1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

बेरूत: मलबे के नीचे से पल्स सिग्नल दे रहे जिंदगी के संकेत

४ सितम्बर २०२०

बेरूत में शक्तिशाली धमाके के एक महीने बाद बचाव दल एक पल्स सिग्नल मिलने के बाद मलबे के नीचे दबे संभावित जिंदगी की तलाश में जुट गया है. 4 अगस्त को बेरूत बंदरगाह के पास जबरदस्त धमाका हुआ था जिसमें 191 लोगों की मौत हो गई थी.

https://p.dw.com/p/3hylK
तस्वीर: Getty Images/AFP

लेबनान की राजधानी बेरूत में धमाके को हुए एक महीना बीत चुका है और वहां सामाजिक और राजनीतिक हालात बदल गए हैं. राजधानी बेरूत अब भी खंडहर है. लेकिन इसी खंडहर के बीच मलबे के नीचे एक ऐसा संकेत मिला है जिससे बचाव दल की उम्मीदें बढ़ गई हैं कि वहां एक जिंदगी हो सकती है. दरअसल चीली का खोजी और बचाव दल गुरुवार को गेमम्याह स्ट्रीट के पास मलबे के ढेर से गुजर रहा था. दल का एक खोजी कुत्ते अचानक सक्रिय हो गया और उसके बाद खोजी दल मलबे के पास पहुंचा. 4 अगस्त को हुए विस्फोट में गेमम्याह भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ था.

टीम ने ऑडियो डिटेक्शन उपकरण का इस्तेमाल सिग्नल या दिल की धड़कन को पकड़ने के लिए किया. उसने धड़कन को पकड़ा, जो कि 18 से 19 पल्स प्रति मिनट थी. धड़कन का सिग्नल कहां से आ रहा था इसका तत्काल पता नहीं चला लेकिन इसके बाद बचाव दल में जिंदगी बचाने की नई उम्मीद जग गई.

ऐसी बहुत कम ही संभावना है कि धमाके के एक महीने बाद कोई अब तक जिंदा मिलेगा. 4 अगस्त को हुए धमाके में 191 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 6,000 से अधिक लोग घायल हो गए थे. बंदरगाह पर रखा 6,000 टन अमोनियम नाइट्रेट धमाके का कारण बना था. इस धमाके को अब तक का सबसे बड़ा गैर-परमाणु विस्फोट माना जा रहा है. धमाके के कारण हजारों मकानों को नुकसान भी पहुंचा था.

नागरिक सुरक्षा कर्मी युसूफ मलाह कहते हैं, ''99 फीसदी वहां कुछ नहीं है लेकिन एक फीसदी से भी कम उम्मीद है तो हमें तलाश जारी रखना चाहिए.'' चीली के बचाव दल के एक सदस्य ने जिंदगी तलाशने वाली मशीन के बारे में बताया कि वह इंसान की सांस और धड़कन की पहचान करती है ना कि जानवरों की. उसके मुताबिक मशीन ने इंसान की धड़कन का पता लगाया है. पूरी रात बचाव दल मौके पर रहा और दल वहां मौजूद पत्रकारों और लोगों से बार-बार फोन बंद करने और शांत रहने को कहता जिससे धड़कन को मशीन द्वारा पकड़ा जा सके.

हाल के हफ्ते लेबनान में गर्म रहे, बीते दिनों बेरूत में लू भी चल रही थी और आर्द्रता का स्तर भी अधिक था. शुक्रवार की सुबह तक बचाव दल को मलबे के नीचे जिंदगी को तलाशने में कामयाबी नहीं मिली थी.

एए/सीके (एएफपी)

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें