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ऊर्जा से भरपूर हैं पॉकेट हरक्यूलस

२० मार्च २०१३

जीवन के सौ साल पूरे करने वाले मनोहर आइच बताते हैं कि खुश रहना ही उनकी लंबी उम्र का राज है. साठ साल पहले मिस्टर यूनीवर्स बनने वाले आइच एशियाई खेलों में तीन बार सोने का पदक जीत चुके हैं.

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तस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

आम तौर पर क्रिकेट जैसे खेल में भी शतक लगाने के बाद बल्लेबाज की ऊर्जा और उत्साह कुछ कम हो जाता है. लेकिन भारत में एक शख्श ऐसा भी है जो उम्र का शतक लगाने के बावजूद उत्साह से लबरेज़ है. पाकेट हरक्यूलस के नाम से मशहूर चार फीट 11 इंच कद वाले मनोहर आइच किसी परिचय के मोहताज नहीं है. 17 मार्च को जीवन के सौ साल पूरे करने वाले मनोहर आइच कहते हैं कि जीवन में कुछ अनुशासन और ईमानदारी से कोई भी व्यक्ति लंबी उम्र पा सकता है. पिछले साल जन्मदिन पर राज्य सरकार ने उन्हें सम्मानित किया था, लेकिन इस साल उनके सौ साल पूरे होने पर सरकार ने कोई खोज-खबर नहीं ली है. बावजूद इसके मनोहर को किसी से कोई शिकायत नहीं है. वह अगले जन्म में भी बॉडी बिल्डर ही बनना चाहते हैं. इस मौके पर कोलकाता स्थित अपने घर में प्रशंसकों की शुभकामनाओं के बीच उन्होंने कुछ सवालों के जवाब दिए.

आपकी इतनी लंबी उम्र का राज क्या है?

हमेशा खुश रहना. बंगाल में एक कहावत है कि पांता भातेर जल, दुई जवानेर बल यानी मांड़ या चावल का पानी और भात खाने से दो जवानों के बराबर ताकत मिलती है. मैंने पूरा जीवन यही खा कर गुजार दिया. अब उम्र बढ़ने की वजह से दिन में चावल और दाल खाता हूं और रात में दूध भात. हालांकि आज मैंने अपनी पसंदीदा मछली भी खाई है.

सौ साल की उम्र में पीछे मुड़कर देखना कैसा लगता है?

लंबे जीवन के दौरान काफी कुछ देखा, पाया और भुगता है. वर्ष 1950 में मैंने महज 37 साल की उम्र में मिस्टर हरक्यूलस का खिताब जीता था. उसके बाद 1952 में मिस्टर यूनिवर्स का खिताब मिला. तब के बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

जीवन से संतुष्ट हैं. कोई अधूरी ख्वाहिश?

हां, मुझे जीवन से कोई शिकायत नहीं है. मैंने बहुत कुछ हासिल किया है. अब कोई ख्वाहिश अधूरी नहीं है.

लेकिन केंद्र या राज्य सरकार से आपको अपने प्रदर्शन के अनुरूप अवार्ड या सम्मान नहीं मिला?

मैंने यह सब अवार्ड के लिए थोड़े किया था. यह तो मेरा शौक था जो आगे चल कर पेशा बन गया. मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है.

Manohar Aich
99 साल के मनोहर आइचतस्वीर: DW/Prabhakar Mani Tewari

बॉडी बिल्डिंग में करियर बनाने की कैसी सोची?

मैंने कुछ सोचा नहीं था. यह तो महज संयोग था. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान एक गोरे अफसर को थप्पड़ मारने के जुर्म में जेल गया था. जेल में ही मुझे भारोतोल्लन और शरीर सौष्ठव के प्रति लगाव पैदा हुआ. तब से यही मेरा पहला प्यार बन गया.

अब भी नियमित कसरत करते हैं?

बॉडी बिल्डिंग ने ही मुझे सौ साल की उम्र तक स्वस्थ रखा है. इसे कैसे छोड़ सकता हूं. उम्र ज्यादा होने की वजह से अब वेट लिफ्टिंग नहीं करता. लेकिन रोजाना कुछ देर नियमित अभ्यास जरूर करता हूं.

इस उम्र में भी बाहर निकलते हैं?

मुझे जब भी कोई प्यार से बुलाता है, मैं मना नहीं कर पाता. अभी शनिवार को ही एक शतरंज टूर्नामेंट में गया था. आगे भी जब जहां बुलाया जाएगा, जरूर जाऊंगा.

इंटरव्यू: प्रभाकर, कोलकाता

संपादन: महेश झा