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"सिर्फ आईटी से भारत का काम नहीं चलेगा"

१९ नवम्बर २०१०

दुनिया के कई देश भारत के साथ परमाणु सहयोग के रास्ते तलाश रहे हैं. इनमें रूस और फ्रांस जैसे प्रमुख ताकतवर देश भी शामिल हैं. भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार आर चिंदबरम मानते हैं कि भारत इस क्षेत्र में बड़ी ताकत होगा.

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तस्वीर: DW/AP

भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते के बाद परमाणु सप्लाई के लिए बनाए गए दिशा निर्देशों में कुछ बदलाव हुआ है. इसके बाद फ्रांस और रूस समेत कई देश भारत से इस मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं. चिदंबरम ने ऊर्जा तकनीक, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण में बदलाव विषय पर आयोजित चर्चा में हैदराबाद के कॉलेज ऑफ डिफेंस में इन मुद्दों पर चर्चा की.

चिदंबरम ने कहा, "फ्रांस और रूस न सिर्फ भारत में अस्थायी बाजार की ओर देख रहे हैं बल्कि उनकी निगाह भारत के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पांव फैलाने पर है." चिदंबरम कहते हैं कि भारत का भी यही लक्ष्य होना चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें पहले अपने स्तर पर वैश्विक बाजारों में पहुंचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए. उसके बाद अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ओर देखना चाहिए."

भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते के बाद परमाणु ऊर्जा के अनुमान बढ़ाए गए हैं. भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर के पूर्व निर्देशक चिदंबरम ने बताया कि अब उम्मीद की जा रही है कि 2032 तक 60 हजार मेगावॉट परमाणु ऊर्जा की जरूरत होगी.

चिदंबरम ने इस बात पर जोर दिया कि देश से निर्यात हो रही सूचना तकनीक ने काफी पैसा पैदा किया है लेकिन भारत को अगर एक विकसित देश बनना है तो विनिर्माण में उसे ग्लोबल लीडर बनना होगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एमजी

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