सोलर इम्पल्स 2
रोमांचप्रेमी बैर्ट्रांड पिकार्ड का एक सपना है. वे सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान में पूरी दुनिया का चक्कर लगाना चाहते हैं. वे और उनके साथी आंद्रे बोर्शबर्ग इस मिशन पर हैं. अब उनका विमान भारत के बाद म्यांमार पहुंचा है.
नौकरशाही बाधाएं
भारत में पिकार्ड के सोलर इम्पल्स 2 मिशन को नौकरशाही बाधाओं का सामना करना पड़ा. अहमदाबाद में उन्हें कई दिनों तक रुकना पड़ा. लेकिन बाद में वाराणसी तक की पंद्रह घंटे की उड़ान अच्छी रही. इस बीच विमान वाराणसी से म्यांमार पहुंचा है.
विदाई पर सेल्फी
पायलट पिकार्ड के लिए नौकरशाही बाधा भले ही परेशान करने वाली रही हो, सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान में दिलचस्पी लेने वाले अहमदाबाद के निवासियों के लिए यह खुशी की बात रही. लोग उसे देखने आते रहे और यादगार के लिए सेल्फी लेना नहीं भूले.
सिर्फ एक पायलट
अहमदाबाद से वाराणसी की उड़ान के पायलट आंद्रे बोर्शबर्ग थे. बैर्ट्रांड पिकार्ड ने वाराणसी से म्यांमार की राह पर कमान संभाली. अहमदाबाद में भारत के विमानन अधिकारियों के साथ भारत से निकलने के बारे में परमिट लेने की जिम्मेदारी उनकी थी.
अद्भुत मिशन
सोलर इम्पल्स 2 के मिशन की शुरुआत 9 मार्च को संयुक्त अरब अमीरात में अबु धाबी से हुई. 13 घंटे 2 मिनट की उड़ान के बाद विमान ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचा. वहां से अगले चरण में विमान भारत के अहमदाबाद पहुंचा.
दुनिया का चक्कर
कुल मिलाकर 12 चरणों में सौर विमान 35,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगा. यात्रा के दौरान पिकार्ड और उनके साथी बोर्शबर्ग बारी बारी विमान की कमान संभालेंगे. उड़ान में कुल 25 दिन का समय लगेगा. बीच में आराम और नौकरशाही जटिलताओं से निबटने का समय अलग से.
बदल बदल कर उड़ान
उड़ान से प्यार करने वाले पायलट बैर्ट्रांड पिकार्ड पेशे से मनोचिकित्सक हैं जबकि आंग्रे बोर्शबर्ग इंजीनियर हैं. लंबी और सागर के ऊपर निश्चित रूप से उबाऊ उड़ान के दौरान समय काटने के लिए दोनों ने ध्यान का अभ्यास किया है.
अच्छे मौसम का इंतजार
आधुनिक विमानों के विपरीत सोलर इम्पल्स 2 हर तरह के मौसम में उड़ान भरने में सक्षम नहीं है. विमान तभी उड़ान भरता है जब मोंटे कार्लो के नियंत्रण केंद्र से हरी झंडी मिलती है. रेतीले तूफान, भारी वर्षा और बर्फबारी मिशन को खतरे में डाल सकते हैं.
हर चीज पर नजर
मोंटे कार्लो के नियंत्रण केंद्र में सोलर इम्पल्स मिशन से जुड़ी सारी जानकारी लगातार इकट्ठा होती है. ग्राउंड कंट्रोल सेंटर के अधिकारियों को हमेशा पता होता है कि विमान की बैटरियां, दोनों पायलट और विमान के पुर्जे किस हालत में हैं.
क्रमिक विकास
सोलर इम्पल्स 2 दूसरा सौर विमान है जिसे पिकार्ड और उनकी टीम ने बनाया है. सोलर इम्पल्स 1 के मुकाबले इसमें कॉकपिट में ज्यादा जगह है. नया विमान बनाते समय उसमें आधुनिक लाइटें और नई सौर तकनीक लगाई गई है.
लाइटवेट विमान
एक पायलट के लिए छोटा सा केबिन और उसके दोनों ओर बायीं और दायीं तरफ 64 मीटर लंबे पंख. सोलर इम्पल्स 1 का वजन पायलट सहित 1.6 टन था. सोलर इम्पल्स 2 का वजन 2.3 टन है. इसके मुकाबले एयरबस 340 का वजन बिना यात्री और सामान के 125 टन होता है.
सौर ऊर्जा का कमाल
विमान के लंबे पंख के भी अपने फायदे हैं. उस पर 17,000 सोलर सेल लगे हैं जो विमान के चार मोटरों और प्रोपेलरों को 70 से 140 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति दिलाने में मदद करते हैं. विमान की अधिकतम ऊंचाई 8500 मीटर है.
साफ सुथरी उड़ान का सपना
इस मिशन का सबसे अहम लक्ष्य है दुनिया भर में पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाने वाले ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना. पिकार्ड को पूरा विश्वास है कि एक दिन सौर ऊर्जा से चलने वाले विमान सैकड़ों लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकेंगे.