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स्मॉग हटा मगर दिल्ली पर छाई है चिंता की धुंध

११ नवम्बर २०१६

विश्व में प्रदूषण की राजधानी बन चुकी नई दिल्ली पर छाई स्मॉग की चादर हट गई है. लेकिन दिल्ली और पास के इलाकों में स्थित कई कंपनियों में व्याप्त चिंता के कारण राजधानी की अर्थव्यवस्था और छवि पर चिंता के बादल बने हुए हैं.

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Indien Luftverschmutzung Smog
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M.Swarup

हवा साफ करने वाले एयर-प्योरीफायर और नाक-मुंह ढक कर सांस लेने वाले मास्क बाजारों में हाथों हाथ बिक गए. 17 सालों में इतना भीषण स्मॉग दिल्ली ने नहीं देखा था.  भारत की सबसे बड़ी मोबाइल पेमेंट कंपनी पेटीएम के प्रमुख ने प्लेन लिया और देश से निकल गए. वे प्रदूषण से बचकर भागने वाले हजारों कर्मचारियों में से एक हैं. इससे राजधानी में स्थित कंपनियों के भविष्य और पूरी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है.

पेटीएम स्टार्टअप के संस्थापक विजय शेखर शर्मा पिछले रविवार दिल्ली से मुंबई चले गए. कारण था राजधानी में छाए धुएं, धूल के खतरनाक बादल और जहरीली लपटें. मुंबई में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के साथ बातचीत में वह बताते हैं, "यह साफ हो गया कि दिल्ली में बहुत मुश्किल होने वाली है, खासकर छोटे बच्चों के साथ." शर्मा ने आगे कहा कि उन्हें चिंता थी कि इसका सेहत पर लंबे समय तक बुरा असर हो सकता है."

एक बार तो उन्होंने अपनी कंपनी पेटीएम को दिल्ली से हटाने के बारे में भी सोचा. लेकिन फिलहाल उन्होंने दफ्तर में एयर प्योरीफायर लगवाने, पौधों को दफ्तर में लाने, कर्मियों के लिए मास्क मुहैया कराने और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं देने जैसे कदम उठाए हैं. आइडिया सेल्युलर जैसी टेलीकॉम कंपनियों ने इस दौरान अपने कई कर्मियों को घर से ही काम करने की अनुमति दे दी. तो कुछ ने सड़कों पर कारें थोड़ी कम करने के लिए अपने कर्मचारियों को लाने के लिए बसें भेजीं.

प्योरीफायर बनाने वाली डायकिन जैसी जापानी कंपनी और एयर कंडिशनर निर्माता ओसाका तो खुश हैं. वहीं फेस मास्क बनाने वाली कंपनियों की भी चांदी ही चांदी है. लेकिन इंडस्ट्री बॉडी एसोचैम के अनुसार दूसरे कई कारोबारियों को "कई अरब डॉलर" का नुकसान उठाना पड़ा है. दिल्ली में करीब 1.7 करोड़ लोग रहते हैं और यह देश के सबसे तेजी से बढ़ती आबादी वाले राज्यों में शामिल है. राजधानी की करीब 84 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था पिछले दो सालों में सालाना आठ फीसदी से भी तेज दर से बढ़ी है. भारत का राष्ट्रीय औसत 7.4 प्रतिशत रहा.

विश्व बैंक की एक स्टडी में पता चला है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत ने 2013 में वायु प्रदूषण के कारण ही अपनी जीडीपी का करीब 8.5 फीसदी हिस्सा खो दिया. जेएलएल नाम की एक वैश्विक रियल एस्टेट सर्विस फर्म ने बताया है कि उनके ग्राहकों में शामिल कई बड़ी कंपनियां दिल्ली में बने रहने के अपने फैसले पर दोबारा विचार कर रही हैं. इसका एक कारण दिल्ली का पहले से कहीं ज्यादा महंगा होना भी है. दिल्ली की छवि पर स्मॉग का धब्बा लगने के कारण कई पर्यटक वहां जाने से कतरा रहे हैं और कई अपनी बनी बनाई योजनाएं रद्द करवा रहे हैं.

आरपी/एके (रॉयटर्स)