अलावा कई बार संक्रमण की वजह से भी डॉक्टर बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाने की सलाह देते हैं. ऐसे शिशुओं के लिए यह बैंक प्राणदायक साबित होगा. लगभग दौ सो महिलाएं अब तक इस बैंक में तीस लीटर दूध दान कर चुकी हैं.

अस्पातल के अधीक्षक और इससे जुड़े मेडिकल कालेज के वाइस-प्रिंसिपल डा. तमाल कांति घोष कहते हैं, "इस बैंक से उन नवजात शिशुओं को दूध मुहैया कराया जा रहा है जिनकी माएं या तो बीमार हैं या उनको दूध नहीं हो रहा है. यह दूध बिल्कुल मुफ्त होगा."

मरीजों को लाभ

मेदिनीपुर के एक गांव से आई फरीदा बेगम ने इसी सप्ताह एक बेटी को जन्म दिया है लेकिन उसे दूध ही नहीं हो रहा है. इस बैंक ने उसकी परेशानी दूर कर दी है. फरीदा कहती है, अब मेरी बेटी को मां का दूध मिल रहा है. समय से पहले पैदा होने की वजह से वह काफी कमजोर है लेकिन मुझे दूध ही नहीं हो रहा था. अब उसमें पोषण का अभाव नहीं होगा.

डा. घोष कहते हैं, यह बैंक नवजात शिशुओं को कुपोषण से तो बचाएगा ही, कुछ मामलों में उनके लिए संजीवनी भी साबित हो सकता है. अब बैंक में बड़े पैमाने पर दूध संग्रह करने का अभियान चलाया जाएगा ताकि जरूरत पड़ने पर इसे दूसरे सरकारी अस्पातलों में भी जरूरतमंदों को मुहैया कराया जा सके.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः एन रंजन