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आर्कटिक की बर्फ में माइक्रो प्लास्टिक कणों की भारी मात्रा

१६ अगस्त २०१९

माइक्रोप्लास्टिक के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ रही है. हालांकि वैज्ञानिकों ने अभी यह नहीं बताया है कि इन छोटे-छोटे कणों का मनुष्यों और जंगली जीवों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.

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Grönland Arktisches Eis
तस्वीर: Getty Images/M. Tama

वैज्ञानिकों ने कहा है कि उन्होंने आर्कटिक की बर्फ में काफी ज्यादा प्लास्टिक के महीन कण पाए है. इससे ये संकेत मिलता है कि वातावरण में तथा-कथित माइक्रोप्लास्टिक समाहित हो रहा है और ये धरती के सुदूर इलाकों तक भी पहुंच रहा है. शोधकर्ताओं ने आर्कटिक, उत्तरी जर्मनी, बवेरियन और स्विस आल्प्स तथा हेलिगोलैंड के उत्तरी सागर द्वीप से एकत्र बर्फ की जांच विशेष रूप से तैयार की गई प्रयोगशाला में की.

जर्मनी के ब्रेमरहाफेन शहर में स्थित आल्फ्रेड वेगनर इंस्टीट्यूट की एक शोधकर्ता मेलानी बेर्गमन ने कहा, "हमें जांच के दौरान माइक्रो प्लास्टिक मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसकी मात्रा देख हम हैरान रह गए." यह रिसर्च जर्नल साइंस एडवानसेज में प्रकाशित हुई है.

पहले के अध्ययन में पेरिस, तेहरान, डोंगक्वान और चीन की हवा में माइक्रोप्लास्टिक मिला था. प्लास्टिक के पांच मिलीमीटर से छोटे कणों को माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है. शोध में यह बात सामने आई कि ये कण गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, धूल और अन्य बारीक कणों की तरह हवा में मिल सकते हैं.

बेर्गमान कहती हैं कि सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक के कण बवेरियन आल्प्स में पाए गए. इसका एक सैंपल जो कि 1 लीटर का था, उसमें 1 लाख 50 हजार से ज्यादा कण मिले. वे कहती हैं, हालांकि आर्कटिक के नमूने कम दूषित थे, लेकिन शोधकर्ताओं ने जिन नमूनों का विश्लेषण किया, उनमें तीसरा सबसे अधिक माइक्रोप्लास्टिक पूर्वी ग्रीनलैंड की फ्रैम स्ट्रेट की बर्फ में था. इसके एक लीटर के सैंपल में 14,000 कण मिले." शोधकर्ताओं ने पाया कि एक लीटर सैंपल में माइक्रोप्लास्टिक का औसत 1800 कण रहा.

नॉर्वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के जीव विज्ञानी मार्टिन वैगनर कहते हैं, "शोधकर्ताओं ने जिस तरीके को अपनाया, उस वजह से वे माइक्रोप्लास्टिक की भारी मात्रा का पता लगा पाए. जिन माइक्रोप्लास्टिक कणों की पहचान की गई है, वे 0.011 मिलीमीटर या 11 माइक्रोमीटर के है. यह मानव के बाल से भी पतला है."

वैगनर कहते हैं, "यह काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले के अध्ययनों में माइक्रोप्लास्टिक के बड़े कण मिलते रहे हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि हम पर्यावरण में वास्तविक माइक्रोप्लास्टिक के स्तर को बहुत कम आंकते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि वायुमंडलीय परिवहन एक प्रासंगिक प्रक्रिया है. इस वजह से ही माइक्रोप्लास्टिक्स के कण एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचते हैं. इसके अलावा, बर्फ में काफी ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक्स जमा हो सकता है. बर्फ के पिघलने पर इसका पानी में घुलना स्वाभाविक है. मार्टिन वैगनर शोध में शामिल नहीं थे.

जर्मन वैज्ञानिक मेलानी बेर्गमन ने कहा कि अध्ययन में पाए गए माइक्रोप्लास्टिक्स में कारों और जहाजों को कोट करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रंग-रोगन, टायर के रबर और वस्त्र या पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले सामान के कण मिले हैं. लेखकों ने सुझाव दिया कि सूक्ष्म प्लास्टिक कणों के संचरण को अब तक प्रदूषण का स्रोत नहीं माना गया है. अब वायु प्रदूषण की निगरानी योजनाओं के तहत इसकी निगरानी की जानी चाहिए. बेर्गमन कहती हैं, "हमें यह जानने की जरूरत है कि माइक्रोप्लास्टिक का इंसानों पर क्या प्रभाव पड़ता है, खासतौर पर जब से सांस के माध्यम से शरीर के भीतर पहुंचता है."

आरआर/ओएसजे (एपी)

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