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हाई हील पर नचे, तो तू बड़ी सजे... बकवास!

वीके/ओएसजे१३ मई २०१६

काम पर हाई हील नहीं पहनकर आईँ तो कंपनी ने निकोला को घर वापस भेज दिया. निकोला थॉर्प ने भी ठान लिया कि अब लंबी लड़ाई लड़नी है, नंगे पांव ही सही.

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तस्वीर: Colourbox/M. Tatarenko

औरतों को ऐसा दिखना चाहिए. औरतों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए. औरतों को ऐसे चलना चाहिए. औरतों को ऐसे बैठना चाहिए. औरतों को इन जगहों पर नहीं जाना चाहिए. नियम इतने हैं कि किसी को लग सकता है, हम यह दुनिया एक बहुत बड़ी जेल है, औरतों की जेल जहां मर्द जेल के गार्ड्स हैं. निकोला थॉर्प जैसी महिलाओं की आप बीती सुनकर यही लगता है. लंदन की एक फाइनैंस कंपनी ने थॉर्प के साथ जो किया, उसके बाद वह अगर इस दुनिया को एक जेल समझे तो क्या गलत है?

निकोला थॉर्प पीडब्ल्यूसी नाम की इस फाइनैंस कंपनी में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करने के लिए रखी गई थीं. उनका काम ऐसा था कि उन्हें दिनभर खड़े रहना होता. इसलिए उन्होंने पहले दिन से ही सोचा कि बिना हील की सपाट चप्पल पहनना ठीक रहेगा क्योंकि हाई हील में नचना गानों में जितना अच्छा लगता है, असल में उतना नहीं होता. लेकिन 27 साल की निकोला को पीडब्ल्यूसी ने कहा कि नहीं, हाई हील ही पहननी होंगी. और हील की ऊंचाई भी 2 से 4 इंच होनी चाहिए. निकोला ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में बताया, ''मैंने कहा कि मुझे दिनभर खड़े रहना है. ऐसा मैं हाई हील पर नहीं कर पाऊंगा. मैंने कहा कि आप मुझे एक वजह बताइए, जो साबित करे कि फ्लैट चप्पल में मैं अपना काम वैसा नहीं कर पाऊंगी, जैसा आप उम्मीद करते हैं.''

निकोला बहुत बहादुर लड़की हैं. उन्होंने एक कड़वा सवाल पूछा. अगर यही काम पुरुष को करना होता तो उसे भी क्या हाई हील पहननी पड़ती? कड़वे सवाल का जवाब नहीं मिला. मिला, फरमान. दफा हो जाओ.

निकोला को पीडब्ल्यूसी के लिए पोर्टिको नाम की एक कंपनी ने काम पर रखा था. पोर्टिको ने कहा कि ड्रेस कोड तो मानना होगा. निकोला पहले इस भेदभाव को सार्वजनिक करने में घबरा रही थीं. लेकिन दोस्तों से मशविरे के बाद उन्होंने फेसबुक पर इसका जिक्र किया. तब उन्हें अहसास हुआ कि ऐसा भेदभाव झेलने वाली वह अकेली महिला नहीं हैं.

अब निकोला ने इंटरनेट पर एक सिग्नेचर अभियान चलाया. उनकी मांग है कि महिलाओं को काम काज के दौरान हाई हील्स पहनने के लिए मजबूर करने वाला नियम बदला जाए. उनकी ऑनलाइन याचिका का समर्थन अब तक 10,000 से ज्यादा लोग कर चुके हैं.

बड़ी लड़ाइयां कभी एक आदमी के लिए नहीं होतीं. वे पूरा समाज बदलने के लिए होती हैं. निकोला ने भी बड़ी लड़ाई की ठान ली है. उन्होंने ब्रिटेन की सरकार को एक याचिका भेजी है कि अगर कहीं भी हाई हील पहनना जरूरी है तो उसे फौरन हटाया जाए. संसद को भेजी अपनी याचिका में उन्होंने लिखा है, ''मौजूदा फॉर्मल ड्रेस कोड न सिर्फ बेहद पुराने पड़ चुके हैं बल्कि ये लिंग भेद भी करते हैं.''

ब्रिटिश कानून के तहत नौकरी देने वाला उन कर्मचारियों की छुट्टी कर सकता है जो सही कपड़े और जूते खरीदने की समयसीमा पूरी होने के बाद 'ड्रेस कोड' का पालन नहीं करते हैं. नियोक्ता महिलाओं और पुरुषों को लिए अलग ड्रेस कोड तय कर सकते हैं, ताकि कर्मचारी स्मार्ट लगें.

लेकिन महिलाओं के मामले में स्मार्टनेस की परिभाषा चुस्त कपड़ों और हाई हील्स पर आकर खत्म हो जाती है. महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाले कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि महिलाओं को ऐसे कपड़े और हील्स पहनने के लिए बाध्य किया जाता है, जिनमें वह सेक्सी लगें.

हाई हील महिलाओं की सेहत के लिए भी बहुत अच्छी नहीं मानी जातीं. रिसर्च बताती हैं कि लगातार ज्यादा देर तक हाई हील पहनने से टांगों के निचले हिस्से की मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ता है. निचले हिस्सों में ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित होता है. बर्मिंगम की अलाबामा यूनिवर्सिटी ने अंदाजा लगाया है कि सिर्फ अमेरिका में 2002 से 2012 के बीच एक लाख 23 हजार 355 महिलाएं हाई हील्स की वजह से चोट खा बैठी थीं.