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सुर में नहीं रह पाती थीं बेगम अख्तर

एएम/आईबी (वार्ता)२९ अक्टूबर २०१४

अपनी दिलकश आवाज से श्रोताओं को दीवाना बनाने वाली अख्तरी बाई यानि बेगम अख्तर ने एक बार निश्चय कर लिया था कि वह कभी गायिका नहीं बनेंगी.

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तस्वीर: picture alliance/Dinodia Photo Library

बचपन में बेगम अख्तार उस्ताद मोहम्मद खान से संगीत की शिक्षा लिया करती थीं. उन दिनों बेगम अख्तर से सही सुर नहीं लगते थे. उनके गुरु ने उन्हें कई बार सिखाया और जब वह नहीं सीख पायी तो उन्हे डांट दिया. फिर नानाजी के कहने पर उन्होंने आगे भी गाना सीखना जारी रखा.

1930 के दशक में बेगम अख्तर पारसी थिएटर से जुड़ गयीं. नाटकों में काम करने के कारण उनका रियाज छूट गया जिससे मोहम्मद अता खान काफी नाराज हुए और उन्होंने कहा, "जब तक तुम नाटक में काम करना नहीं छोडती मैं तुम्हें गाना नहीं सिखाउंगा." उनकी इस बात पर बेगम अख्तर ने कहा, "आप सिर्फ एक बार मेरा नाटक देखने आइए, उसके बाद आप जो कहेंगे मैं करूंगी." उस रात मोहम्मद अता खान बेगम अख्तर का नाटक देखने गए. जब बेगम अख्तर ने उस नाटक का गाना "चल री मोरी नैया" गाया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए और नाटक समाप्त होने के बाद बेगम अख्तर को खूब आशिर्वाद दिए.

नाटकों में मिली शोहरत के बाद बेगम अख्तर को कलकत्ता की ईस्ट इंडिया कंपनी में अभिनय करने का मौका मिला. बतौर अभिनेत्री बेगम अख्तर ने फिल्म 'एक दिन का बादशाह' से अपने सिने करियर की शुरूआत की. 1933 में ईस्ट इंडिया के बैनर तले बनी फिल्म 'नल दमयंती' से उनकी पहचान बनी.

1945 में शादी के बाद सामाजिक बंधनों के कारण बेगम अख्तर ने गायकी से मुख मोड़ लिया.

फिर पति के दोस्त सुनील बोस के कारण उन्हें रेडियो पर मौका मिला और फिर एक बार वह संगीत की दुनिया में छा गई. उनकी गजलों, ठुमरियों का अंदाज बिलकुल अलग था. पक्की आवाज में गाने वाली बेगम अख्तर गजलों को गायकी अंग से गाती थीं. इसी तरह ठुमरियों में भी उन्होंने अपना पूरब अंग और पंजाब का मेल कर नया रंग दिया.

वर्ष 1972 में संगीत के क्षेत्र मे उनके उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा वह पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित की गईं. यह महान गायिका 30 अक्टूबर 1974 को इस दुनिया को अलविदा कह गई. अपनी मौत से सात दिन पहले बेगम अख्तर ने कैफी आजमी की गजल गायी थी, "सुना करो मेरी जान उनसे उनके अफसाने, सब अजनबी हैं यहां कौन किसको पहचाने".

एएम/आईबी (वार्ता)