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26 को शपथ लेंगे मोदी

२० मई २०१४

भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नरेन्द्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया है. मोदी 26 मई को पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे. इससे पहले बीजेपी और एनडीए ने उन्हें नेता चुन लिया.

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तस्वीर: Reuters

इसके बाद मोदी ने दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में प्रणब मुखर्जी से भेंट कर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. उनके इस दावे को स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करने का पत्र दिया. राष्ट्रपति से मिलने के बाद मोदी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वह 26 मई को शाम छह बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.

इससे पहले मोदी ने संसद भवन में प्रवेश करने से पहले उसके मुख्य द्वार पर माथा टेक कर प्रणाम किया. गेट नंबर चार पर मीडिया के भारी जमावड़े के बीच मोदी अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी से उतरे और हरे कालीन से जड़ी सीढि़यों पर झुके और दोनों हाथ जोड़कर नीचे माथा टेक दिया. इसके बाद मीडिया में अफरातफरी मच गई. वे तस्वीरें खींचने के लिये फोटो पत्रकार एक दूसरे पर गिरते चढ़ते देखे गए. मोदी ने संसद के केंद्रीय कक्ष में बीजेपी संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद अपने भाषण में संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताया,

एनडीए के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल राष्ट्रपति से मिला और उन्हें 335 सांसदों के समर्थन की सूची देकर मोदी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने पर विचार करने का आग्रह किया. इससे पहले नरेंद्र मोदी को बीजेपी के संसदीय दल का नेता चुनने की औपचारिकता पूरी करने के लिए संसद के केंद्रीय कक्ष में जमा हुए नवनिर्वाचित सांसदों के बीच स्थिति भावुक हो गई. पार्टी के वरिष्ठ नेता आडवाणी के एक शब्द से भावनाएं उपजीं, जो उन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए उपयोग किया. आडवाणी ने कहा कि बीजेपी और 'नरेंद्र भाई मोदी की कृपा' से उन्हें यह दिन देखने का अवसर मिला है.

इस 'कृपा' शब्द को मोदी ने पकड़ लिया. अपने बोलने की बारी आई तो उन्होंने आडवाणी की ओर मुखाबित होकर कहा, "आडवाणीजी ने एक शब्द का प्रयोग किया. उस शब्द का उपयोग आप कभी न करें." थोड़ा ठहरकर उन्होंने आडवाणी की बात दोहराई, "नरेंद्र भाई ने कृपा की". यह कहते कहते मोदी भावुक हो गए और कहा कि अपनी पार्टी को वह मां की तरह चाहते हैं और पार्टी की सेवा किसी तरह कृपा नहीं हो सकती.

Indien Parlamentswahl 2014 Modi im Parlament 20.05.2014
सीढ़ियों पर झुक कर मोदी ने प्रणाम कियातस्वीर: Reuters

मोदी ने याद दिलाया कि उनकी पार्टी के संसदीय दल ने 13 सितंबर को उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था जिसे उन्होंने पार्टी के अनुशासित सिपाही के रूप में एक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि 15 सितंबर से उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया और "शरीर के प्रत्येक कण एवं समय के प्रत्येक पल" से उन्होंने इस दायित्व को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. उन्होंने कहा, "10 मई को मैंने अपने पार्टी अध्यक्ष को इस दायित्व का रिपोर्ट कार्ड पेश किया." उन्होंने आश्वस्त किया कि इसी तरह पांच वर्ष पूरा होने के बाद देश के सामने 2019 में भी अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे.

मोदी ने कहा कि देश में पहली बार किसी ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में सरकार बन रही है जो आजाद भारत में पैदा हुआ. उन्होंने कहा कि उन्हें आजादी की जंग लड़ने का सौभाग्य नहीं मिला और न ही अपनी जवानी जेल में खपाने का मौका मिल पाया लेकिन उन्हें इस बात का अवसर जरूर मिला है कि वह अपने जीवन का प्रत्येक पल और अपने समय का कण कण देश के लिए समर्पित कर दें ताकि देश तेज गति से आगे बढ़ सके.

आशावादिता को अपनी डीएनए में घुला हुआ बताते हुए उन्होंने कहा यह चुनाव 'होप' को लेकर लड़ा गया और वह इसी आशा को साथ लेकर सरकार चलाएंगे, "इस चुनाव में हमने दो बातों पर बल दिया. हमारा मकसद सबको साथ लेकर सबका विकास करना है." विजय का श्रेय मोदी ने पार्टी की उन पिछली पांच पीढ़ियों को दिया जिन्होंने अपना जीवन खपा दिया, "यह जीत उन लोगों के बल पर मिली है जो कभी उस समय दीवारों पर दीया जलाते थे जब कोई जनसंघ नाम का अर्थ नहीं समझता था." उन्होंने स्पष्ट किया, "हमारी ताकत संगठन है. हममें से कोई न संगठन से ऊपर है और ना ही संगठन से आगे."

उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी और सरकार अभी 2015 में जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी की तैयारी करेगी और दरिद्र नारायण की सेवा के उनके सिद्धांतों एवं अंत्योदय के दर्शन को सामने रखते हुए इसके लिए कार्यक्रम तय करेगी.

उन्होंने कहा, "चुनाव नतीजे अगर खंडित जनादेश देते तो अर्थ निकाला जा सकता था कि यह किसी सत्ता के खिलाफ गुस्सा है." लेकिन उन्होंने कहा कि बीजेपी को मिला पूर्ण बहुमत इस बात का सूचक है कि लोगों ने एक आशा और विश्वास के साथ किसी सरकार को चुना है.

एजेए/ओएसजे (वार्ता)