1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

50 साल अमेरिकी सपने के

२४ अगस्त २०१३

मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने लिखा हुआ भाषण एक तरफ रख दिया और उसके बाद 10 मिनट तक बोलते रहे. उस तपते अगस्त में वॉशिंगटन का मॉल ढाई लाख लोगों से भरा पड़ा था. उनके उस ऐतिहासिक भाषण को अब 50 साल हो गए हैं.

https://p.dw.com/p/19VHZ
तस्वीर: The Dennis Hopper Trust/Courtesy of The Dennis Hopper Trust

नौकरी और आजादी के लिए मार्च तो मजदूर आंदोलनों की जड़ में रहा है लेकिन जो किंग ने किया, उसने एक घटना में इतनी भावनाएं और उत्साह भरा कि वो राष्ट्रीय महत्व के ऐतिहासिक लम्हे की मिसाल बन गया.

अश्वेत बैप्टिस्ट पुरोहित और नागरिक अधिकारों के नेता ने अपनी नजरें उठाई, पोडियम को थामा और अब्राहम लिंकन की मूर्ति के सामने बिना पर्चे के बोल पड़े, "मेरा एक सपना है." किंग ने इसे कई बार दुहराया और अमेरिका की एक तस्वीर बना दी जहां अफ्रीकी अमेरिकियों को भी बराबर न्याय मिलना चाहिए और जहां उनके, "चार छोटे बच्चे एक दिन ऐसे देश में रह सकें जहां उनकी चमड़ी के रंग की बजाए उन्हें चरित्र के गुणों से उन्हें जाना जाए."

भाषण लोगों के दिल में उतरा और उनमें जोश भर गया, चर्च में भाषण देने के आदी किंग ने जैसे उन पर जादू कर दिया. बड़ी जोर से खुशी और उत्साह की आवाज उठी, कई रो पड़े, लाखों अमेरिकियों ने इसे टीवी पर लाइव देखा.

किंग के शब्दों ने 28 अगस्त 1963 को अमेरिकी नागरिक अधिकारों की लड़ाई का एक ऐतिहासिक लम्हा बना दिया. 16 मिनट के उनके भाषण ने उस देश की अंतरात्मा को जगा दिया जिसने अपनी आजादी की घोषणा में कहा था, "सारे इंसानों को एक बराबर रचा गया है" लेकिन उसके बाद भी रंगभेद जारी रहा खासतौर से दक्षिण में. 34 साल के मंत्री ने उस वक्त कहा था, "मेरा सपना है कि एक दिन देश जगेगा और अपने सिद्धांतों के सही अर्थों के साथ जिएगा."

दोनों तरफ आशंका

इस विशाल रैली में लोग इसलिए आए थे ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी और संसद पर नागरिक अधिकारों से जुड़े कानून बनाने के साथ ही बेरोजगारी और गरीबी का मुकाबला सख्ती से करने के लिए दबाव बना सकें. आखिरी वक्त तक नागरिक अधिकारों से जुड़े कार्यकर्ता, धार्मिक और मजदूर संगठनों के लोग आशंकित थे कि जनता नहीं आएगी, दूसरी ओर केनेडी और संसद को चिंता थी कि बहुत ज्यादा लोग होंगे, अव्यवस्था और अशांति होगी और यहां तक कि रैली वाली जगह पर पर्याप्त संख्या में शौचालय भी नहीं थे.

AP Iconic Images Dr. Martin Luther King Jr. Washington 1963
मार्टिन लूथर किंग जूनियर, लिंकनतस्वीर: AP

देश तनाव से भरा था, तीन महीने पहले पुलिस ने प्रदर्शकारियों पर पानी की तेज बौछार की और कुत्ते छोड़ दिए थे. मॉल में सेना और नेशनल गार्ड के जवान पांच हजार पुलिस अधिकारियों के साथ तैनात किए गए थे. बॉब डिलेन, जोआन बाएज और पीटर, पॉल और मैरी जैसे नामी कलाकार लोगों का मनोरंजन करने के लिए बुलाए गए थे. इनके साथ मार्लन ब्रैंडो, पॉल न्यूमैन और चार्ल्टन हेस्टन जैसे अभिनेता भी मौजूद थे.

गायक और कार्यकर्ता एरी बेलाफोन्टे ने टाइम पत्रिका से कहा, "आप अगर से भीड़ से गुजरे होते तो देखते कि कोई प्रकार नहीं था जो वहां न हो, कोई लिंग, कोई जाति, कोई धर्म नहीं. उस वक्त अमेरिका अपने बदलाव के सबसे बड़े लम्हे में था."

कॉलिन पॉवेल हाई प्रोफाइल अफ्रीकी अमेरिकियों में रहे हैं. सेना के कमांडर के साथ ही वह अमेरिका के विदेश मंत्री भी रहे हैं. उस वक्त कॉलिन पॉवेल की तैनाती वियतनाम में थी और अलाबामा में रह रहे परिवार की उन्हें चिंता सता रही थी. पॉवेल ने टाइम पत्रिका से कहा कि भाषण ने, "सारे अमेरिकियों के सामने दर्पण रख दिया जिससे कि वो देश की आत्मा और उसके स्वभाव की गहराई में झांक सकें."

स्वप्न बना दुस्वप्न

अश्वेतों की भावना जगाने वाली अहिंसक रैली से प्रभावित केनेडी ने उसी शाम नेताओं को व्हाइट हाउस बुलाया. उन्होंने उससे पहले जून में ही नागरिक अधिकारों के अध्यादेश का प्रस्ताव रख दिया था. ओवल ऑफिस में किंग को देखते ही स्वागत में केनेडी ने कहा, "मेरा एक सपना है." साल भर के भीतर ही केनेडी को गोली मार दी गई और उसके बाद इसे संसद में पास करवाने में राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन का साल 1964 पूरा बीत गया. वोट देने का अधिकार दिलाने वाला कानून 1965 में जब पास हुआ तो नागरिक और मतदान का अधिकार मांग रहे अहिंसक आंदोलनकारियों से पुलिस हिंसा के सहारे निपट रही थी.

Einweihung des Martin-Luther-King-Denkmals durch Obama in Washington
किंग की मूर्ति का अनावरण करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामातस्वीर: DW

1966 और 1967 में जातीय हिंसा पूरे देश में फैल गई. गरीबी से जूझ रही अश्वेत बस्तियों का सब्र अब तक की धीमी प्रक्रिया से टूट गया था. किंग ने खुद ही कह दिया था कि उनका सपना अब दुस्वप्न बन रहा है. 1964 में शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले किंग को 1968 में गोली मार दी गई.

अगले बुधवार को लिंकन मेमोरियल में किंग के भाषण की 50वीं वर्षगांठ पर खास समारोह में राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर और नागरिक अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे नेता भाषण देंगे. वहां से वह जगह महज 10 मीटर ही दूर है जहां से किंग ने भाषण दिया था. दो साल पहले वहां उनकी मूर्ति खड़ी कर दी गई, ताकि लोग 'आई हैव ए ड्रीम' को याद रख सकें.

एनआर/ओएसजे (डीपीए)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी