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सू ची से वापस नहीं लिया जाएगा नोबेल पुरस्कार

२ अक्टूबर २०१८

म्यांमार में रोहिंग्या मुसमलानों के मुद्दे पर आंग सान सू ची से नोबेल पुरस्कार वापस लेने की मांग हाल के दिनों में तेज हुई है. लेकिन नोबेल फाउंडेशन का कहना है कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं है.

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Myanmar Aung San Suu Kyi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Khin Maung Win

स्टॉकहोम में नोबेल फाउंडेशन के प्रमुख लार्स हाइकेनस्टेन ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा है कि म्यांमार की नेता के तौर पर आंग सान सू ची के कुछ कदम "अफसोसनाक" हैं, लेकिन उन्हें मिला नोबेल पुरस्कार वापस नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि पुरस्कार दिए जाने के बाद के वर्षों में हुए घटनाक्रम की वजह से पुरस्कार वापस लेने का कोई मतलब नहीं है.

अगस्त में आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में म्यंमार की सेना पर रोहिंग्या मुसलमानों की बड़े पैमाने पर हत्याओं के आरोप लगाए गए. रिपोर्ट कहती है कि "नरसंहार के इरादे" की गई इन हत्याओं के कारण ही सात लाख से ज्यादा लोगों ने जान बचाने के लिए बांग्लादेश में शरण ली है.

म्यांमार में इस समय सू ची की पार्टी सत्ता में है और उन पर इस मुद्दे पर पर्याप्त कदम ना उठाने के इलजाम लग रहे हैं. उन्हें 1991 में लोकतंत्र के लिए अपने संघर्ष के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था. लेकिन अब सत्ता में रहते हुए आम लोगों की "हिफाजत ना करने" के लिए उनसे नोबेल पुरस्कार वापस लेने की आवाजें उठ रही हैं.

नोबेल फाउंडेशन के प्रमुख हाइकेनस्टेन ने कहा, "जो कुछ वह म्यांमार में कर रही हैं, उस पर हमारी भी नजर है. उस पर सवाल उठाए गए हैं. हम मानवाधिकारों के साथ खड़े हैं और ये हमारे मौलिक मूल्यों में से एक है. बेशक इसके लिए काफी हद तक वह जिम्मेदार हैं और यह बहुत ही अफसोसनाक है."

म्यांमार की सरकार के प्रवक्ता जाव ह्ताए से जब इस के बारे में फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई जबाव नहीं दिया. उन्होंने कहा कि वह मीडिया से फोन पर बात नहीं करते. उन्हें जो कहना है कि वह हफ्ते में दो बार होने वाली अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहेंगे.

म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्या लोगों पर यूएन की रिपोर्ट को "एकतरफा" कह कर खारिज किया है. उसका कहना है कि पिछले साल अगस्त में सैन्य बलों पर हमलों के बाद ही सैन्य कार्रवाई की गई जो एक उचित उग्रवाद विरोधी अभियान था. सू ची ने पिछले महीने माना कि उनकी सरकार रखाइन प्रांत में हालात को बेहतर तरीके से संभाल सकती थी, लेकिन उन्होंने यह नहीं माना कि इसमें कोई "बड़ा अपराध" हुआ है.

हाइकेनस्टेन ने कहा, "हम यह नहीं समझते हैं कि पुरस्कारों को वापस लिया जाना चाहिए. इससे हमें लगातार चर्चा करती रहनी होगी कि जिन लोगों को पुरस्कार दिया गया है, वे उसके बाद क्या कर रहे हैं. हमेशा ऐसे कुछ नोबेल विजेता रहे हैं और आगे भी रहेंगे जो पुरस्कार मिलने के बाद कुछ ऐसे कामों में शामिल हो जाते हैं, जिन्हें हम सही नहीं मानते. मुझे लगता है कि हम ऐसा होने से रोक नहीं सकते हैं."

नोबेल शांति पुरस्कार देने वाली नॉर्वे की नोबेल कमेटी भी कह चुकी है कि उनके नियम किसी व्यक्ति से पुरस्कार वापस लेने की अनुमति नहीं देते.

एके/एमजे (रॉयटर्स)

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