1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सारकोजी ने उठाया सुरक्षा परिषद के विस्तार का मसला

२७ जून २०१०

जी-8 देशों के सम्मेलन में फ्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विस्तार का प्रस्ताव रखा है. फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने की मांग की है.

https://p.dw.com/p/O4Ba
सुरक्षा परिषद में शक्ति संतुलन की मांगतस्वीर: AP

सारकोजी ने कहा है कि फ़्रांस और ब्रिटेन ने सुरक्षा परिषद में अंतरिम सुधार का प्रस्ताव दिया है और जर्मन चांसलर ऐंगेला मैर्केल भी इस मांग का समर्थन कर रही हैं. इन प्रस्तावों को तैयार करने के साथ जुड़े देशों के राजनयिकों ने प्रस्ताव के बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया है.

लेकिन यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमन फान रोमपॉय ने इन प्रस्तावों को सुरक्षा परिषद में संतुलन लाने की महत्वपूर्ण शुरूआत बताया है. उन्होंने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बनने के 50 सालों के बाद अब वक्त आ गया है जब इसे एक बार फिर संतुलित किया जाए.

Treffen Merkel Sarkozy in Berlin
ऐंगेला मैर्केल का समर्थनतस्वीर: apn

विकासशील देश लंबे समय से ये कहते रहे हैं कि वर्तमान सुरक्षा परिषद में शक्ति संतुलन ठीक नहीं है. इसमें शामिल सारे स्थायी सदस्य विकसित देशों से हैं. ख़ासतौर से भारत, दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील को सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में शामिल करने की मांग अब और टाली नहीं जा सकती. रोमपॉय का कहना है कि जी-8 देशों के राष्ट्रप्रमुखों की मुलाक़ात में डिनर के वक्त इस पर लंबी चर्चा हुई. संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों के पास ही वीटो करने का अधिकार है. दुनिया के ज्यादातर देश अब ये मानते हैं कि इसमें विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व भी होना चाहिए. सुरक्षा परिषद के पांच में से चार देश ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और अमेरिका जी-आठ के भी सदस्य हैं. इन चारों देशों के अलावा जी-20 की बैठक के दौरान पांचवां सदस्य चीन भी मौजूद होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन

संपादनः महेश झा