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हांगकांग में क्यों हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन?

१२ जून २०१९

हांगकांग इन दिनों थम सा गया है. हांगकांग की सड़कों पर उतरी लाखों की भीड़ एक दूसरे को काम छोड़ कर विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए कह रही है. जानते हैं ऐसा क्या हुआ जिसने हांगकांग के लोगों को परेशान कर दिया है.

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Hongkong Demonstration gegen das Zulassen von Auslieferungen nach China
तस्वीर: Getty Images/A. Kwan

हांगकांग में विरोध प्रदर्शनों का दौर अब भी जारी है. रविवार के बाद बुधवार को हुए विरोध प्रदर्शन के चलते प्रत्यर्पण बिल को दूसरी बार पढ़े जाने की प्रक्रिया को कुछ वक्त के लिए स्थगित कर दिया गया. सड़कों पर उतरे लोगों ने सड़कें जाम कर दीं और हजारों की भीड़ के हांगकांग की विधानपरिषद को भी घेरने के बाद यह फैसला लिया गया. सरकारी प्रेस सर्विस की ओर से कहा गया है, "प्रत्यर्पण बिल की सेंकड रीडिंग के लिए अगला वक्त तय किया जाएगा."

प्रदर्शनकारियों में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं और युवा शामिल हैं. प्रत्यर्पण बिल का विरोध करने आए 18 साल के जैकी ने समाचार एजेंसी एपी से कहा, "हम जवान हैं लेकिन हम जानते हैं कि अगर हम अपने अधिकारों के लिए खड़े नहीं होंगे तो हम अपने अधिकारों को खो देंगे." कई लोगों को यह डर भी सता रहा है कि प्रस्तावित कानूनी संशोधन लोगों को चीन की अदालतों में उलझा सकता है जिसके चलते हांगकांग की कारोबारी प्रतिष्ठा प्रभावित होगी. वहीं हांगकांग के सौ से भी अधिक कारोबारियों ने कहा है कि वे प्रदर्शनकारियों के साथ हैं.

Hong Kong Demonstration gegen das Zulassen von Auslieferungen nach China
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha

प्रदर्शन के कारण

दुनिया का बड़ा कारोबारी हब और अल्फा प्लस शहरों में शुमार हांगकांग को ब्रिटेन ने साल 1997 में स्वायत्ता की शर्त के साथ चीन को सौंपा था. लेकिन अब नए प्रत्यर्पण बिल ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है. बिल का विरोध करने वाले चीन और हांगकांग को अलग मानते हैं. उनका कहना है कि प्रत्यर्पण बिल में किए गए संशोधन हांगकांग की स्वायत्ता को प्रभावित करेंगे.

आलोचकों के मुताबिक नया संशोधन हांगकांग के लोगों को भी चीन की दलदली न्यायिक व्यवस्था में धकेल देगा जहां राजनीतिक विरोधियों पर आर्थिक अपराधों और गैर परिभाषित राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरों जैसे मामलों में आरोप लगाए जाते रहे हैं. आलोचक मानते हैं कि चीन में एक बार आरोप लगा तो व्यक्ति को ऐसी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है जहां अधिकांश आपराधिक मामले सजा पर समाप्त होते हैं. इस नए प्रत्यर्पण कानून का विरोध करने वालों में कानूनविद्, कारोबारी, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं समेत कई आम लोग भी हैं जिनके लिए हांगकांग में कानून का शासन सबसे अहम हैं. वहीं हांगकांग की चीफ एक्जेक्यूटिव कैरी लैम ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने वाली सभी बातें कानून में जोड़ी गई हैं.

Hong Kong Demonstration gegen das Zulassen von Auslieferungen nach China
तस्वीर: Reuters/T. Siu

क्या है प्रत्यर्पण कानून

हांगकांग के मौजूदा प्रत्यर्पण कानून में कई देशों के साथ इसके समझौते नहीं है. इसके चलते अगर कोई व्यक्ति अपराध कर हांगकांग वापस आ जाता है तो उसे मामले की सुनवाई के लिए ऐसे देश में प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जिसके साथ इसकी संधि नहीं है. चीन को भी अब तक प्रत्यर्पण संधि से बाहर रखा गया था. लेकिन नया प्रस्तावित संशोधन इस कानून में विस्तार करेगा और ताइवान, मकाऊ और मेनलैंड चीन के साथ भी संदिग्धों को प्रत्यर्पित करने की अनुमति देगा.

हांगकांग की नेता कैरी लैम का कहना है कि ये बदलाव जरूरी हैं ताकि न्याय और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा किया जा सके. उन्होंने कहा कि अगर ऐसे बदलाव नहीं किए गए तो हांगकांग "भगोड़ों का स्वर्ग" बन जाएगा. संशोधन में पक्ष में खड़े लोग उस मामले की मिसाल दे रहे हैं जब हांगकांग के एक व्यक्ति ने पुलिस के सामने माना था कि उसने ताइवान यात्रा में अपनी गर्लफ्रेंड को मार दिया था और फिर वापस हांगकांग आ गया. लेकिन हांगकांग और ताइवान के बीच प्रत्यर्पण संधि ना होने के चलते उसे ताइवान नहीं भेजा जा सका. हालांकि मनी लॉड्रिंग के अपराध में वह हांगकांग में अब भी सजा काट रहा है.

हांगकांग-चीन संबंध

हांगकांग ब्रिटेन का एक उपनिवेश था जिसे साल 1997 में चीन को स्वायत्ता की शर्त के साथ सौंपा गया. "एक देश-दो व्यवस्था" की अवधारणा के साथ हांगकांग को अगले 50 साल के लिए अपनी स्वतंत्रता, सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक व्यवस्था बनाए की गारंटी दी गई थी. इसी के चलते हांगकांग में रहने वाले लोग खुद को चीन का हिस्सा नहीं मानते और खुले आम सरकार की आलोचना करते हैं. इसके बावजूद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हांगकांग सरकार पर प्रभाव डाला है. हांगकांग के लोग सीधे तौर पर अपना नेता नहीं चुनते हैं.

कैरी लैम को साल 2017 में उस कमेटी की ओर से नियुक्त किया गया था जिसे चीन का करीबी माना जाता है और लैम को भी कम्युनिस्ट पार्टी का पसंदीदा उम्मीदवार माना गया. हांगकांग की संसद में चीन समर्थक सांसदों का एक बड़ा गुट है. पिछले कई सालों में चीन हांगकांग में अपना प्रभाव बढ़ाने की लगातार कोशिशें कर रहा है. अक्टूबर 2018 में चीन ने सबसे लंबा समुद्र मार्ग खोला जो चीन को हांगकांग और मकाउ से जोड़ता है.

Hong Kong Demonstration gegen das Zulassen von Auslieferungen nach China
तस्वीर: Reuters/A. Perawongmetha

आजादी को चुनौती

चीन की केंद्र सरकार को नाराज करने वाले हांगकांग के लोग मानते हैं कि साल 2012 में चीन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सत्ता आने के बाद से ही उन पर दबाव बढ़ा है. साल 2015 में हांगकांग के कई किताब विक्रेताओं को नजरबंद किए जाने के बाद से लोगों में चिंताए बढ़ गई. वहीं साल 2014 में लोकतंत्र को समर्थन देने वाले "अंब्रेला मूवमेंट" से जुड़े नौ नेताओं को उपद्रव और अन्य मामलों का दोषी पाया गया. इस आंदोलन के दौरान भी चीन से कोई सहमति नहीं बन पाई थी. वहीं मई 2019 में जर्मनी ने हांगकांग से भागे दो कार्यकर्ताओं को शरण देने से जुड़ी पुष्टि की थी. यह हाल के सालों का ऐसा पहला मामला था जब किसी पश्चिमी देश की सराकर ने हांगकांग से भागे राजनीतिक रिफ्यूजियों को शरण देने की बात कही हो.

अब आगे क्या?

तमाम प्रदर्शनों के बावजूद हांगकांग प्रशासन फिलहाल तो प्रत्यर्पण कानून पर अड़ा हुआ है. हांगकांग की नेता कैरी लेम को उम्मीद है कि इस पर बहस होगी और जल्द ही इस फैसला होगा. वहीं प्रदर्शनकारी लोगों से अनुरोध कर रहे हैं कि वह बड़ी संख्या में इसके खिलाफ सड़कों पर आएं. हांगकांग सांसदों को बिल की दूसरी रीडिंग में हिस्सा लेना है और 20 जून को इस पर अंतिम वोट देना है.

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