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सुरक्षा बलों के साए में कैसा है कश्मीर

८ अगस्त २०१९

दसियों हजार सुरक्षा बल दंगारोधी साजो सामान से लैस हो भारतीय कश्मीर में चहलकदमी कर रहे हैं. खाली सड़कों के किनारे दुकानों की कतार है लेकिन शंटर बंद हैं, बैरीकेड और कांटेदार तारों से मोहल्लों का संपर्क काट दिया गया है.

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Indien Kaschmir-Konflikt nach Änderung Artikel 370
तस्वीर: AFP/R. Bakshi

कश्मीर में सुरक्षा के नाम पर अभूतपूर्व बंदी का यह चौथा दिन है. 500 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है. भारत सरकार के नए एलान के बाद जैसे कश्मीर की सांस रुकी हुई है. थोड़ी थोड़ी देर पर सुरक्षा बलों के सायरन से या फिर कौवों की कांव कांव से शहर की खामोशी टूटती है.

मध्य श्रीनगर में जो शहर का मुख्य हिस्सा है वहां कुछ पैदलयात्री अपने घरों से निकल कर कंटीले तारों वाले चेकप्वाइंट के पास जाते दिखाई पड़े जहां हेलमेट, राइफल और कवच से लैस सुरक्षाकर्मियों का घेरा है. शॉपिंग मॉल, राशन की दुकानें यहां तक कि डॉक्टरों की क्लिनिक भी बंद है. पहले जब सुरक्षा घेरा कसा जाता था तो शाम के वक्त गली मुहल्ले की दुकानें अंधेरा होने के बाद कुछ देर के लिए खोल दी जाती थीं ताकि लोग दूध, अनाज या फिर बच्चों के खाने पीने की चीजें खरीद सकें. अभी यह साफ नहीं है कि कश्मीर में दुकानें कब खुलेंगी. यहां रहने वाले लोग पहले से जमा राशन से काम चला रहे हैं. आमतौर पर ऐसा कड़ाके की सर्दियों  में होता था जब सड़कें और संचार बाधित होते हैं.

Indien Kaschmir-Konflikt nach Änderung Artikel 370
तस्वीर: AFP/R. Bakshi

कश्मीर में संचार को पूरी तरह से ठप्प कर दिया गया है. लैंडलाइन, सेलफोन और इंटरनेट सब बंद है मतलब ये कि कश्मीर के लोग फिलहाल अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से बात नहीं कर सकते. बाहरी दुनिया से उनका संपर्क सिर्फ सीमित केबल टीवी और स्थानीय रेडियो के जरिए है. कहीं से कोई खबर नहीं आ रही. इस बीच भारत सरकार ने कश्मीर में रह रहे लोगों के बारे में जानकारी पाने के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की है.

मंगलवार को भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल ने शोपियां के इलाके में कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत की और उनके साथ खाना खाया.

इलाके में तरह तरह की पाबंदियां लगा रहे सुरक्षाबलों को भी अंदाजा नहीं है कि यह सब कब खुलेगा. श्रीनगर सिटी सेंटर में एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "हमें सिर्फ यह पता है कि जहां हमारी तैनाती है वहां क्या हो रहा है. हमें बगल की सड़क का हाल भी नहीं पता." पत्रकारों के लिए भी अधिकारी कोई ब्रीफिंग नहीं कर रहे ना ही उनके लिए कोई कर्फ्यू का पास जारी किया जा रहा है. कई स्थानीय पुलिस अधिकारी इस बात से नाराज हैं कि उन्हें फैसले करने से वंचित कर दिया गया है. इसका नतीजा कश्मीर में पुलिस और भारतीय सेना के बीच तनाव के रूप में सामने आ रहा है.

Indien Gesperrte Straße in Jammu
तस्वीर: Reuters/M. Gupta

इस बीच पूरी तरह से बंद कश्मीर में परेशान हो रहे गरीब प्रवासी मजदूर यहां से भागने लगे हैं. इनमें भारत के पूर्वी या उत्तरी इलाके के गांवों से आए हैं. कुछ लोगों ने शिकायत की है कि उनके कश्मीरी नियोक्ता उन्हें पैसे नहीं दे रहे हैं और सुरक्षा बल उन पर यात्रा की पाबंदी लगा रहे हैं और उनसे यहां से जाने के लिए कह रहे हैं.

बुधवार को जम्मू के स्टेशन पर मजदूरों की भारी भीड़ जमा हो गई. ये लोग उत्तर प्रदेश, बिहार  और झारखंड के लिए ट्रेन के इंतजार में थे. इन लोगों ने अपना सामान पोटली में बांध कर माथे पर उठा रखा था. जगदीश माथुर नाम के एक मजदूर ने बताया कि बहुत से लोग हाइवे पर पैदल चल कर या फिर सेना की ट्रकों और बसों में सवार हो कर श्रीनगर से जम्मू आए हैं. यह दूरी करीब 260 किलोमीटर है. माथुर ने कहा, "पिछले चार दिनों से हमने ठीक से खाया नहीं है." इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा उनके पास रेल टिकट खरीदने के पैसे नहीं है कि वो बिहार के अपने गांव जा सकें.

हर साल भारत के अलग अलग राज्यों से हजारों लोग कश्मीर में काम करने के लिए आते हैं. इनमें ज्यादातर लोग भवन निर्माण या फिर खेतों में मजदूरी करते हैं. जब कभी यहां सुरक्षा की स्थिति खराब हो जाती है वो वापस अपने घर लौट जाते हैं.

एनआर/ओएसजे(एपी)

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