प्रलयकारी ग्लेशियर के टूटने का खतरा
ग्लोबल वॉर्मिंग ने अंटार्कटिका के सबसे बड़े हिमखंडों में से एक थ्वेट्स को खतरे में डाल दिया है. अगर इस ग्लेशियर से बर्फ टूटी तो बहुत सारा पानी समुद्र में जाएगा और उसके जलस्तर को नाटकीय रूप से बढ़ा देगा.
प्रलय का बड़ा खतरा
यह ग्लेशियर जितना विशालकाय है, खतरा उतना ही बड़ा है. इसका आकार 1,92,000 वर्ग किलोमीटर है यानी लगभग युनाइटेड किंग्डम जितना. इसका एक तिहाई हिस्सा बर्फ के तैरते हुए टुकड़े हैं, जिनमें दरारें बढ़ती जा रही हैं.
कांच की तरह बिखर सकती है बर्फ
शोधकर्ताओं को डर है कि इस हिमखंड में कुछ नाटकीय बदलाव हो रहे हैं. यह संभव है कि अगले तीन से पांच साल में 45 किलोमीटर लंबा बर्फ का एक टुकड़ा कार के शीशे की तरह चूर-चूर हो जाए.
समुद्र जल स्तर बढ़ने का खतरा
अगर बर्फ का यह टुकड़ा टूटता है तो विशाल मात्रा में बर्फ पानी में जाकर पिघल जाएगी. इससे और ज्यादा बर्फ के टुकड़े टूटेंगे.
ऐसा कई जगह हो रहा है
अगर ऐसा होता है तो यह अकेली घटना नहीं होगी. जुलाई 2017 में पश्चिमी अंटार्कटिका में ए68 नाम का एक हिमशैल लार्सन सी आइस शेल्फ से टूट कर अलग हो गया था. वैसे तो बर्फ के टुकड़े यूं टूटते रहते हैं लेकिन सर्दियों में ऐसा होने का खतरा वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है.
ग्लोबल वॉर्मिंग का असर
वैज्ञानिकों का मानना है कि थ्वेट्स के साथ जो हो रहा है उसकी वजह जलवायु परिवर्तन है. बर्फ के नीचे के पानी का तापमान बढ़ रहा है जिस कारण बड़े हिस्से पिघल गए हैं और ग्लेशियर गुफाएं बन गई हैं. पिछले 30 साल में यह प्रक्रिया बेहद तेज हुई है.
25 इंच बढ़ जाएगा स्तर
यदि थ्वेट्स ग्लेशियर पूरी तरह टूट जाता है और इसकी सारी बर्फ पिघल जाती है तो समद्र का जलस्तर 25 इंच या 65 सेंटीमीटर तक बढ़ सकता है.
प्रयलकारी ग्लेशियर
थ्वेट्स का टूटना प्रलयकारी हो सकता है. इस कारण आसपास के ग्लेशियर भी टूट सकते हैं. पूरे पश्चिमी अंटार्कटिका में बर्फ पिघल सकती है. नतीजा होगा जलस्तर में 3.3 मीटर की बढ़त. इसीलिए इस ग्लेशियर को प्रलयकारी कहा जाता है.