1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सीरिया में रूस के हवाई हमलों पर उठे सवाल

१ अक्टूबर २०१५

रूस का कहना है कि सीरिया में उसके युद्धक विमान उन्हीं आतंकी ठिकानों पर मार कर रहे हैं जो अमेरिका के भी निशाने पर हैं. जबकि अमेरिका ने रूस के मिलिट्री अभियान की आलोचना करते हुए कहा कि हवाई हमलों में सामंजस्य की कमी है.

https://p.dw.com/p/1Ggd6
तस्वीर: imago/ITAR-TASS

रूस ने कहा है कि उसने सीरिया में इस्लामिक स्टेट आतंकियों के खिलाफ हवाई हमले शुरु कर दिए हैं. अमेरिका को सीरिया में हवाई हमले शुरु किए हुए एक साल हो चुका है. फ्रासं में रूसी राजदूत अलेक्जेंडर लावरोव ने एक इंटरव्यू में कहा है कि इस अभियान के बाद में एक साल के अंदर "मुक्त चुनाव" कराने की स्थिति बन जाएगी.

रूसी रक्षा मंक्षालय ने साफ किया है कि उसके युद्धक विमानों ने आईएस के कब्जे वाले आठ ठिकानों पर निशाना लगाया. दूसरी ओर पश्चिमी देशों के समर्थन से लड़ रहे सीरिया के विपक्षी दलों ने बताया कि रूसी हमले उनके अधिकार वाले क्षेत्र में हुए और उसमें कई नागरिकों की जान चली गई.

अमेरिका के नेतृत्व वाला संयुक्त मोर्चा रोजाना हवाई हमले करता आया है और अब रूस के भी ऐसा करने से सीरिया में युद्ध और गहरा गया है. रूसी राजदूत लावरोव ने यह भी कहा है कि बगदाद में एक कोऑर्डिनेशन सेंटर स्थापित किया जा रहा है, जिसमें सीरिया, इराक, ईरान, रूस और दूसरे देश भी भाग ले सकेंगे और आपसी सामंजस्य से कार्रवाई होगी.

रूस और अमेरिका दोनों ने ही संयुक्त राष्ट्र महासभा को दिए संबोधनों में इस्लामिक स्टेट को मिटाने के लिए सीरिया में हवाई हमले करने की समानांतर योजनाएं पेश कीं. दोनों में सबसे बड़ा मतभेद सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से हटाने या फिर उन्हें साथ लेकर चलने पर था.

सऊदी अरब की मांग है कि सीरिया में रूस अपनी सैन्य कार्रवाई बंद करे. वे भी अमेरिका के उस आरोप का समर्थन करते हैं कि रूस ने जिन ठिकानों पर हमला किया वहां आईएस मौजूद नहीं है.

रूस ने अमेरिका को केवल एक घंटे पहले नोटिस देकर सीरिया में हवाई हमले शुरु कर दिए. लेकिन मध्य पूर्वी देश सीरिया में 2011 से गृहयुद्ध जारी है. राष्ट्रपति असद के विरोध में शुरु हुआ यह हिंसा का क्रम अब तक ढाई लाख लोगों की जान ले चुका है. इसी कारण लाखों लोग अपना घर बार छोड़कर मध्य पूर्व के दूसरे देशों और यूरोप के कई देशों में लगातार शरण की तलाश में पहुंच रहे हैं.

आरआर/आईबी (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)