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स्कूलों की मनमानी पर केजरीवाल की लगाम

समरा फातिमा७ जनवरी २०१६

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसते हुए दिल्ली सरकार ने नर्सरी स्कूलों के दाखिले में खत्म किया मैनेजमेंट कोटा. आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 25 फीसदी कोटा बरकरार. एडमिशन के लिए 62 मानकों को किया रद्द.

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Deutschunterricht in Indien
तस्वीर: picture-alliance/dpa

राज्य कैबिनेट की बैठक में लिए गए निर्णय की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रबंधन कोटा को देश के शिक्षा क्षेत्र में ‘सबसे बड़े घोटाले' का आधार करार देते हुए कहा कि उनकी सरकार इसे ‘मूकदर्शक' बनकर नहीं देखेगी. केजरीवाल ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के अलावा कोई दूसरा कोटा नहीं होगा.

दिल्ली के स्कूलों के पास खाली बची रह गई सीटों को मैनेजमेंट कोटा में बदलने का चलन है जिसमें बड़े पैमाने पर धांधली के आरोप लगते हैं. और क्योंकि तय नियम नहीं है इसलिए आरोप लगते हैं की स्कूल अपने हिसाब से बच्चे दाखिल करते हैं और अपने हिसाब से सीटें खाली छोड़कर उसको मैनेजमेंट कोटा में दिखाकर उसके बदले बड़ी रकम में दाखिला देते हैं. केजरीवाल ने इसे शिक्षा के क्षेत्र में माफिया का कब्जा बताया. उन्होंने कहा सरकार यह कतई बर्दाश्त नहीं करेगी.

आदेश के मुताबिक निजी स्कूल सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के कोटे को ही बरकरार रख सकेंगे. निजी स्कूलों को ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत 25 प्रतिशत सीटों से अलावा शेष 75 प्रतिशत सीटें सामान्य कोटे से भरनी होंगी. स्कूलों को चेतावनी दी गई है कि जो संस्थान आदेश का उल्लंघन करेंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है या सरकार उनका अधिग्रहण कर सकती है.

केजरीवाल ने कहा कि अदालत ने निजी स्कूलों को दाखिले के मानक तय करने का अधिकार दिया था. लेकिन स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से मानक तय किए गए. स्कूलों से यह जानकारी वेबसाइट पर डालने को कहा गया था. कई स्कूलों ने दाखिले के लिए जो मानक लिखे उनके बारे में केजरीवाल ने कहा, "इन मानकों ने हमें चौंका दिया." इनमें अभिभावकों के धूम्रपान करने, मांसाहारी होने और शराब का सेवन करने जैसे मानकों को दाखिला नहीं देने का आधार बनाया गया है. इसी तरह संगीत, कला, गायन और नृत्य आदि में पारंगत अभिभावकों के बच्चों को दाखिले के लिए अतिरिक्त अंक देने के मानक भी शामिल किए गए हैं. दिल्ली सरकार ने इन्हें मनमानी बताते हुए गलत ठहराया है. सरकार ने दाखिले के लिए ऐसे 62 तरह के पैमाने खत्म कर दिए हैं.