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समुद्री लुटेरे लगाते हैं 12 अरब डॉलर का चूना

१४ जनवरी २०११

एके 47 से लैस और छोटी जर्जर सी नावों में आने वाले सोमालियाई समुद्री लुटेरे दुनिया से हर साल लगभग 12 अरब डॉलर ठग रहे हैं. वे अदन की खाड़ी में जहाजों को अगवा कर मोटी फिरौती वसूल करते हैं.

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तस्वीर: dpa/Montage DW

कोलराडो स्थित वन अर्थ फाउंडेशन नाम की संस्था की रिपोर्ट कहती हैं कि समुद्री लुटेरों की वजह से दुनिया भर के देशों को हर साल 7 से 12 अरब डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. इसमें उन्हें दी जाने वाली फिरौती, जहाजों का रास्ता बदलने के कारण हुआ खर्च, समुद्री लुटेरों से लड़ने के लिए कई देशों की तरफ से नौसेना की तैनाती और संगठनों के बजट इस अतिरिक्त खर्च शामिल हैं.

बजट बढ़ा

अमेरिका, यूरोपीय संघ, चीन, रूस और जापान ने हिंद महासागर में समुद्री लुटेरों से लड़ने के लिए साझा कोशिशों के तहत नौसेना तैनात की है जिसके कारण इन देशों के राष्ट्रीय बजट और सैन्य बजट में बढ़ोत्तरी हुई है. शोध के मुताबिक इसमें से 95 हिस्सा सोमालिया के समुद्री डाकुओं पर खर्च किया जाता है. 2005 में नए सिरे से समुद्री डाकुओं का आतंक शुरू हुआ. उस वक्त उन्होंने बड़े और मालवाहक जहाजों पर हमला कर उन्हें अगवा करना शुरू किया. सोमालिया के अलावा समुद्री डाकुओं का आतंक गयाना की खाड़ी, मलाक्का जलडमरूमध्य और नाइजीरिया के इलाके में है.

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अदन की खाड़ी में यूरोपीय संघ का समुद्री लुटेरों पर हमला नौसेनिक अभियानतस्वीर: picture-alliance/dpa

लंदन में विदेश नीति से जुड़े थिंक टैंक कैथेम हाउस के शोध में कहा गया है कि 2006 से करीब 1,600 समुद्री लूट के मामले दर्ज किए गए हैं जिसमें 54 लोगों की मौत हुई है. रिसर्च प्रोजेक्ट की निदेशक अन्ना बोडन कहती हैं, "इनमें कुछ खर्च तो बहुत ही ज्यादा बढ़े हैं. सोचने की बात यह है कि यह खर्च सिर्फ लक्षणों का इलाज करने पर किया जा रहा है, समस्या के मूल कारण को खत्म करने के लिए कुछ नहीं हो रहा."

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अदन की खाड़ी में पुर्तगाल के सैनिकों की गिरफ्त में आए समुद्री डाकूतस्वीर: dpa

ऊंची फिरौती

अन्ना बोडन कहती हैं कि लुटेरे बहुत ही ऊंची फिरौती मांगते हैं. नवंबर में दक्षिण कोरिया की एक कंपनी ने अपने एक टैंकर को रिहा कराने के लिए 95 लाख डॉलर चुकाए. जनवरी 2010 में ग्रीस के सुपर टैंकर की रिहाई के लिए 70 लाख डॉलर दिए गए. यह टैंकर 16 करोड़ से ज्यादा का तेल अमेरिका ले जा रहा था. 2010 में फिरौती के लिए औसतन 54 लाख डॉलर खर्च हुए जबकि 2009 में 34 लाख और 2005 में डेढ़ लाख डॉलर दिए गए थे.

शोध का मानना है कि 2009-10 में कुल साढ़े 42 करोड़ डॉलर की फिरौती समुद्री लुटेरों को दी गई. अगर बातचीत और डिलीवरी फीस को जोड़ दिया जाए तो यह लागत 83 करोड़ के आसपास आएगी.

हिंद महासागर में समुद्री लुटेरों के आतंक के कारण दुनिया भर से 10 फीसदी से ज्यादा जहाजों ने अपना रास्ता बदला. इस कारण मिस्र जैसे देशों को नुकसान हो सकता है क्योंकि उन्हें स्वेज नहर से जहाजों के जाने से आदमनी होती है. शोध के मुताबिक मिस्र को जहाजों के रास्ता बदलने के कारण 20 फीसदी राजस्व का नुकसान हो रहा है. साथ ही शोध ने संकेत दिया है कि शिपिंग कंपनियों से जानकारी प्राप्त करना मुश्किल होता है.

रिपोर्टः डीपीए/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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