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चुनाव के करीब बढ़ जाती है हेट स्पीचः रिपोर्ट

२६ सितम्बर २०२३

2023 के पहले छह महीने में मुस्लिम विरोधी नफरत-भरी बयानबाजी की संख्या रोजाना एक से ज्यादा रही है. अमेरिका के वॉशिंगटन स्थित एक संस्था हिंदुत्वा वॉच ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है.

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मॉब लिंचिंग
भारत में मॉब लिंचिंग के कई मामले हो चुके हैंतस्वीर: Hindustan Times/IMAGO

हिंदुत्वा वॉच की ताजा रिपोर्ट कहती है कि 2023 के पहले छह महीनों में हेट स्पीच के 255 मामले दर्ज किये गये. हालांकि पिछले सालों के इस तरह के कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि पहले ऐसे मामले ज्यादा होते थे या कम, लेकिन रिपोर्ट में यह जरूर कहा गया है कि चुनावों के करीब इस तरह के मामले बढ़ जाते हैं.

हिंदुत्वा वॉच ने हेट स्पीच के मामलों का दस्तावेजीकरण करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा को आधार बनाया है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक हेट स्पीच ‘किसी भी तरह का संवाद हो सकता है जिसमें किसी अन्य व्यक्ति या समूह के खिलाफ धर्म, नस्ल, राष्ट्रीयता, रंग, मूल, लिंग या अन्य पहचान के आधार पर भेदभावपूर्ण भाषा का प्रयोग किया जाए.‘

बीजेपी शासित राज्य सबसे प्रभावित

रिपोर्ट कहती है कि जनवरी से जून के बीच भारत में हेट स्पीच के जो मामले दर्ज किये गये, उनमें से 70 फीसदी उन राज्यों में हुए जहां 2023 या 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में हेट स्पीच के सबसे ज्यादा मामले देखे गये. महाराष्ट्र इनमें सबसे ऊपर था जहां 29 फीसदी मामले दर्ज हुए.

रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर मामलों में मुसलमानों के सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार की बात की गयी और उनके खिलाफ हिंसा को उकसाया गया. अक्सर हेट स्पीच के इन संवादों में ऐसी बातें कही गईं, जिनका कोई ठोस आधार नहीं था और वे कॉन्सपिरेसी थ्योरीज से प्रेरित थीं.

रिपोर्ट यह भी ध्यान दिलाती है कि 80 फीसदी मामले उन राज्यों में हुए जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. हिंदुत्वा वॉच ने कहा कि उसने हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी की, सोशल मीडिया पर साझा किए गये हेट स्पीच वाले वीडियो की पुष्टि की और उन मामलों को भी रिपोर्ट में गिना जिनके बारे में मीडिया में खबरें आई थीं.

लगातार बढ़ते मामले

भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं पर भी मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे बयान देने के आरोप लगते रहे हैं. पिछले हफ्ते ही लोकसभा में बीजेपी के सांसदरमेश बिधूड़ीने एक बहुजन समाज पार्टी से सांसद कुंवर दानिश अली को अपशब्द कहे थे. भारतीय जनता पार्टी ने इस संबंध में अपने सांसद पर कोई कार्रवाई नहीं की है.

इससे पहले जून महीने में उत्तराखंड राज्य में ऐसे पोस्टर दीवारों पर चिपके मिले थे जिनमें मुसलमानों को इलाका छोड़ने की चेतावनी दी गयी थी. उत्तरकाशी जिले में 'देवभूमि रक्षा अभियान' नाम के संगठन द्वारा ये पोस्टर लगाये गये. इन पोस्टरों में जिले के एक समुदाय विशेष के सदस्यों से दुकान खाली करने को कहा गया.

हिंदुत्ववादी संगठन ने अपने पोस्टर में लिखा, "लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत होने से पूर्व अपनी दुकानें खाली कर दें. यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है, तो वह वक्त पर निर्भर करेगा." ऐसे पोस्टर पुरोला के मुख्य बाजार में लगाये गये थे जहां कुल 700 दुकानें हैं और लगभग 40 दुकानें मुसलमानों की हैं. 

भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों के उल्लंघन को लेकर कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र समेत कई संस्थाएं भारत सरकार से मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधी शिकायतें कर चुकी हैं. ऐसे कई मामले हो चुके हैं जब किसी तरह का आरोप लगने पर प्रशासन ने मुसलमानों के घर ढहा दिये.  कई संगठनों का आरोप है कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार बढ़ा है. हालांकि भारत सरकार इन्हें गलत आरोप बताती रही है.

विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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