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समाज

कोराना संक्रमण के बीच कुलियों की राह हुई मुश्किल

२९ जून २०२०

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 1237 कुली काम करते है, जिसमें से फिलहाल 250 से 300 कुली ही इस वक्त कार्यरत हैं. लॉकडाउन की वजह से कुली अपने घर चले गए थे लेकिन अब धीरे धीरे वे स्टेशन पर फिर से काम करने के लिए आ रहे हैं.

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Träger am Bahnhof in Neu Delhi, Indien
तस्वीर: IANS

दिल्ली में रोजाना कोरोना संक्रमण के सैकड़ों नए मामले सामने आ रहे हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि दुनिया का बोझ उठाने वाले इन मेहनतकश लोगों में अभी तक कोई भी कोरोना संक्रमित नहीं हुआ है. लाइसेंस पोर्टर इंस्पेक्टर (एलपीआई) पवन सांगवान ने बताया, "मैं हर तीसरे दिन इनके पास सैनिटाइजर और साबुन चेक करता हूं. हमने सभी कुलियों को निर्देश दिए हैं कि सामान उठाने के बाद सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. मैं इन सभी का धन्यवाद करता हूं कि इस महामारी में भी किसी ने कोई शिकायत नहीं की." सांगवान ने बताया कि 12 मई को नई दिल्ली स्टेशन पर सिर्फ 12 कुली कार्यरत थे. लेकिन अब स्टेशन पर इनकी संख्या बढ़ गई है. सांगवान के अनुसार किसी कुली के बीमार होने की स्थिति में रेलवे ने ओपीडी की सुविधा दी है.

कुलियों को रेलवे की तरफ से 120 रुपये का एक ट्रेवलिंग पास दिया जाता है, जिससे वे साल में एक बार अपने परिवार को कहीं भी यात्रा करा सकते हैं. इस पास की वैद्यता 5 महीने की होती है. इसके साथ ही उन्हें 3 वर्दियां भी दी जाती हैं. पूरे देश में 20,000 से 23,000 तक कुली हैं जिसमें से दिल्ली में ही दो से तीन हजार कुली काम करते हैं. कोरोना महामारी के चलते इनके जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया है.

कुली शाहिद अहमद ने आईएएनएस को बताया, "मैं 3 दिन पहले ही अपने घर से वापस आया हूं. सुबह से अभी तक बोहनी नहीं हो पाई है. रेलवे स्टेशन पर यात्री न होने की वजह से बहुत दिक्कत हो रही है. नई दिल्ली आने वाले यात्रियों की संख्या बहुत घट गई है. यहां से यात्री सिर्फ वापस ही जा रहे हैं. हम जब भी किसी यात्री का सामान उठाते हैं, उससे पहले हम सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं और सामान रखने के बाद साबुन से हाथ धोकर फिर प्लेटफार्म पर आते हैं."

कोरोना के दौर में मदद करते रोबोट

शाहिद अहमद ने बताया कि लॉकडाउन और कोरोना से पहले वे रोजाना 500 से 800 रुपये तक कमा लेते थे लेकिन अब सुबह 5 बजे से शाम 5 बजे तक 400 रुपये भी नहीं कमा पा रहे हैं, "पूरा-पूरा दिन निकल जाता है, तब जाकर कुछ कमा पाते हैं. 40 किलो वजन के 100 रुपये मिलते हैं, ये सरकार की तरफ से निर्धारित है. बाकी यात्री के ऊपर है, अपनी तरफ से ज्यादा भी दे जाते हैं."

हाल ही में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का आधुनिकरण भी हुआ है. ऐसे में कुलियों का यह भी मानना है कि यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर लिफ्ट और एस्कलेटर की सुविधा दिए जाने की वजह से भी उनकी आमदनी पर पड़ा है और फिलहाल कोरोना के चलते तो ये लोग मुश्किल में हैं ही. संक्रमण से बचने के लिए यात्री अब अपना सामान खुद उठा कर ले जा रहे हैं. स्टेशन पर मौजूद एक अन्य कुली ने कहा, "कितनी बार ऐसा होता है कि यात्री के पास पैसे नहीं होते, हम फिर भी उनका सामान उठा कर मदद करते हैं. हमें भी यात्रियों का दर्द समझ आता है, बस हमारा दर्द किसी को समझ नहीं आता."

मोहम्मद शोएब (आईएएनएस)

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