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समुद्र के साथ कौन बचेगा, जीवन या मृत्यु?

४ अक्टूबर २०१६

जर्मनी के हेल्गोलैंड द्वीप पर समुद्रविज्ञानी लगभग 100 साल से रिसर्च कर रहे हैं. यह रिसर्च हमारी आपकी जिंदगी के लिए बहुत अहम है.

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Deutschland Insel Mainau im Bodensee mit Litzelstetten
तस्वीर: Imago/bodenseebilder.de

हेल्गोलैंड द्वीप के पास शोधकर्ता पीढ़ियों से नॉर्थ सी पर नजर रख रहे हैं. समुद्रविज्ञानी बताती हैं, "हम यहां तापमान मापते हैं क्योंकि यह काम हम यहां सौ साल से कर रहे हैं. हर सुबह सतह पर और एक मीटर नीचे. और सचमुच हमेशा एक ही थर्मामीटर से. और ये सही है कि हमने ऐसा किया है क्योंकि तापमान लगातार बढ़ता गया है."

समुद्र के अंदर की दुनिया बदल रही है. पिछले कुछ सालों के अध्ययन बताते हैं कि पानी गर्म होता जा रहा है. डायटम अल्गी की मात्रा बढ़ती जा रही है. हेल्गोलैंड द्वीप पर हो रही जांच से समुद्र की स्थिति का पता चलता है. धरती पर जीवन के लिए ये जानकारियां बहुत महत्वपूर्ण हैं. विल्टशर के शब्दों में, "हमारे समुद्रों के बिना जमीन पर मौसम का हाल एकदम अलग होगा. इसलिए यह समझना बहुत जरूरी है कि वे कैसे काम करते हैं. खासकर अब जबकि सबकुछ बदल रहा है, वातावरण बदल रहा है, कार्बन डाय ऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ रहा है और ग्लोबल वॉर्मिंग हो रही है. ऐसे में समुद्र में प्रतिक्रिया होगी और हम जानना चाहते हैं कि वह कैसी प्रतिक्रिया कर रहा है."

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वैज्ञानिकों के पास एक ऑटोमैटिक मेजरमेंट सिस्टम है जो तापमान, खारेपन और पीएच वैल्यू को लगातार मापता रहता है. और इससे रिसर्चरों को रात दिन या मौसम का फर्क भी पता चलता है. लेकिन पानी का बढ़ता तापमान एकमात्र समस्या नहीं है. विल्टशर बताती हैं कि इस समय की एक प्रमुख समस्या है समुद्री पानी का अम्लीकरण. जांच से ये कतई स्पष्ट नहीं है कि तटीय इलाके के समुद्र का अम्लीकरण हो रहा है या नहीं क्योंकि इसके बारे में वैज्ञानिकों के पास कोई डाटा नहीं है. लेकिन समुद्र के अंदर के बारे में मालूम है कि उसका अम्लीकरण हो रहा है. इसका असर समुद्री जीवों पर हो रहा है. पर ऐसी जानकारी सागरों को बचाने के लिए काफी नहीं है. इसके लिए फैसलों और उन पर अमल की जरूरत है. कारेन विल्टशर कहती हैं, "हम वैज्ञानिक हमेशा राजनीतिज्ञों और स्टेकहोल्डरों के साथ संवाद करने के उपयुक्त नहीं होते, संचार तकनीक की दृष्टि से भी नहीं. लेकिन अब ये भी हमारी जिम्मेदारी होती जा रही है कि विज्ञान को वहां पहुंचाया जाए जहां दिलचस्पी है और जरूरत भी."

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हर प्रजाति बदलाव को महसूस कर रही है. दुनिया भर के युवा वैज्ञानिक एक साल के लिए हेल्गोलैंड आते हैं. जापान के हिरोशी इनू केकड़ों पर शोध कर रहे हैं. यह उत्तरी सागर में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण जीव है. लेकिन खतरे में है. इसलिए हिरोशी इस बात पर शोध कर रहे हैं कि केकड़े बदलते मौसम के साथ किस तरह सामंजस्य बिठा रहे हैं. वह कहते हैं, "क्लाइमेट चेंज को सिर्फ एक देश नहीं रोक सकता. पूरी दुनिया को सहयोग करना होगा. एक देश इसे नहीं सुलझा सकता."

समुद्र भविष्य में भी बने रहेंगे. सवाल ये होगा कि कौन उसके अंदर और उसके साथ जी पाएगा.

माबेल गुंडलाख/एमजे