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ओबामा से मिलेंगे मोदी

९ सितम्बर २०१४

लंबे अर्से तक अमेरिका ने नरेंद्र मोदी को वीजा नहीं दिया. लेकिन भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर उनका अमेरिका जाना निश्चित था, बस इसके लिए तारीख का इंतजार था. अब मोदी और ओबामा की मुलाकात 29-30 सितंबर को होनी तय हुई है.

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तस्वीर: Reuters

जल्द ही नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अमेरिका की पहली यात्रा पर निकलेंगे. अमेरिका में राष्ट्रपति बराक ओबामा और नरेंद्र मोदी के बीच 29 और 30 सितंबर को बैठकें होंगी.

मोदी के साथ ओबामा

व्हाइट हाउस भारत को एशिया में अपनी कूटनीतिक नीति को संतुलन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण धुरी के तौर पर देखता है. व्हाइट हाउस के बयान में कहा गया है, "दोनों नेता आपसी हितों के कई मुद्दों पर विचार करेंगे जो अमेरिका और भारत की सामरिक साझेदारी को विस्तार और गहरा करने के क्रम में होगा."

बयान के अनुसार बैठक का फोकस आर्थिक विकास के साथ सुरक्षा मामलों में आपसी सहयोग बढ़ाने पर होगा. इसके अलावा अफगानिस्तान, सीरिया और इराक के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं के बीच बातचीत होगी. बयान में कहा गया, "ओबामा दोनों देशों के नागरिकों और दुनिया के फायदे के लिए भारत अमेरिका रणनीतिक साझेदारी के वादे को पूरा करने के मकसद से मोदी के साथ काम करने को उत्सुक हैं."

समानता का सिद्धांत

2005 में जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब बुश प्रशासन ने उन्हें वीजा देने से इनकार कर दिया था. मोदी पर आरोप है कि उन्होंने गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ हुए दंगों को रोकने के लिए कदम नहीं उठाए. वहीं मोदी ने 2002 के दंगों में कुछ भी गलत करने से इनकार किया है.

जब पिछले साल यह साफ हो गया कि मोदी का सत्ता हासिल करना मुमकिन है और वे अगले प्रधानमंत्री बन सकते हैं, तब व्हाइट हाउस ने ऐसे संकेत दिए कि मोदी के लिए अमेरिकी जमीन पर कदम रखने में कोई समस्या नहीं होगी.

भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मोदी न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने के बाद वॉशिंगटन की द्विपक्षीय यात्रा पर जाएंगे और दोनों नेता 30 सितंबर को मुलाकात करेंगे. स्वराज ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यभार संभालने के बाद विभिन्न देशों के मंत्रियों के दौरों के साथ अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी समेत पांच मंत्रियों के दौरे हो चुके हैं. सुषमा स्वराज का कहना है कि नई सरकार अमेरिका के साथ अपने संबंधों का पूरी क्षमता के साथ इस्तेमाल करेगी लेकिन समानता के सिद्धांत से समझौता करके कोई बात नहीं होगी.

एए/आईबी (एएफपी, वार्ता)