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31 तक बहुमत साबित करें शिबू सोरेन

२५ मई २०१०

बीजेपी के समर्थन वापसी के बाद झारखंड के राज्यपाल ने शिबू सोरेन से 31 मई तक सदन में बहुमत साबित करने को कहा है. लंबे राजनीतिक ड्रामे के बीच सोरेन की पांच महीने पुरानी सरकार भंवर में फंसी है. जेएमएम को कांग्रेस का आसरा.

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तस्वीर: UNI

संसद में बीजेपी के कटौती प्रस्ताव से शुरू हुआ राजनीतिक संकट झारखंड में खत्म होता नहीं दिख रहा है और शिबू सोरेन की कुर्सी अब बहुत दिनों तक बचती भी नहीं दिख रही है. बीजेपी ने 24 मई को औपचारिक तौर पर राज्य सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर दिया, जिसके बाद राज्यपाल एमओएच फारूक ने मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को बुला कर बहुमत साबित करने को कहा. राज्यपाल ने कहा कि 31 मई तक सोरेन सदन में अपना बहुमत दिखाएं.

झारखंड के राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्य के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रघुवर दास ने इससे पहले राज्यपाल को चिट्ठी सौंप दी, जिसमें लिखा है कि वे सरकार से समर्थन वापस ले रहे हैं. इसके बाद सोरेन को हफ्ते भर का वक्त दिया गया है.

सत्ता में बने रहने के लिए जेएमएम सारे तीर चला रही है. अब उसकी नजरें कांग्रेसी की ओर हैं, राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 14 विधायक हैं. 82 सदस्यीय विधानसभा में जेएमएम और बीजेपी के 18-18 एमएलए हैं. जेवीएम-पी के 11 और आजसू के 5 विधायक हैं, जबकि नौ अन्य सदस्य हैं. बहुमत साबित करने के लिए 42 विधायकों का समर्थन हासिल करना होगा. कांग्रेस का साथ मिल भी जाता है, तो जेएमएम अपने 18 और आजसू के पांच विधायकों के साथ सिर्फ 37 के आंकड़े पर ही पहुंचता है. उसे पांच विधायकों की जरूरत होगी और ऐसे में सत्ता की सौदेबाजी की आशंका को दरकिनार नहीं किया जा सकता.

संसद में पिछले महीने बीजेपी के कटौती प्रस्ताव के दौरान झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसके खिलाफ वोटिंग कर दी. इसके बाद बीजेपी ने राज्य सराकर से समर्थन वापस ले लिया. बाद में जेएमएम ने नए फॉर्मूले के तहत बीजेपी को मुख्यमंत्री बनाने का न्योता दे दिया. लेकिन शिबू सोरेन की गैरमौजूदगी में हुआ यह समझौता गुरुजी को मंजूर नहीं हुआ और उन्होंने आधे आधे कार्यकाल के लिए सीएम की कुर्सी बांटने का प्रस्ताव रखा. बीजेपी इस पर भी राजी हो गई लेकिन बाद में शिबू सोरेन ने कहा कि वह कांग्रेस से भी बात कर रहे हैं. "न माया मिली न राम" की स्थिति बनते देख बीजेपी ने झारखंड सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

झारखंड को अलग राज्य बनाने में शिबू सोरेन ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई. लेकिन इसके बाद राज्य की जनता ने उन्हें नकार दिया. 10 साल में झारखंड में सात बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं, जबकि एक बार राष्ट्रपति शासन भी लग चुका है. सोरेन सबसे ज्यादा तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन तीनों बार मिला कर वह नौ महीने भी सत्ता में नहीं रह पाए हैं. वह देश के पहले मुख्यमंत्री हैं, जो उपचुनाव में हार गया था.

सोरेन के पासा पलट देने से कांग्रेस को सरकार में शामिल होने की आस लग गई है. झारखंड मामलों के कांग्रेस प्रभारी के केशव राव ने दिल्ली में कहा कि उनकी पार्टी राज्य के सियासी घटनाचक्र पर बारीकी से नजर रखे हुए है. रांची में कांग्रेस प्रवक्ता राधाकृष्णन किशोर ने कहा, "अगर जेएमएम सहित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां राज्य में किसी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने का प्रस्ताव कांग्रेस के पास भेजती हैं, तो इस पर विचार किया जाएगा और इसे केंद्रीय नेतृत्व के पास भेजा जाएगा."

कांग्रेस हाल तक कहती आई है कि बीजेपी सत्ता के लालच में बार बार जेएमएम का साथ दे रही है. यह अलग बात है कि कांग्रेस खुद अब कुछ वैसा ही करने का संकेत दे रही है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ओ सिंह