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सौर मंडल से बाहर भी मिली जीवन की संभावना

१२ सितम्बर २०१९

वैज्ञानिकों ने हमारे सौर मंडल से बाहर स्थित एक ग्रह पर पानी के सबूत खोजे हैं. उन्हें धरती से दस गुना बड़े ग्रह पर वाष्प मिली है, जिससे जीवन की संभावना पैदा होती है.

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Entdeckung des Planeten K2 18-B
तस्वीर: picture-alliance/T. Nyhetsbyran

पहली बार वैज्ञानिकों को पृथ्वी जैसे ही एक ग्रह के वातावरण में पानी के सबूत मिले हैं. यह ग्रह एक बहुत दूर स्थित तारे के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है. नई खोज से इस बात की उम्मीद जगी है कि हमारे सौर मंडल के बाहर भी कहीं जीवन संभव हो सकता है. के2-18बी उन सैकड़ों "सुपर-अर्थ" कहे जाने वाले ग्रहों में से एक है जिनका आकार धरती और वरुण ग्रहों के बीच है. अंतरिक्ष विज्ञान की तेजी से विकास करती इस शाखा में हमारी आकाशगंगा के बाहर के ग्रहों यानी तथाकथित एक्सोप्लैनेट से जुड़ी खोजें की जा रही हैं. अब तक 4,000 से भी अधिक एक्सोप्लैनेट खोजे जा चुके हैं.

इस नए ग्रह के वातावरण से जुड़ी रिसर्च यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन, यूसीएल की वैज्ञानिकों की टीम ने की है. इसे नेचर एस्ट्रोनॉमी नामके एक पीयर-रिव्यू में प्रकाशित किया गया. यूसीएल के एस्ट्रोफिजिसिस्ट इंगो वाल्डमान ने इस अहम खोज के बारे में समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "हमें पानी मिला है." यह खोज हबल स्पेस टेलिस्कोप के परीक्षणों के जरिए हुई है. वैज्ञानिकों ने के2-18बी ग्रह के वातावरण से गुजरने वाली स्टारलाइट का विश्लेषण किया और पाया कि उसमें जल वाष्प है.

ऐसा पहली बार है कि किसी सुपर-अर्थ ग्रह के "जीने लायक जोन" के वातावरण में पानी के साक्ष्य मिले हों. इससे पहले विशालकाय गैसीय पिंडों के पास ऐसी खोज हुई थी. इस बार मिले सबूतों से अनुमान लगाया जा रहा है कि उस ग्रह की सतह पर भी पानी हो सकता है.

यूसीएल के एक अंतरिक्षविज्ञानी आंगेलोस सियारास ने कहा कि टीम ऐसे एक्सोप्लैनेट पर ध्यान केंद्रित कर रही है जहां धरती से मिलती जुलती स्थितियां हों. उन्होंने कहा, "इस नजरिए से नहीं कि हम वहां जाकर रह सकें. वह सब तो अब भी साइंस फिक्शन के लायक बातें हैं." उन्होंने बताया कि के2-18बी लियो कॉन्सटिलेशन में स्थित एक ड्वॉर्फ स्टार के इर्द गिर्द चक्कर काट रहा है, जो धरती से 100 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. सूर्य से प्रकाश को धरती से पहुंचने में कई मिनट का समय लगता है लेकिन के2-18बी ग्रह के सूर्य से तो पृथ्वी तक पहुंचने में कई सदियां लगती हैं. सियारास ने कहा, "जाहिर है हमारे लिए इतनी लंबी यात्रा करना असंभव है" इसलिए हमें अपनी धरती का ख्याल रखना होगा. 

आरपी/आईबी (रॉयटर्स)

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