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सियाचिन पर बर्फीले हालात

११ जून २०१२

भारतीय और पाकिस्तान के रक्षा सचिवों ने सोमवार को सियाचिन के मुद्दे पर बात की ताकि दुनिया के सबसे ऊंचे तनाव के क्षेत्र से सैनिकों को हटाया जा सके.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

7 अप्रैल को बर्फ धंसने के कारण पाकिस्तान के 140 सैनिकों की मौत हो गई. इसके तुरंत बाद पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख ने अपील की कि यहां से सेनाएं हटा दी जानी चाहिए. लेकिन भारत, जिसने 1984 में इस ग्लेशियर पर कब्जा किया था, वह इस जगह को पाकिस्तान पर नजर रखने के लिए महत्वपूर्ण मानता है और कश्मीर विवाद के कारण रणनीतिक दृष्टि से भी अहम. 

भारत पाकिस्तान मामलों के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ मट्टू कहते हैं, "भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव थोड़े कम हो गए हैं. खासकर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी अजमेर शरीफ आने के बाद और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत के बाद. लेकिन सियाचिन एक ऐसा मुद्दा है जहां कोई बड़ा फैसला होना बहुत मुश्किल है. क्योंकि अगर कोई ऐसा मुद्दा है जो भारत और पाकिस्तान के बीच अविश्वास नहीं होने का प्रतीक है तो वह है सियाचिन मुद्दा."

Pakistan Indien Siachen-Gletscher
तस्वीर: dapd

रावलपिंडी में दो दिवसीय बातचीत से पहले ही भारत से रक्षा मंत्री एके एंटनी ने आगाह कर दिया था कि इस बातचीत में शायद ही कुछ नया उभर कर आए. "भारत पाकिस्तान के सामने साफ साफ अपनी बात रख देगा. किसी नाटकीय घोषणा या फैसले की अपेक्षा मत कीजिए, उस मुद्दे पर जो हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे अहम है."

अमिताभ मट्टू मानते हैं कि इससे लोगों की राष्ट्रीय भावनाएं जुड़ी हुई हैं. "जर्मनी और फ्रांस सौ दो सौ साल आल्सेस लोरन पर लड़ते रहे. कोई उसके बारे में जानता भी नहीं था. इतिहास को बिना देखे हुए लोग जजमेंट देते हैं लेकिन यह मुद्दा (सियाचिन) बना हुआ है इससे राष्ट्रीय भावना, लोगों की भावनाएं, सोच गहरी जुड़ी हुई हैं. यह इतनी आसानी से हल नहीं होने वाला है."

वहीं पाकिस्तान में राजनीतिक विश्लेषक हसन अस्करी रिजवी कहते हैं कि सैद्धांतिक तौर पर हल निकालने के लिए भारत और पाकिस्तान को 1984 में लौटना चाहिए और इस इलाके को सैनिक विहीन इलाका घोषित कर दें. "आपसी समझौते से एक कमेटी बनाई जा सकती है कि लोग यहां पर्वतारोहण के लिए, ग्लेशियर शोध करने के लिए आ सकते हैं. तो मुझे लगता है कि विसैन्यिकरण इकलौता हल है इसके अलावा कोई और हल हो ही नहीं सकता." 

भारतीय प्रतिनिधमंडल का नेतृत्व एसके शर्मा कर रहे हैं जबकि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई नरगिस सेठी कर रहे हैं. भारतीय प्रतिनिधि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री नवीद कमर से भी मिले. इस बारे में साझा वक्तव्य मंगलवार को दिया जाएगा.

भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हुए हैं जिनमें से दोने दो बार कश्मीर पर भिड़े. पिछले साल दोनों देशों ने शांति वार्ता की फिर से शुरुआत की थी, लेकिन उस बैठक में भी कोई ठोस फैसले निकल कर सामने नहीं आए. पिछले गुरुवार को सियाचिन मुद्दे पर भारत में सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी लेकिन इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई. समाचार एजेंसी एएफपी ने भारतीय सैन्य अधिकारी के हवाले से लिखा है कि भारत का सियाचिन पर मत साफ है और इन्हीं मानकों के आधार पर पाकिस्तान के साथ बातचीत होगी. पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच फिलहाल व्यापार बातचीत चल रही उसे हल किया जाना चाहिए. दोनों देशों के बीच कम संवेदनशील मामलों पर पहले करार होना चाहिए, सियाचिन एक गंभीर मुद्दा है.

रिपोर्टः आभा मोंढे(एएफपी)

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन