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20 साल बाद सू ची को सखारोव

२२ अक्टूबर २०१३

म्यांमार की विपक्षी नेता आंग सान सू ची को आखिरकार 20 साल के बाद यूरोपीय संघ का सखारोव पुरस्कार दे दिया गया. 1990 में पुरस्कार के एलान के वक्त म्यांमार में सेना बुरी तरह दमन कर रही थी. सू ची ने कहा काम अभी जारी है.

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तस्वीर: Reuters

यूरोपीय संसद के सदस्य नोबेल विजेता सू ची को पुरस्कार देते समय, उन्हें सम्मान देने के लिए अपनी सीट से उठ खड़े हुए. संसद के अध्यक्ष मार्टिन शुल्ज के हाथों सू ची ने पुरस्कार लिया. इस दौरान शुल्ज ने कहा, "आपने लोगों को दिखा दिया कि आखिर में लोकतंत्र के लिए लड़ने वाले ही जीतेंगे. मैं आपको बधाई देता हूं... आप आजादी और लोकतंत्र का महान प्रतीक हैं." चमकीले पीले और गहरे हरे रंग की पारंपरिक पोशाक में सू ची ने बड़ी शालीनता से अपनी तारीफों झटका और कहा कि म्यांमार में पूरी तरह से लोकतंत्र लाने के लिए अभी बहुत सारा काम किया जाना बाकी है.

नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के 1990 में चुनाव जीतने के बाद म्यांमार की सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. उन दिनों को याद करते हुए सू ची ने पूछा "अब हम कहां हैं? 1990 से हम ने प्रगति की है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है." सू ची ने कहा कि उनके लोगों ने, "अभी सीखना शुरू किया है" कि वो सवाल कर सकते हैं, उन्होंने जोर दे कर कहा कि सेना के बनाए संविधान को बदला जाना चाहिए, "ताकि सचमुच लोकतंत्र आ सके."

San Suu Ky Bangkok
तस्वीर: dapd

68 साल की सू ची ने 15 साल नजरबंदी में बिताए हैं. 2010 में चुनावों के बाद उन्हें रिहाई मिली और देश में एक ऐसी सरकार बनी जो कुछ हद तक नागरिक सरकार है. हालांकि उस पर सेना का काफी नियंत्रण है. म्यांमार के राष्ट्रपति थेन सेन ने मार्च 2011 में देश की सत्ता संभाली. म्यांमार में कुछ सुधारों को लागू करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें थोड़ी ख्याति हासिल हुई है. इन सुधारों में राजनीतिक कैदियों की रिहाई भी शामिल है, जिसके बाद पश्चिमी देशों ने मोटे तौर पर अपने प्रतिबंध हटा लिए हैं.

हालांकि सेना और उसके राजनीतिक सहयोगियों का संसद पर कब्जा है और देश में धार्मिक हिंसा के बाद जिस तरह से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई है, उससे भविष्य को लेकर उम्मीदें कमजोर भी हुई हैं. म्यांमार में अगला चुनाव 2015 में होगा लेकिन देश का मौजूदा संविधान सू ची को देश का राष्ट्रपति बनने से रोक देगा. इस संविधान में किसी भी ऐसे शख्स के राष्ट्रप्रमुख बनने पर रोक है, जिसका जीवनसाथी या बच्चा विदेशी नागरिक हो. सूची के दो बच्चे अपने पिता की तरह ब्रिटेन के नागरिक हैं. सू ची के पति माइकल एरिस की मौत हो चुकी है.

सखारोव पुरस्कार यूरोप के सबसे बड़े पुरस्कारों में है. इसके तहत 50 हजार यूरो की धनराशि भी दी जाती है. रंगभेद के खिलाफ लड़ने वाले नेल्सन मंडेला और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान भी यह पुरस्कार जीत चुके हैं. इसी महीने पाकिस्तान की मलाला युसूफजई को यह पुरस्कार देने का एलान किया गया. सूची को 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था जो उनकी तरफ से उनके बेटों ने लिया.

एनआर/एएम (एएफपी)

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