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सीरियाई दुल्हनों की शर्म

१ मई २०१४

शादी करने जा रही इस जवान सीरियाई औरत ने अपने परिवार वालों को छोड़ कर यह बात किसी को नहीं बताई है. वह शादी करने जा रही है और इस बात को तो फिलहाल सात पर्दों में ही रखना चाहेगी.

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तस्वीर: DW/R. Asad

राजधानी दमिश्क में पिछले दिनों 32 साल की इस महिला को सुरक्षा बलों ने उठा लिया. इसे कई हफ्तों तक अपने पास रखा और इसका इस्तेमाल विद्रोहियों के कब्जे वाले दमिश्क के इलाके में नागरिकों तक रसद पहुंचाने में किया. अब उसे छोड़ दिया गया है. वह इस हादसे से पार पाना चाहती है.

तिनका तिनका जिंदगी

सीरिया का तीन साल पुराना संकट जीवन के हर हिस्से को झकझोर रहा है. इस औरत और उसकी मां को डर है कि कहीं यह बात पता चल जाए, तो फिर कोई इससे शादी नहीं करेगा. हालांकि औरत कहती है कि शादी से पहले वह अपने जीवनसाथी को इसके बारे में जरूर बताएगी, "हमें उन्हें बताना होगा कि मुझे पकड़ कर रखा गया. शायद हम अगली मुलाकात में बता देंगे. यह बहुत जरूरी है."

औरत अपनी पहचान छिपाने के लिए कहती है कि उसे माई नाम से पुकारा जाए. उसकी मां का कहना है, "मुझे बस बुरा लग रहा है. मेरी बेटी को पकड़ कर रखा गया. मुझे कभी नहीं लगता था कि मैं यह दिन देखूंगी."

सीरिया के हर शख्स को इस बात का डर है कि अगर सुरक्षा बलों की नजर उन पर पड़ गई, तो उन्हें भी पकड़ा जा सकता है. कार्यकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार ग्रुपों ने बार बार इस बात का जिक्र किया है. महिलाओं को पकड़ने के बाद उनसे पूछताछ करते हुए उनके कपड़े भी उतरवाए जाते हैं और कई बार उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना भी करना पड़ता है.

औरत की कहानी

न्यूयॉर्क के ह्यमून राइट्स वॉच का कहना है कि उसने पिछले साल 10 ऐसी महिलाओं से बात की और इनमें से आठ ने कहा कि उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. हालांकि हिरासत में पुरुषों के साथ भी बदतमीजी होती है लेकिन महिलाएं किसी बात का जिक्र करने से कतराती हैं. माई की बहन कहती हैं, "माई का मंगेतर तो जरूर सोच सकता है कि हिरासत में क्या हुआ होगा, क्या उसके कपड़े उतरवाए गए होंगे, क्या उसके साथ कुछ गलत तो नहीं किया गया होगा."

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तस्वीर: DW/R. Asad

हालांकि माई आंखों में आंखें डाल कर बात करना जानती है. उसने साफ कहा कि उसके साथ कोई ऐसी घटना नहीं हुई. उसका कहना है कि कुछ जवानों ने सख्त लहजे में पूछताछ की लेकिन इसके बाद उसे नजरबंदी में डाल दिया गया. हालांकि दोस्तों और रिश्तेदारों को लगता है कि असली कहानी कुछ और है, जिसे सामने आने में वक्त लगेगा. उसकी बहन कहती है, "जब वह लौट कर आई, तो मैंने नहाते वक्त उसके शरीर को देखा. वहां किसी तरह का निशान नहीं है. लेकिन मुझे अभी भी चिंता हो रही है कि क्या वह चुपचाप कुछ सह तो नहीं रही है."

कैसा कैसा संकट

बेतूल की कहानी तो अलग है, लेकिन औरत की विवशता जरूर बयान करती है. अलेप्पो शहर में तनाव के बाद वह अपने मां बाप को छोड़ कर दमिश्क आ गई. यहां अपनी दादी के पास रहती है. 19 साल की बेतूल अब शादी करना चाहती है लेकिन सारी बातें आड़े आ रही हैं. उसकी दादी कहती हैं, "मुझे लगता है कि वे एक जवान औरत को इस दशा में देख कर मनमानी करते हैं, जो अपने परिवार से दूर है. उन्हें लगता है कि वे इसका फायदा उठा सकते हैं."

बेतूल बताती है कि कई रिश्तों को ठुकराना पड़ा क्योंकि लड़के गलत जानकारी दे रहे थे, "एक शख्स मुझसे शादी करना चाहता था, पैसे और घर देना चाहता था. लेकिन इस बात को सार्वजनिक नहीं करना चाहता था." जाहिर है कि वह अनैतिक संबंध के लिए ऐसा करना चाहता होगा. एक दूसरा मर्द अपनी उम्र गलत बता रहा था.

दहेज नहीं मिल रहा

दादी कहती हैं कि बेतूल को सही दहेज भी नहीं मिल रहा है, "मुझे लगता है कि लोग कम दहेज देना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि बेतूल मुसीबत में है, घर बार छोड़ कर बाहर रह रही है." इस्लामी नियमों के मुताबिक शादी के वक्त मर्दों को अपनी औरतों के लिए दहेज देना पड़ता है, जो आम तौर पर जेवरात और नगदी होती है.

उधर, माई अपने होने वाले शौहर को सारी बातें बताने पर अड़ी है, "यह उसका टेस्ट होगा कि वह मेरी बात सुनता है या भाग खड़ा होता है. अगर वह भाग जाएगा, तो वह सरकार का आदमी है, नहीं तो ठीक है." लेकिन मां तो मां है. वह क्या करे, "मैं तो चाहती हूं कि बस किसी तरह उसकी शादी हो जाए."

एजेए/एमजे (रॉयटर्स)