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2018 तक होगी गंगा की सफाई

१५ जनवरी २०१५

नरेंद्र मोदी की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि गंगा नदी की सफाई सरकार के इसी कार्यकाल में पूरी हो जाएगी. प्रमुख सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार 2018 तक यह महात्वाकांक्षी परियोजना पूरी करेगी.

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Clean India Campaign
तस्वीर: UNI

केंद्र सरकार का जवाब सुप्रीम कोर्ट में तब आया जब अदालत की बेंच ने पर्यावरणविद एमसी मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए पूछा था कि उसके शासन काल में गंगा की सफाई का काम पूरा हो जाएगा या नहीं. इस पर सॉलीसिटर जनरल रणजीत कुमार ने न्यायालय के समक्ष सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि गंगा को साफ करने का काम 2018 तक पूरा कर दिया जाएगा. अदालत ने इस बात पर रोष जताया कि पिछले 30 सालों में गंगा की सफाई के लिए कोई काम नहीं हुआ है.

सॉलीलिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि सरकार की गंगा नदी के किनारे बसे 30 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना है, ताकि गंदे पानी को नदी में जाने से रोका जा सके. इस समय 24 प्लांट काम कर रहे हैं जबकि 31 का निर्माण किया किया जा रहा है. जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह गंगा बेसिन वाले पांच राज्यों में दूषित पानी को साफ करने वाले संयंत्रों के निर्माण के मामले में हुई प्रगति का राज्यवार हलफनामा छह हफ्ते के भीतर दाखिल करे.

सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को ऐसे संयंत्रों की संख्या, इनके लिए मंगाई गई निविदाओं और मौजूदा संयंत्रों की स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा. इस बेंच में जस्टिस ठाकुर के अलावा जस्टिस आरके अग्रवाल और एके गोयल भी शामिल हैं. न्यायालय में पर्यावरणविद एमसी मेहता की ओर से गंगा की सफाई के बारे में डाली गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी.

2500 किलोमीटर लंबी गंगा की सफाई के लिए नदी के तट पर बसे 118 नगरपालिकाओं की शनाख्त की गई है जहां वेस्ट वॉटर ट्रीटमेंट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सहित पूरी साफ सफाई का लक्ष्य हासिल किया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में सौ से ज्यादा लाशें मिलने के बाद सामने आया है कि कुछ समुदायों के लोग मृतकों को जलाने के बदले लाशें नदी में बहा देते हैं. केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश की सरकार से गंगा नदी में मिली लाशों पर रिपोर्ट मांगी है.

इस बीच गंगा के अलावा दूसरी नदियों को भी साफ रखने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी ने यमुना में पूजा और निर्माण सामग्री तथा अन्य कचरा डाले जाने पर 50 हजार रूपये तक का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है. एनजीटी ने कड़े निर्देश देते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से औद्योगिक इकाईयों को नदी में कचरा बहाने की इजाजत नहीं देने को कहा है.

एमजे/आईबी (वार्ता, पीटीआई)