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समझ से परे और तकलीफदेह

अलेक्जांडर कुदाशेफ२७ मार्च २०१५

जर्मनविंग्स के को-पायलट पर विमान को जानबूझकर गिराने का संदेह है. डॉयचे वेले के मुख्य संपादक अलेक्जांडर कुदाशेफ का कहना है कि हादसे के बाद हम जवाब पाने की कोशिश कर रहे हैं और तकलीफ व एकजुटता महसूस कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Hitij

यह एक मानवीय त्रासदी है. एक को-पायलट आत्महत्या करता है, संभवतः क्योंकि उसके इरादों के बारे में अब तक पता नहीं है, फिर अपने जहाज को दुर्घटना की ओर ले जाता है और 149 लोगों की जान ले लेता है. आत्महत्या बेसहारा लोगों, निर्दोष सहयात्रियों के जनसंहार में बदल जाता है. पायलट में यात्रियों के भरोसे को तोड़ा जाता है. इसके बावजूद यह दुःस्वप्न एकाकी घटना है. एक तकलीफदेह एकाकी घटना.

स्वाभाविक रूप से अब उसके कारण खोजे जा रहे हैं. को-पायलट ने ऐसा क्यों किया? किसकी जिम्मेदारी या दोष है? क्या प्रशिक्षण के दौरान नहीं देखा जा सकता था कि इस व्यक्ति की क्या परेशानी है? क्या प्रशिक्षण और टेस्ट के दौरान ज्यादा मनोवैज्ञानिकों की जरूरत नहीं है? यह सुनने में अच्छा लगता है लेकिन हमने कितनी बार परिवार के झगड़ों में मनोवैज्ञानिकों को विफल होते देखा है. अक्सर वे पहचान नहीं पाते कि उनके सामने कैसा जटिल व्यक्तित्व बैठा है. और अब उन्हें पायलटों के प्रशिक्षण में जिम्मेदारी लेनी चाहिए ताकि समाज शांत हो सके. नहीं, ये कोई समाधान नहीं है. इतना ही नहीं लुफ्थांसा का पायलट प्रशिक्षण प्रोग्राम अपनी गुणवत्ता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है.

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मुख्य संपादक कुदाशेफतस्वीर: DW/M. Müller

जानबूझकर की गई दुर्घटना हमारी समझ से परे है. इसने हमें सदमे और तकलीफ में डाल दिया है. यह हमें प्रभावित कर रहा है. हम इस हादसे के आयाम को महसूस कर रहे हैं. हम समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हुआ होगा. हम तार्किक व्याख्या खोजने की कोशिश कर रहे हैं ताकि फ्रांस की पहाड़ियों में हुई दुर्घटना को समझने में आसानी हो.

लोग हादसे में मरे यात्रियों के परिजनों के साथ शोक मना रहे हैं. लुफ्थांसा ने प्रभावी तरीके से अपनी संवेदना दिखाई है और परिजनों को आवश्यक मदद का भरोसा दिलाया है. सरकारी अधिकारी और राजनीतिज्ञ भी लोगों की संवेदना में शामिल है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद, प्रधानमंत्री राखोय और जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल का दुर्घटनास्थल का दौरा यही दिखाता है. यह इस बात का सांकेतिक प्रतीक था कि दुख की इस बेला में यूरोप एकजुट है.

आल्प की पहाड़ियों में दुर्घटनास्थल के करीब रहने वाले लोगों की सहायता की तैयारी सराहनीय है. वह एक बार फिर दिखाता है कि फ्रांसीसी और जर्मन कितने हिलमिल गए हैं. यह एकजुटता जनवरी में शार्ली एब्दो पर हुए हमले के बाद भी सामने आई और अब इस हादसे के बाद भी. अक्सर शांत रहने वाली चांसलर अंगेला मैर्केल भी इस मौके पर गमगीन दिखीं. उन्होंने भावनाओं का प्रदर्शन किया. जर्मनी सदमे में है. जर्मनी शोक में है.