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ग्रीनपीस फंड पर पाबंदी हटाए सरकार

२१ जनवरी २०१५

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले साल जून में पर्यावरण संस्था ग्रीनपीस के विदेशी फंड पर रोक लगा दी थी. अब अदालत ने इसे गैरकानूनी ठहराया है.

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Greenpeace Firmenschild Zentrale in Hamburg
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सरकार का आरोप था कि गैरसरकारी संस्था ग्रीनपीस अपने अभियानों से विकास योजनाओं को नुकसान पहुंचा रही है और इसके लिए उसे विदेश से पैसा मिल रहा है. सरकार के अनुसार खुफिया एजेंसी की एक रिपोर्ट ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे षड़यंत्र की ओर इशारा करती है और संस्था द्वारा बिजली और खनन के क्षेत्रों में की जा रही रोकटोक से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है. ग्रीनपीस सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं में पर्यावरण को हो रहे नुकसान का विरोध कर रही है.

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद भारत में ग्रीनपीस के अध्यक्ष समित आइश ने एक बयान में कहा, "हमें खुशी है कि अदालत ने यह बात मानी कि सरकार की मंशा हम पर कीचड़ उछालने की थी और यह सरासर गैरकानूनी तरीका था. अदालत ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है कि सरकार को नागरिक समाज को उत्पीड़ित करने की अपनी मुहिम पर अब रोक लगानी होगी."

अदालत ने कहा है कि सरकार के पास फंड को रोकने की कोई वाजिब वजह नहीं है और वह फौरन विदेशी फंड को रिलीज करे. ग्रीनपीस ने बताया कि चार महीने पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट ने गृहमंत्रालय से फंड पर लगी रोक हटाने को कहा था लेकिन इस पर अमल नहीं किया गया. ग्रीनपीस के करीब तीन लाख डॉलर के विदेशी फंड को फ्रीज किया गया है. बीते साल नवंबर में ग्रीनपीस के प्रमुख कुमी नाइडू ने नरेंद्र मोदी से पाबंदी हटाने के अपील की थी.

इसके अलावा पिछले कुछ महीनों में ग्रीनपीस कार्यकर्ताओं के विदेश जाने पर भी रोक लगाई गयी है. ग्रीनपीस ने इसे सरकार की "गुंडागर्दी" बताया है. हाल ही में ग्रीनपीस की एक वरिष्ठ कार्यकर्ता प्रिया पिल्लै को ब्रिटेन जाने से रोका गया और उनके पासपोर्ट पर "ऑफलोड" की स्टैम्प लगाई गयी. पिल्लै को इस रोक का कारण भी नहीं बताया गया.

ग्रीनपीस का आरोप है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार भारत के लिए कई विकास योजनाओं का वायदा कर सरकार बनाने में सफल हुई है लेकिन ये योजनाएं पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाने वाली हैं और इन्हें केवल पूंजीपतियों के मुनाफे को ध्यान में रख कर बनाया जा रहा है.

आईबी/एमजे (एपी, एएफपी)