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हर सुबह ऑफिस में बॉक्सिंग

२५ फ़रवरी २०११

बर्लिन के रिसर्च गेट ऑफिस में रोज सुबह काम नहीं बल्कि बॉक्सिंग होती है. यहां शोधकर्ता पहले थोड़ी देर मुक्केबाजी करते हैं फिर शोध शुरू करते हैं. ऐसा माना जाता है कि दिमाग का गुस्सा, असंतुष्टि इससे कम होती है.

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तस्वीर: dpa

बर्लिन में रिसर्चगेट के दफ्तर में काम पर पहुंचे शोधकर्ता अपने ट्रेनर के साथ मिलकर सुबह सुबह किकबॉक्सिंग की प्रैक्टिस करते हैं. इजाद मदीश कहते हैं, "मैं यहीं पर सारा तनाव निकालता हूं...और ट्रेनर इसमें मेरी मदद करता है..एक घंटे के लिए दिमाग को बंद कर मेसीत के साथ हम स्पोर्ट करते हैं."

रिसर्चगेट के प्रमुख इजाद मशीद को लगता है कि दिमाग से काम लेने वाले शोधकर्ताओं को कभी कभी बॉक्सिंग के मज़े लेने चाहिए.

नई कंपनी

Boxen - Jugend
तस्वीर: picture-alliance / ASA

मदीश ने बर्लिन में नई कंपनी बनाई है जो अब नई ऊंचाईयों को छू रही है. नए कमरे किराए पर लिए जाते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में दफ्तर की जगह कम पड़ने लगती है. और मदीश हर वक्त नए प्रतिभाशाली लोगों की तलाश में हैं...फेसबुक जैसे सोशल नेट्वर्क्स के बारे में तो काफी कुछ पता है लेकिन केवल शोधकर्ताओं के लिए एक नेट्वर्किंग साइट?

30 साल के मदीश कहते हैं कि शोधकर्ताओं को भी अपने काम में लोगों की जरूरत होती है, अपने वैज्ञानिक समाज से जुड़ने की जरूरत होती है. रिसर्चगेट के जरिए वह विश्व भर में वैज्ञानिकों को जोड़ना चाहते हैं. "मुझे लगता है कि रिसर्चगेट शोध जगत में लोगों के बीच के संपर्क को और तेज कर सकता है और इससे पूरे शोध जगत में क्रांति आ सकती है. और मैं मानता हूं कि इसके लिए हमें कभी नोबल पुरस्कार भी मिल सकता है."

डॉक्टर भी हैं

30 साल के मदीश ने आईटी के साथ डॉक्टरी की पढ़ाई की है. करियर के मामले में तो अपने माता पिता की आंखों का तारा थे. लेकिन फिर अचानक एक दिन अपनी कंपनी खोलने को जी चाहा. "कभी कभी लगता है कि हां, यहां काम कर रहे हैं लेकिन कुछ कमियां हैं. लेकिन देखा जाए तो यहां पुराने दोस्त हैं, जिनके साथ पहले काम करते थे, वह भी हैं. चार साल पहले जो सोचा था, वह आज सच हो गया है. यह सब देख कर तो अच्छा ही लगता है."

खूब निवेशक

नई कंपनी बनाने के लिए पैसों की बात चली तो अमेरिका के सिलिकन वैली से ही कई जाने माने निवेशक इस नई तरकीब में पैसा डालने को तैयार हो गए. और सबसे अच्छी बात थी कि बर्लिन में बैठे बैठे ऐसा हो रहा था. "बर्लिन एक ऐसा शहर है जहां बहुत सारी सफल कंपनियां हैं और हम इनसे जुड़ भी सकते हैं, लेकिन हम पहली जर्मन कंपनी हैं जिसे सिलिकन वैली का सहयोग मिला है और इसलिए हमारी स्थिति यहां सबसे अलग है."

मदीश का सपना तो साकार हुआ लेकिन निवेश करने वाली कंपनियां उनसे बहुत उम्मीदें लगाए बैठी हैं. मदीश को यकीन है कि वे उन सारी उम्मीदों को पूरा करेंगे, और जब भी तनाव बढ़ेगा, तो एक घंटा किकबॉक्सिंग करने चले जाएंगे.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/मानसी गोपालकृष्णन

संपादनः आभा एम

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