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सरक रहा है यूरोप का सबसे ऊंचा पुल

१३ जनवरी २०१७

10 पिलरों की मदद से 1700 मीटर लंबा पुल, वो भी 160 मीटर की ऊंचाई पर. जर्मनी के इंजीनियर मोजेल नदी के ऊपर यूरोप का सबसे ऊंचा पुल बना रहे हैं.

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Hochmoselbrücke Zeltingen-Rachtig
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T.Frey

यूरोप का सबसे ऊंचा रोड पुल, जो 1700 मीटर लंबा होगा और नदी को 160 मीटर की ऊंचाई पर पार करेगा.  कंक्रीट के दस मजबूत स्तंभों पर पुल बनाना प्रमुख चुनौती है. इन पिलरों को 25 हजार टन से ज्यादा का वजन बर्दाश्त करना होगा. स्टील का यह पुल 82 अलग अलग सेगमेंट वाला है जिन्हें पहले एसेंबल किया जाता है और उसके बाद धीरे धीरे घाटी की दूसरी तरफ धकेला जाता है.

पुल बनाने की योजना दस साल पहले शुरू हुई. निर्माण में लगे मजदूर और इंजीनियर अब प्रोजेक्ट पूरा करने की ओर बढ़ रहे हैं. निर्माण के दौरान मिलीमीटर जैसी बारीकी का भी ध्यान रखा जाता है. जरा सी चूक डिजायन, सुरक्षा और पूरे प्रोजेक्ट को खतरे में डाल सकती है. इंजीनियर पक्का करते हैं कि ऐसा न हो. आए दिन साइट पर रहने वाले सिविल इंजीनियर बेर्न्ड थावर्न कहते हैं, "यह ऐसा पुल है जिसे रोज नहीं बनाया जाता. मोजेल नदी पर स्थिति घाटी को 150 मीटर ऊंचे स्तंभों पर पार करना. इस घाटी में चलने वाली तेज हवा के कारण भी पुल निर्माण में भारी चुनौती आती है."

ये पिलर गगनचुंबी इमारतों जैसे हैं और उन्हें स्थिर करने के लिए जमीन के अंदर मजबूत और गहरी बुनियाद डाली गई है. एक छोटी लिफ्ट के जरिए बैर्न थावर्न साइट की सबसे ऊंची जगह पर पहुंचते हैं. इस पिलर की ऊंचाई जल्द ही 150 मीटर हो जाएगी. यहां मजदूरों को अपना सामान और मैटीरियल छोटी जगह पर इधर उधर ले जाना पड़ता है और वो भी सुरक्षा का ख्याल रखते हुए.

Hochmoselbrücke Computer Simulation
पूरा होने के बाद ऐसा दिखेगा पुलतस्वीर: Getty Images/Landesbetrieb Mobilität Trier

इस साइट से जर्मनी की सबसे खूबसूरत और पुरानी वादी का नजारा दिखता है. यहां पहला पुल रोमन साम्राज्य के दौरान 1700 साल पहले बनाया गया था. आज हाईटेक पुल की जिम्मेदारी जर्मन इंजीनियरों ने ले ली है.  29 मीटर चौड़े स्टील के भारी ढांचे को पुल के पिलरों के ऊपर धकेलना आसान काम नहीं. लेकिन जर्मन इंजीनियरों ने इसका नायाब तरीका निकाला है. थावर्न कहते हैं, "ये हमारा हाल ही बनाया गया ब्रिज थ्रस्ट सिस्टम है, जिसे हमने हर पिलर पर इंस्टॉल किया है. हाइड्रॉलिक कम्प्रेशर पुल को धीरे धीरे पीछे की तरफ धकेला जाता है. "

हाइड्रॉलिक कम्प्रेशर का इस्तेमाल कर इंजीनियर, टेफलॉन कोटेड बॉल बियरिंग के सहारे पुल के ढांचे को घाटी में करीब दो किलोमीटर पीछे तक धकेलना चाहते हैं. पुल को सेंटीमीटर दर सेंटीमीटर पीछे धकेला जाएगा. टाइम लैप्स फोटोग्राफी के जरिए इस प्रक्रिया को देखा जा सकता है.

स्टील का ढांचा 300 मीटर लंबे प्रीएसेंबली एरिया में बनाया जाता है. यह इस तरह डिजायन किया गया है कि दशकों तक ट्रैफिक और मौसम का दबाव सह सके. अत्याधुनिक वेल्डिंग तकनीक का इस्तेमाल कर उच्च क्षमता वाले स्टील के हिस्सों को जोड़ा जाता है. अंत में हजारों टन वेल्डिंग मैटीरियल, इस पुल को संभाले रखेगा.

पुल के पहले से जोड़े गए हिस्सों को विशेष गाड़ियों में ही कैरेजवे की जगह पर लाया जा सकता है. फिर हुक और चेन की मदद से विशेष क्रेनों द्वारा उन्हें तयशुदा जगह पर पहुंचाया जाता है. मॉड्युलर सिस्टम की तरह हर हिस्से को जोड़ कर एक बड़ा बॉक्स सा बनाया जाता है और फिर उसकी वेल्डिंग होती है.

 पुल के बड़े बड़े हिस्से को सटीक तरीके से खिसकाने के लिए ज्यादा लोगों की जरूरत नहीं होती. विशेषज्ञों की एक अनुभवी टीम कंक्रीट और स्टील से कारीगरी का अद्भुत नमूना तैयार कर रही है. काम पूरा होने तक पुल बनाने पर 40 करोड़ यूरो का खर्च आएगा.

एमजे/ओएसजे