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सीरिया पर उलझन में अमेरिका

२५ जुलाई २०१३

सीरिया में अमेरिकी सेना की दखलंदाजी देश पर बड़ा आर्थिक बोझ डाल सकती है. सैन्य विकल्पों और उन पर खर्च की रूपरेखा सामने रखते हुए सेना के एक जनरल ने अमेरिका को सावधान किया है.

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तस्वीर: Getty Images

अमेरिकी सेना के उप प्रमुखों के चेयरमैन जनरल मार्टिन डेम्पसी ने देश के सांसदों को साफ साफ बता दिया है चौथी बड़ी सैन्य कार्रवाई में कितना जोखिम हो सकता है. जनरल डेम्पसी ने चेतावनी दी हे कि सीरिया के गृहयुद्ध में सेना का इस्तेमाल "जंग से कम नहीं" होगा और अमेरिका को "उसके बाद क्या होगा इसके लिए तैयार रहना चाहिए."

पिछले हफ्ते एक तनावपूर्ण बहस में अमेरिकी सांसद जॉन मैककेन ने जनरल डेम्पसी से पूछा था कि अमेरिका को सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं. सोमवार को डेम्पसी ने सीनेट की आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन कार्ल लेविन के पास इसका जवाब पत्र में लिख कर भेजा. इसमें डेम्पसी ने सीरिया में अमेरिका के लिए तमाम विकल्पों की चर्चा की है. इसमें विरोधियों को प्रशिक्षण से लेकर जॉर्डन और तुर्की की सीमा से लगते असैनिक इलाकों की रक्षा के लिए जमीन पर सैनिक उतारने तक के विकल्प शामिल हैं.(अमेरिका के सीरिया फैसले पर विवाद)

Syrien - Rebellen im Kampf
तस्वीर: Getty Images

अनचाहे नतीजे

डेम्पसी ने चेतावनी दी है कि सैनिक कार्रवाई पर कई अरब डॉलरों का खर्चा आएगा और अंत में यह अमेरिका के चेहरे पर एक धब्बा बन कर रह जाएगा. जनरल ने पत्र में अफगानिस्तान और इराक का हवाला दे कर लिखा है, "पिछले दस सालों से हमने सीखा है कि एक काम करती सरकार को बचाने के लिए क्या जरूरी है इसके बारे में बिना सोचे समझे केवल सैन्य संतुलन में बदलाव करना ही काफी नहीं है." अमेरिकी सैन्य अधिकारी ने कहा है कि हमारी कार्रवाई से होने वाले अनचाहे नतीजों के बारे में भी हमें पहले से ही सोच लेना चाहिए. डेम्पसी ने लिखा है, "क्या एक व्यवहारिक विकल्प की गैरमौजूदगी में सरकारी संस्थाएं बिखर जाएंगी, हम असावधानी में चरमपंथियों को ताकतवर बना सकते हैं या जिन रासायनिक हथियारों पर हम नियंत्रण चाहते हैं उन्हें ही बेलगाम कर सकते है."

जनरल के जवाब पर प्रतिक्रिया में जॉन मैककेन ने कहा है कि वह डेम्सपी के नॉमिनेशन को आगे बढ़ाने के लिए कहेंगे, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने सीरिया में सैन्य विकल्पों पर उनके जवाब को "बेहद निराशाजनक" कहा है. मैककेन ने पत्रकारों से कहा, "इसका उन सच्चाइयों और चुनौतियों से कोई वास्ता नहीं जिनका हम सामना कर रहे हैं. दर उसल उन्होंने हालात का ऐसा ब्यौरा दिया है जिसमें दखल देना नामुमकिन है और यह सच नहीं है."

Senator John McCain
तस्वीर: imago/UPI Photo

खर्च का सवाल

अपने पत्र में डेम्पसे ने पांच विकल्प दिए हैं. सीरिया के विपक्षियों को प्रशिक्षण, असद के भारी हथियारों पर सीमित हवाई हमले, नो फ्लाई जोन लागू करना, असैनिक क्षेत्र बनाना और रासायनिक हथियारों की रक्षा इसमें शामिल है. डेम्पसे के मुताबिक प्रशिक्षण अभियान पर करीब 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का खर्च आएगा जबकि बाकी के विकल्पों पर हर महीने करीब 1 अरब डॉलर खर्च होंगे. मध्य पूर्व मामलों के जानकार आरम नेर्गुजियान का कहना है कि डेम्पसी के पत्र से कोई विकल्प असंभव नहीं मालूम पड़ता. उनके मुताबिक, "यह रास्ता सीनेटर जॉन मैककेन के लिए असुविधाजनक जरूर है और अमेरिकी सेना के लिए भी." रक्षा नीतियों के अंतरराष्ट्रीय जानकार स्टीफन बिडल के मुताबिक अमेरिका के लिए सीरिया में दखल देने के कुछ कम खर्चीले रास्ते भी हैं. जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले बिडल ने डीडब्ल्यू से कहा, "उदाहरण के लिए अगर आप कम महत्वाकांक्षी कदम और ज्यादा लोगों की जान जाने को स्वीकर कर सकें तो कम खर्च में भी काम चल जाएगा."

Syrien Flüchtlinge Al Zaatri Kamp in Jordanien
तस्वीर: Reuters

सीरिया पर अमेरिकी उलझन

सीरिया में सैन्य कार्रवाई के तमाम विकल्पों पर चर्चा के बावजूद आखिरकार गृहयुद्ध को खत्म करने के लिए एक राजनीतिक उपाय की जरूरत होगी. जानकारों का मानना है कि चाहे तो क्षेत्रीय समझौतों की वजह से या फिर कुछ समय बाद थकावट के कारण बातचीत का पल आएगा. नेर्गुजियन का मानना है कि सेना का इस्तेमाल कैसे करना है इस बारे में अमेरिका की प्राथमिकता वहां अपने लिए सैनिक ताकत नहीं होनी चाहिए. नेर्गुजियन ने इसकी बजाय, "सीरिया की जंग में राजनीति की ताकत को ठीक से समझने और संकट में फंसे देश को दुरुस्त करने और स्थिरता लाने के लिए" कार्रवाई को ज्यादा जरूरी बताया. अगर अमेरिका को डेम्पसी के किसी एक विकल्प को भी लागू करना है तो उसका गृहयुद्ध पर क्या असर होगा, यह पहले से तय नहीं किया जा सकता. बिडल मानते हैं कि यह और फैल भी सकता है, मुमकिन है कि सीरिया का सहयोगी ईरान इसमें और ज्यादा शामिल हो जाए. (सीरिया की जंग में हिजबुल्लाह)

रिपोर्टः स्पेंसर किम्बल/एनआर

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

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