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13 महीने समंदर में मछलियों पर जिंदा रहा

Abha Mondhe४ फ़रवरी २०१४

यह कहानी बिलकुल किसी फिल्म की लगती है कि एक इंसान समंदर में खो गया और 13 महीने सिर्फ मछलियां, कछुए खा कर प्रशांत महासागर में जिंदा रहा. वह कई सौ किलोमीटर दूर मछली पकड़ने गया था और समंदर में बह गया.

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Film Life of Pi von Regisseur Ang Lee
तस्वीर: Twentieth Century Fox

37 साल के जोस साल्वाडोर अल्वारेंगा ने मार्शल आयलैंड पर अमेरिकी दूत को बताया कि वह मछली पकड़ने गया था और बह गया. वह सोमवार को माजुरो में मिला जहां उसे पहले अस्पताल ले जाया गया. माजुरो में दूत ने कहा, "मुझे वैसे तो विश्वास नहीं होता कि कोई समंदर में 13 महीने जीवित रह सकता है. लेकिन यह भी सोचना मुश्किल है कि कोई अचानक एबॉन में कैसे प्रकट हो सकता है. हालांकि वो परेशानी में तो रहा है और कुछ समय समंदर में भी था."

लेकिन अधिकारी स्पेनी बोलने वाले इस व्यक्ति की कहानी पर सतर्क हैं और उससे और जानकारी

जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. मेक्सिको में विदेश विभाग का कहना है कि उसने फिलीपीन्स के लिए मेक्सिको के दूत जुलियो कैमैरेना को बताया कि वह दक्षिणी चियापास राज्य के तोनाला से मछली पकड़ने निकला था. इसका मतलब है कि वह सीधी रेखा में 10,400 किलोमीटर दूर बहता हुआ आ गया.

वह मछलियों को पकड़ कर उन्हें कच्चा खा लेता था और समंदर में अपनी नाव के साथ तैर रहा था. और एबॉन के नजदीक पहुंचा तो वह तट पर आया. दूत ने बताया कि उसने शुरुआत में तो भगवान को धन्यवाद दिया कि वह बच गया. "वह अपने मालिक से जल्दी संपर्क करना चाहता है और एजेकील के परिवार से भी. यही अभी उसका जुनून है." एजेकील एक युवक था जो उसके साथ था लेकिन वह एक महीने बाद समंदर में बच नहीं सका.

उधर टोनाला में फिशिंग बोट के मालिक विलेर्मिनो रोड्रिगेज सोलिस ने पुष्टि की है कि अल्वारेंगा और एक अन्य साथी 18 नवंबर 2012 को समंदर में लापता हो गए थे. अगर इस खबर को सही माना जाए तो मछुआरा साढ़े 14 महीने तक समंदर में थे.

मार्शल द्वीप पर विदेश मामलों के सचिव गी बिंग ने कहा, "यह बहुत ही शानदार कहानी लगती है लेकिन मैं तय नहीं कर पा रहा हूं कि इस पर विश्वास करूं या नहीं. जब मैंने उसे देखा तो वह इतना दुबला नहीं लगा जितने पहले के बचने वाले थे. मुझे कुछ शंकाएं हैं. एक बार उससे बातचीत शुरू हो तो और जानकारी मिलेगी. बिंग ने बताया कि आदमी के पास कोई पहचान नहीं थी और बाकी दलीलें कमजोर हैं. इस व्यक्ति ने अपने गृह नगर का नाम एल साल्वाडोर का गारिता पाल्मेरा बताया है. वह इस बारे में जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं.

2006 में भी शार्क मछली का शिकार करने गए कुछ मछुआरे लापता हो गए थे. उन्हें नौ महीने बाद मार्शल द्वीप पर बताया गया. 1989 में भी प्रशांत में चार मछुआरे चार महीने बाद जीवित बचाए गए. उनकी नाव उलट गई थी.

एएम/आईबी (एएपी)

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