1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सिगरेट को कंगारू किक

१५ अगस्त २०१२

ऑस्ट्रेलिया ने दुनिया भर से कहा है कि वह तंबाकू पर रोक लगाने के लिए मार्केटिंग पर उसके जैसा फॉर्मूला अपनाए. वहां की सर्वोच्च अदालत ने सिगरेट कंपनियों की सादे डिब्बे वाली चुनौती याचिका को खारिज कर दिया है.

https://p.dw.com/p/15ppk
तस्वीर: picture-alliance/dpa

तंबाकू की बड़ी कंपनियां ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको, ब्रिटेन की इम्पीरियल टोबैको, फिलिप मॉरिस और जापान टोबैको ने ऑस्ट्रेलिया की हाई कोर्ट में कानून को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि इससे उनके बौद्धिक संपदा अधिकार का हनन होता है. उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताया था. इसके बाद एक छोटे से बयान में हाई कोर्ट ने कहा कि सात जजों वाली बेंच का मानना है कि इससे बौद्धिक संपदा अधिकार का हनन नहीं होता है.

इस फैसले का मतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में अब सिगरेट सिर्फ काही हरे पैकेट में बिना मार्के के बिकेंगे. इनमें सेहत को ध्यान में रखते हुए चेतावनी भी प्रदर्शित करनी होगी. यह कानून एक दिसंबर से लागू हो जाएगा. यह नियम विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिशों के अनुकूल लागू किया गया है. इस नियम पर न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, कनाडा, भारत और नॉर्वे जैसे देशों की पैनी नजर है, जो तंबाकू सेवन पर रोक लगाना चाहते हैं.

Deutschland Rauchen Frau mit Zigarette
तस्वीर: AP

ऐतिहासिक कदम

ऑस्ट्रेलिया के अटॉर्नी जनरल निकोला रॉक्सन ने इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे "दुनिया भर में तंबाकू नियंत्रण के लिए एक ऐतिहासिक कदम" बताया. उन्होंने कहा, "दुनिया भर को यह संदेश गया है कि बड़ी तंबाकू कंपनियों के खिलाफ भी कदम उठाया जा सकता है और उन्हें पराजित किया जा सकता है." रॉक्सन जब 10 साल की थीं, तो बहुत ज्यादा सिगरेट पीने वाले उनके पिता की कैंसर से मौत हो गई थी.

फैसले के बाद उन्होंने कहा, "अगर सरकार तंबाकू कंपनियों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाएगी, तो वे यही मानेंगे कि हम समझ रहे हैं कि तंबाकू कोई लत नहीं है और इससे बीमारी नहीं होती."

उधर, न्यूजीलैंड की स्वास्थ्य उप मंत्री तारियाना तूरिया ने कहा कि इस फैसले के बाद न्यूजीलैंड में इस बात का भरोसा बढ़ा है कि सादे डिब्बे में सिगरेट की बिक्री संभव हो सकती है,. तूरिया ने स्मोकिंग के खिलाफ कड़ा अभियान चला रखा है. उनका कहना है, "हालांकि हमारे कानून पड़ोसी मुल्क ऑस्ट्रेलिया से अलग हैं लेकिन इस फैसले के बाद हम काफी सुरक्षित महसूस कर रहे हैं."

कालाबाजारी को बढ़ावा

हाई कोर्ट के फैसले को सिगरेट कंपनियों के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है और अब इस बात की कोई संभावना नहीं रह गई है कि इसके खिलाफ अपील की जा सके. ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको का कहना है कि इसकी वजह से सिगरेट की कालाबाजारी शुरू हो सकती है. इसके प्रवक्ता स्कॉट मैकलिनटायर का कहना है, "यह एक खराब कानून है और इससे संगठित अपराध को बढ़ावा मिलेगा, जो गैरकानूनी ढंग से सड़कों पर सिगरेट बेचा करेंगे."

Symbolbild Rauchen verboten Schild
तस्वीर: Fotolia/nectarina2011

उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि सरकार ने हमसे हमारा बौद्धिक संपदा अधिकार छीन लिया है. फिर भी हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि तय वक्त से हम सादे डिब्बे में सिगरेट की बिक्री शुरू कर सकें."

ऑस्ट्रेलिया की चुनौती

हालांकि सादे पैकेट में सिगरेट बेचे जाने के बाद भी कई तरह की चुनौतियां बची रहेंगी. विश्व व्यापार संगठन में ऑस्ट्रेलिया यूक्रेन, होंडुरास और डोमिनिकन रिपब्लिक जैसे देशों से व्यापार कानून पर लड़ रहा है, जिनका आरोप है कि ऑस्ट्रेलिया के कानून की वजह से उनके व्यापार को धक्का लग रहा है. हालांकि इन देशों के साथ ऑस्ट्रेलिया के व्यापारिक रिश्ते बहुत कम हैं.

फिलिप मॉरिस कंपनी का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया और हांग कांग के व्यापारिक समझौते के तहत वह इस फैसले को चुनौती देगी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया भर में एक अरब लोग सिगरेट पीते हैं, जिनमें से 80 फीसदी लोग निचले और मध्यम वर्ग के हैं. ऑस्ट्रेलिया की आबादी का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा सिगरेट पीता है और वह इस आंकड़े को घटा कर 2018 तक 10 फीसदी पर लाना चाहता है.

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी