1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

स्नोडेन पर बहाना करते देश

३ जुलाई २०१३

अमेरिकी नागरिक एडवर्ड स्नोडेन ने 21 देशों के पास शरण की गुहार लगाई थी. उनमें से ज्यादातर ने या तो साफ मना कर दिया या यह दलील देकर मना कर देंगे कि अनुरोध उनकी जमीन से नहीं किया गया.

https://p.dw.com/p/1916D
तस्वीर: Reuters

शरण देने से मना करने वालों में भारत भी है. अमेरिकी खुफिया विभाग के पूर्व कांट्रेक्टर का पासपोर्ट अमेरिका ने रद्द कर दिया है और वह हफ्ते भर से मॉस्को एयरपोर्ट पर होटल में रुके हुए हैं. अमेरिका के खुफिया निगरानी कार्यक्रम की जानकारी सार्वजनिक करने के बाद अमेरिका ने एडवर्ड स्नोडेन पर जासूसी का आरोप लगाया और उन्हें गिरफ्तार करने पर तुला है. स्नोडेन प्रत्यर्पण टालने की जुगत में लगे हैं.

यूरोपीय देशों आयरलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और ऑस्ट्रिया का कहना है कि शरण की गुहार उनके देश से बाहर रह कर नहीं लगाई जा सकती. खुफिया जानकारियों को सामने लाने वाली वेबसाइट विकीलीक्स स्नोडेन का साथ दे रही है. विकीलीक्स की वकील सारा हैरिसन ने बताया कि रविवार की शाम एयरपोर्ट पर रूसी कॉन्सुलेट को दस्तावेज सौंपे गए थे.

21 देशों में रूस भी शामिल है. रूस ने कहा कि वह तभी शरण देगा जब स्नोडेन अमेरिकी खुफिया जानकारियों को फैलाना और उनके "अमेरिकी साझीदारों" को नुकसान पहुंचाना बंद कर देंगे. रूस की इस शर्त के बाद स्नोडेन ने अपना अनुरोध वापस ले लिया. पोलैंड के विदेश मंत्री का कहना है कि स्नोडेन को शरण देने में उनके देश की कोई दिलचस्पी नहीं है. उधर भारत ने कहा है कि वह इस "अनुरोध को मानने की कोई वजह नहीं देखता".

Bildergalerie Whistleblower
तस्वीर: picture-alliance/dpa

मॉस्को की यात्रा पर आए वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने स्नोडेन के बारे में रिपोर्टरों के पूछे सवाल का जवाब देने से कतरा गए. उधर चीन ने भी इस अनुरोध पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है. बीजिंग की शिन्हुआ यूनिवर्सिटी से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक वू कियांग का कहना है कि तकनीकी रूप से यह संभव है लेकिन राजनीतिक रूप से हो सकेगा ऐसा नहीं लगता. स्नोडेन ने स्विट्जरलैंड को भी अनुरोध भेजा था और उसका कहना है कि उसे अब तक अुरोध नहीं मिला है. इसके अलावा ब्राजील, बोलीविया, क्यूबा, आइसलैंड, नीदरलैंड्स और निकारागुआ से भी अनुरोध किया गया है.

इक्वाडोर के राष्ट्रपति रफायल कॉरेया का कहना है कि उनके देश ने गलती से स्नोडेन को अस्थायी यात्रा दस्तावेज दे दिया था जिसके आधार पर वह हांग कांग से मॉस्को चले आए. कॉरेया ने गार्डियन अखबार से कहा, "यह हमारी गलती थी. देखिए इस संकट ने बड़े नाजुक समय में हम पर चोट की है. हमारे विदेश मंत्री एशिया के दौरे पर हैं और उप विदेश मंत्री चेक गणराज्य में हैं और अमेरिका के हमारे राजदूत इटली में है." इक्वाडोर का कहना है कि स्नोडेन को मॉस्को से निकालने में वह कोई मदद नहीं करेगा और अब वो रूस की जिम्मेदारी हैं. इक्वाडोर का कहना है कि वह स्नोडेन को शरण देने पर तभी विचार करेगा जब इसके लिए उसकी जमीन से अनुरोध किया जाएगा.

उधर स्नोडेन ने "इक्वाडोर के बहादुरी" की तारीफ की है. राष्ट्रपति कॉरेया को लिखा एक पत्र सोमवार को लीक हो गया. इसमें इक्वाडोर के राष्ट्रपति से कहा गया है, "बहुत कम दुनिया के नेता है जो किसी एक शख्स के मानवाधिकार के लिए धरती की सबसे ताकतवर सरकार के खिलाफ खड़े होने का जोखिम लेते हैं. इक्वाडोर और उसके लोगों की बहादुरी पूरी दुनिया के लिए मिसाल है."

स्नोडेन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका ने उनके खिलाफ "न्यायिक प्रक्रिया से बाहर जा कर खोजबीन" शुरू की है. स्नोडेन का कहना है, "ओबामा प्रशासन ने नागरिकता को हथियारों की तरह इस्तेमाल करने की नीति अपना ली है." अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने स्नोडेन को शरण न देने के लिए दूसरे देशों पर दबाव बनाने के आरोपों से साफ इनकार किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि स्नोडेन का पासपोर्ट मानक प्रक्रिया के तहत वापस लिया गया है लेकिन उनकी नागरिकता नहीं छीनी गई है.

स्नोडेन के पिता लॉन स्नोडेन ने अपने वकील के जरिए बेटे को पत्र लिखा है और उनकी तुलना इंग्लैंड के खिलाफ अमेरिकी क्रांति के देशभक्तों से की है. स्नोडेन की दी जानकारियों ने अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच भी तनाव पैदा कर दिया है. यूरोपीय संघ ने इस बारे में यूरोपीय देशों की जासूसी करने के आरोपों पर अमेरिका से जवाब मांगा है.

एनआर/एजेए (डीपीए)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी