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125वीं जयंती पर अंबेडकर की याद

१४ अप्रैल २०१६

भारतीय संविधान निर्माता और दलितों, उपेक्षितों के म​सीहा कहे जाने वाले बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के मौके पर आपस में धुर विरोधी राजनीतिक गुट अपनी-अपनी तरह से अंबेडकर को याद कर रहे हैं.

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Indien Porträt von Bhimrao Rao Ambedkar auf der Straße in Hyderabad
तस्वीर: AP

125वीं जयंती पर डॉ. भीमराव अंबेडकर के रा​जनीतिक व्यक्तित्व की स्वीकार्यता और अधिक बढ़ती नजर आ रही है. राजधानी दिल्ली के अलावा देश भर के अलग-अलग शहरों में कई तरह से अंबेडकर जयंती मनाने के लिए लोग जुटे.

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में डॉ. अंबेडकर के जन्म स्थान महू में एक कार्यक्रम में भागीदारी की. यहां उन्होंने अंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि बाबासाहेब ने समाज के अंतिम छोर पर बैठे लोगों को लिए लड़ाई लड़ी. उन्होंने कहा, ''यह मेरा सौभाग्य है कि मैं आज यहां हूं. मैं इस धरती को नमन करता हूं.''

इस मौके पर प्रधानमंत्री की ओर से 'ग्राम उदय से भारत उदय ​अभियान' नाम से एक कार्यक्रम की भी शुरूआत की गई है. सरकार का कहना है कि इसके जरिए पंचायती राज, किसानों और ग्रामीण इलाकों के विकास संबंधी योजनाओं को बढ़ावा दिया जाएगा.

उधर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी और अन्य राजनीतिक दल भी अंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजन कर रहे हैं.

वहीं पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने​ भी अंबेडकर जयंती मनाई है. संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से इस अवसर पर आयोजित एक खास कार्यक्रम में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र डेवलेपमेंट प्रोग्राम की प्रबंधक हेलेन क्लार्क ने कहा, ''संयुक्त राष्ट्र में अंबेडकर जयंती के इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए मैं यूएनडीपी की ओर से भारत को बधाई देती हूं.'' उन्होंने आगे कहा, ''हम भारत के साथ नजदीकी से सहयोग बनाते हुए 2030 के लक्ष्यों को पाने के लिए काम करेंगे, जिससे दुनिया भर में गरीबों और उपेक्षित तबकों के उद्धार का अंबेडकर का सपना भी साकार होगा.''

पिछले कुछ सालों में भारतीय राजनीति में डॉ. अंबेडकर की स्वीकार्यता काफी बढ़ी है. हर एक राजनीतिक दल अंबेडकर की विरासत से खुद को जोड़ता दिखाई दिया है. ऐसे में अंबेडकर की 125वीं जयंती बेहद खास हो गई है. देश भर में अलग अलग राजनीतिक धड़ों के लोग अंबेडकर को उनकी जयंती के मौके पर पूजते नजर आ रहे हैं.

इसी बीच हैदराबाद सेंट्रल ​यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद अंबेडकर जयंती के मौके पर उनकी मां और भाई ने हिंदू धर्म छोड़ कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया है. रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद से देश भर के विश्वविद्यालयों में दलित छात्रों के उत्पीड़न और उनके प्रतिनिधित्व के सवाल पर बहस छिड़ी हुई है.

आरजे/आईबी (पीटीआई)