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13 रुपये लीटर दूध में किसानों के आंसू

ओंकार सिंह जनौटी२० मई २०१६

जर्मनी में दूध की कीमत सबसे निचले स्तर पर पहुंची. बीते सालों में डेयरी उद्योग में जरूरत से ज्यादा उत्पादन किया. अब सस्ता दूध यूरोपीय संघ के लिए नया संकट बन रहा है.

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तस्वीर: DW/C. Bleiker

जर्मनी की सवा आठ करोड़ आबादी में करीब 75,000 हजार दुग्ध उत्पादक हैं और इस वक्त ये लोग बहुत मुश्किल से गुजर रहे हैं. दूध का दाम करीब 20 सेंट प्रतिलीटर यानी करीब 13 रुपये लीटर हो चुका है. इतने कम पैसे से किसानों का अपना खर्चा तक नहीं निकल पा रहा है.

अप्रैल 2016 में जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल की पार्टी ने किसानों के लिए 20 करोड़ यूरो की वित्तीय मदद का प्रस्ताव रखा. इसका पूरा ब्योरा मई के अंत में होने वाले दूध सम्मेलन में मिलेगा.

कृषि मंत्री क्रिस्टियान श्मिट ने दूध के अति उत्पादन पर पांबदी लगाने की मांग की. जर्मन अखबार जुडडॉयचे त्साइटुंग से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम किसानों की मदद टैक्स ब्रेक्स और वित्तीय सहायता से करना चाहते हैं."

Protest französische Bauern verschütten 800 000 Liter Milch auf Feldern
लाखों लीटर दूध फेंककर विरोध करते किसानतस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Joubert

श्मिट ने 'मिल्क कोटा' दोबारा लागू करने से इनकार किया. जर्मनी में लंबे समय तक मिल्क कोटा लागू रहा. इसके तहत निर्धारित सीमा से ज्यादा दूध उत्पादित करने वाले किसानों पर टैक्स लगाया जाता था. यह नियम यूरोप के कई देशों में करीब 30 साल तक चला.

डेयरी उद्योग से जुड़े किसानों की हालत सिर्फ जर्मनी ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोपीय संघ में खस्ता है. बीते महीनों में कई देशों में डेयरी किसानों ने प्रदर्शन किये. यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रसेल्स के सामने तो किसानों ने हजारों लीटर दूध सड़क पर बहाकर अपना विरोध जताया.

यूरोप में ज्यादातर किसान डेयरी उद्योग में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. तकनीक और पौष्टिक चारे के चलते बीते तीन दशकों में डेयरी उद्योग का उत्पादन लगातार बढ़ता गया. लेकिन अब उत्पादन मांग से कई गुना ज्यादा हो चुका है. इसके चलते दूध के दाम धराशायी हो चुके हैं. किसानों के लिए अब परिवारिक खर्च निकालना व डेयरी को चालू रखना तक मुश्किल हो रहा है.